शुक्रवार, अक्तूबर 28, 2011

जनता की मांग और उसकी चेतावनी

भ्रष्टाचार का बाज़ार आजकल  गर्म है | सभी राजनैतिक पार्टियाँ इसको मुद्दा बना कर सत्ता 
पर कब्ज़ा करना चाहते हैं |एक दुसरे को नंगा करने में सब लगे हुए हैं |यह सब तमाशा, 
बेचारी जनता को दिखा करआने वाले चुनावों में वोट पाने की यह एक तरकीब सिद्ध हो रही है| 
बेचारी जनता के  कुछ समझ में नहीं आ रहा है वह क्या करे ? और हमारे नेतागण एक 
के बाद एक खेल दिखाते जा रहें है | पता नहीं किस खेल पर जनता खुश हो जाये और  
ताली बजा दे और  उनको  वोट दे दे|क्योंकि जनता तो बहुत भोली  है ......
जनता क्या मांगती ?

तुमने क्या कमाया है यह हिसाब नहीं मांगती, 
कैसे वह कमाया है यह जबाब नहीं मांगती |
भूखी प्यासी जनता सोना चाँदी नहीं मांगती,
वह तो तन को एक कपड़ा और रोटी सुखी मांगती |

और अगर सरकार यह भी नहीं दे सकती तो उसके सरकार लिए एक चेतावनी भी यह जनता दे रही है | अगर इसको अनदेखा कर दिया तो क्या होगा .......
 जनता की चेतावनी !

जनता ही ने तो तुम्हें सिंहासन पर बिठाया है, 
एक आम आदमी से तुम्हें वी आई पी बनाया है|
जनता को जो भूलोगे तो यह तुम्हें भूल जायगी, 
सीट की तो छोडिये आपकी ज़मानत भी जायगी| 




मंगलवार, अक्तूबर 25, 2011

दीवाली की कथाएं

 आज मैं आपके सामने दीपावली की एक दन्त कथा प्रस्तुत कर रहा हूँ | जो लक्ष्मी पूजन के समय सुनाई जाती है| किसी गाँव मैं एक गरीब लकड़हारा अपने सात पुत्रों के साथ रहता था सातों के सात पूरे निकम्मे कोई कार्य नहीं करते सिवाय खाने के ,इस बात को लेकर लकड़हारा काफ़ीचिंतित था | पत्नी की मृत्यू के बाद तो दरिद्रता ने अपना स्थायी निवास उसके घर कोही बना लिया था| गाँव के लोगों ने सलाह दी की तुम अपने बेटे का विवाह कर दो तो घर में लक्ष्मी आयेगी और तुम्हारे दिन बदल जायेंगे |
उसने उनकी बात मान कर अपने बेटे का विवाह उसी गाँव की कन्या से कर दिया विवाह के पश्चात् बहू ने घर का सारा काम जल्दी ही संभाल लिया और अपने सभी देवरों से कहा की  आज के बाद तुम लोगों को कुछ ना कुछ काम अवश्य करना है और जो भी कमा के लाओगे वह मुझे दे देना | एक दिन उसका एक देवर आया और बोला " भाभी देखो हम क्या लायें हैं " देखा तो उसकी चप्पल में गोबर लगा हुआ था भाभी ने हंस कर
कहा अगर मेहनत से लाये हो तो संभाल कर रख दो |
अगले दिन दूसरा देवर आया और हंस कर बोला देखो भाभी हम क्या लाये हैं वह एक मरा हुआ सांप लाया था भाभी का वही उत्तर था संभाल कर रख दो |
एक दिन उसी राज्य के राजा की रानी जब स्नान कर रहीं थीं तो उनका नौलखा हार एक कौआ ले उड़ा राजा ने पूरे राज्य में ढिंढोरा पिटवा दिया जो कोई भी हार लाकर देगा उसे मुंह माँगा ईनाम दिया जायेगा | कुछ दिन के बाद जब नरक चौदस आया तो घर की सफाई की गयी देखा तो हार लकड़हारे की छत पर पड़ा हुआ है और मरा हुआ सांप वंहा से गायब है | यह देख कर लकड़हारा बहुत खुश हो गया और राजा के पास जाने लगा यह सोंचता हुआ कि वह मुंह मांगी दौलत मांग लेगा और बाकी जीवन आराम से बीत जायेगा |मगर उसकी बहु ने कहा जो मैं कहूँ वही मांगना | बहु ने राजा से कहा कि सारे गाँव की रुई दीया और तेल मुझे दिया जाये
क्योंकि राजा वचन दे चुके थे अत पालन करना भी आवश्यक था राजा ने तुरंत ही यह आदेश दे दिया कि पूरे गाँव का दीया तेल और रुई लकड़हारे के घर भेज दी जाये |
अगले दिन जब दिवाली कि रात आयी तो पूरे गाँव में अँधेरा और लकड़हारे के घर रौशनी रात को जब दरिद्र ने देखा कि यंहा तो उसकी आँखें फूट रही हैं क्योंकि वह तो अंधरे का अभ्यस्त था इसलिए उसने जाने कि कोशिश कि तो दरवाजे पर बहू बैठी थी बोली जाना है तो सात पुश्तों के लिए जाओ दरिद्र ने परेशान हो कर उसकी शर्त मान ली और घर से निकल गया|
इसके बाद जब रात में लक्ष्मी निकली वह भी परेशान अंधरे में कुछ दिखाई नहीं दे रहा तब उन्हें लकडहारे का घर दिखाई दिया वह आयीं और बोली मुझे अन्दर आने दे मेरे पैर में कांटा चुभा जा रहा है| बहु ने वही कहा आना है तो सात पुश्तों के लिए आओ कोई विकल्प ना होने का कारण लक्ष्मी ने उसकी यह शर्त भी मान ली और उसके घर निवास करने लगीं |
जिस तरह लकडहारे के दिन बहुरे उसी प्रकार सबके दिन बहुरे ...........

अब डाक्टर सरोजनी प्रीतम की एक क्षणिका ....

अपने सर पर
हमेशा सवार  
रहने वाली पत्नी
को लक्ष्मी का नाम देकर
अपने को एक
नयी संज्ञा दी

इस आशा के साथ आप पर भी गृहलक्ष्मी और लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी

आप सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें एवं बधाई ....

शनिवार, अक्तूबर 22, 2011

कल आज और सच्चाई .....





कल 

कल सरेआम लुटी  थी  एक अस्मत ,
जो काफ़ी थी इंसानियत के शर्मसार के लिए |

और तरस कर पथरा गयीं आँखें उसकी,
देखने को बस एक अदद मददगार के लिए |

आज 

कल जो तमाशायी भीड़ का हिस्सा  बने थे लोग ,
वह आज सुना रहें हैं सज़ा गुनहगार के लिए |

कुछ कलम के सिपहसालार भी खुश हो कर घूमते है, 
अच्छी ख़बर मिली है कल के अख़बार के लिए |

सियासत के एक हलके को मुद्दा भी मिल गया ,
कल वह मुश्किल खड़ी करेंगे सरकार के लिए |

कुछ मजलिस ए खवातीन भी सड़कों पे आ गए 
मौका मिला था उनको अपने इश्तहार के लिए |

जो मुफ़लिसी के दौर से गुजर रहा था आजकल ,
कुछ राहत सी मिल गयी थी उस थानेदार के लिए |


सच्चाई 

हाँलाकि यह हादसा सब को कुछ ना कुछ दे गया, 
और बस एक ज़ख्म दे गया किसी खुद्दार के लिए | 




(चित्र गूगल के सौंजन्य से ) 

मंगलवार, अक्तूबर 18, 2011

एक पिता की चिंता .........




कूद कर मेरी बेटी का 
गोद में बैठ जाना 
गलें  में बाहें डाल कर ,
कुछ माँगना
और हँसकर,मेरा उसकी ,
 मांग को पूरी करना |
मगर आज, माँगा है उसने ,
सलवार और कुर्ता,
फ्राक के बदले |
क्योंकि वह हो गयी है बड़ी|
अचानक मेरा ,
गहरी सोंच में डूब जाना   
डर कर सहम जाना |
उसे इस वहशी समाज ,
 से कैसे है बचाना ?


शनिवार, अक्तूबर 15, 2011

ठूँठ और झाड़ी.........



झाड़ी की कुटिल मुस्कान 
और ठूंठ पर कटाक्ष ,
क्या मिला तुमको ?
सह कर आँधियों के  थपेड़े ,
और मौसम का कहर |
बढ़ना सूखना और टूट कर गिरना ,
यही था तुम्हारा जीवन चक्र 
फिर लकड़हारों की टोलियों का 
तुम पर टूट पड़ना |
पल भर में ,
बना देना तुम्हें एक ठूँठ |
और मैं हंसती खेलती हूँ 
हवाओं के साथ आज भी |
ठूँठ की मधुर मुस्कान,
और दिया झाड़ी को उत्तर   
मैंने दिया , निमंत्रण पास आने का 
पथिकों को छाया 
और परिंदों को आशियाँ |
और तुमने दिया भय, 
काँटों के चुभने का 
और सबको तुमसे दूर रहने का |


मंगलवार, अक्तूबर 11, 2011

ऐसा भी होता है ............




ज़मीं पर जब जुगनुओं की
एक  महफ़िल सजी , 
आसमां पर सितारों के   , 
 ना जाने क्यूँ, दिल जल गए |

 और मेरा महबूब जब    
उस बज़्म में शामिल हुआ  ,
तब चाँद की पेशानी पे, 
ना जाने क्यूँ,सैकड़ों बल पड़ गए |


(चित्र गूगल के सौंजन्य से)

शुक्रवार, अक्तूबर 07, 2011

इसे मैं क्या कहूँ ?........





मैंने आज तक उसको, 
कभी  बेवफा कहा ही नहीं |
मगर वफ़ा की बात हो तो ,
उसका ज़िक्र भी अच्छा नहीं लगता |

ज़रूर उसकी बेवफायी भी
एक मज़बूरी रही होगी |
मेरे इस भरम का टूटना भी , 
मुझे कभी अच्छा नहीं लगता |

(चित्र गूगल के सौंजन्य से) 


शनिवार, अक्तूबर 01, 2011

रिश्तों का सोफ्टवेयर














रिश्तों की फाइल से, 
बना है परिवार का फोल्डर |
क्यों नहीं होता ओपन ?
क्या लगा है कोई वायरस |
मंथन के एंटीवायरस से 
स्केन करने पर पाता हूँ ,
रिश्ते की एक फाइल में 
अहंकार का वायरस |
रिमूव  करने के
कई  असफल प्रयास ,
और पूरी फाइल को डिलीट करने का 
अंतिम निर्णय |
मगर  फिर हो जाता हूँ असफल ,
क्योंकि मेरे ह्रदय के सिस्टम में
इंस्टॉल है ,
प्रेम और आत्मीय संबंधों का 
एक सोफ्टवेयर   .............