हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में राजभाषा को समर्पित कविता
रंग बिरंगे फूल खिले है भाषा के इस उपवन में | सबकी अपनी सुगंध बसी है हर मानस के मन में | मग़र इस उपवन की शोभा को बस एक ही पुष्प बढ़ाता नाम पड़ा है हिंदी जिसका और जो सबको महकाता | अपने रस की कुछ बूंदों को जब इसने कविता में डाला अमर हो गए कवि देश के पन्त प्रसाद और निराला |
जिसके मन में बसी यह भाषा या जो इसको अपनाता | नहीं ज़रूरत किसी प्रमाण की वह सच्चा देश भक्त कहलाता |