बात उन दिनों की है जब मेरी नौकरी करना शुरू की थी | मेरी आदत थी शाम को सोना और
रात में नींद ना आने की शिकायत करना | मेरे बड़े भाई समझाते थे जब रात में कुछ
पढ़ोगे तो रात में नींद अच्छी आयेगी इस लिए उन्होंने कुछ तकनीकी किताबें मुझे दे दी |
एक दिन वह जब भाभी के साथ शाम को खाने के बाद घूमने को गए तो जाते समय कहा
कि दूध गैस पर चढ़ा है, इसको थोड़ी देर बाद उतार लेना | मैं पढ़ने में लग आया और जाने
कब नींद लग गयी | थोड़ी देर बाद जब आँख खुली तो देखा कमरे में धुँआ भरा हुआ था और
जलने कि बदबू पूरे घर में भरी हुई थी |जल्दी जल्दी पंखा चलाया और लाइट जला कर देखा
तो सामने था जला काला भगोना | कहीं किसी को मालूम ना पड़ जाये बाहर जाकर दूध ले
के आया और उसी तरह भगोने में धोकर रख दिया |
अगले दिन सुबह भाभी , भाई से कह रहीं थीं देखो तुम कहते हो छन्नो ( हमारी काम वाली )
से कुछ मत कहा करो बेचारी गरीब है किस मज़बूरी में काम कर रही है , एक दिन डांटा और
निकालने कि धमकी दी तो कितना साफ बर्तन धोने लगी है यह भगोना तो देखो ....
मैं वहीँ खड़ा था और चुप था ......क्योंकि हम चुप रहे हम हँस दिए मंजूर था पर्दा मेरा .......
मैं जरुर चुप था मगर आप हँस भी सकते है !
मैं जरुर चुप था मगर आप हँस भी सकते है !