ब्लागर और मंचीय कवियों में कुछ असमानता होती है जैसे कि ब्लागर की रचना साहित्य
से जुड़े हुए या साहित्य की किसी भी विधा में सृजन कर रहे व्यक्ति के लिए होती है |जबकि
मंचीय कवि का उद्देश्य एक आम श्रोता को आनंद पहुँचाना होता है |ब्लागर को किसी मानदेय
या धनराशि की आशा नहीं होती | मंचीय कवि अधिकतर लिफाफे की इच्छा तो रखता ही है |
मगर एक समानता दोनों में है , एक टिपण्णी चाहता है तो दूसरा तालियाँ ....एक विशेष बात
यह है की दोनों सीधे- सीधे नहीं मांगते बलागर कुछ इस तरह मांगता है |
कृपया अपना आशीर्वाद यहाँ दें ..
यहाँ तक आये है तो .....
आपने कुछ कहा .....
कृपया अपनी राय अवश्य दें ....
मेरा मार्गदर्शन करें ......
एक टिपण्णी भेंजें ...... कुछ ब्लागर मेरे जैसे यह अधिकारपूर्वक मांगते है |
( जैसे पत्नी मायके गयी हो तो ससुर जी को लिखते है पत्नी को भेंजें )
अर्थात आप बिना टिपण्णी के मत जाइये
अब कुछ बात मंचीय कवियों की वह भी घुमा फिर कर मांगते है
दुआओं की दरकार है ......
इस पंक्ति पर आपका आशीर्वाद चाहूँगा ......
आप मेरे साथ शिरकत करें ........
इस शेर की हिफ़ाजत कीजियेगा .....
पुरे सदन का ध्यान चाहूँगा ..........
अर्थात तालियाँ जरुर बजाएं ...
मेरे जैसे कवि कुछ इस तरह तालियाँ मांगते है |
गीत और छंद का आनंद आप लीजिये |
मगर करतल ध्वनि का दान हमें दीजिये
सरस्वती पुत्र, आप श्रोता सब महान है |
कवि नहीं कविता का सम्मान तो कीजिये |
(कृपया ब्लागर मित्र इसे अन्यथा ना लें )