भ्रष्टाचार का बाज़ार आजकल गर्म है | सभी राजनैतिक पार्टियाँ इसको मुद्दा बना कर सत्ता
पर कब्ज़ा करना चाहते हैं |एक दुसरे को नंगा करने में सब लगे हुए हैं |यह सब तमाशा,
बेचारी जनता को दिखा करआने वाले चुनावों में वोट पाने की यह एक तरकीब सिद्ध हो रही है|
बेचारी जनता के कुछ समझ में नहीं आ रहा है वह क्या करे ? और हमारे नेतागण एक
के बाद एक खेल दिखाते जा रहें है | पता नहीं किस खेल पर जनता खुश हो जाये और
ताली बजा दे और उनको वोट दे दे|क्योंकि जनता तो बहुत भोली है ......
जनता क्या मांगती ?
तुमने क्या कमाया है यह हिसाब नहीं मांगती,
कैसे वह कमाया है यह जबाब नहीं मांगती |
भूखी प्यासी जनता सोना चाँदी नहीं मांगती,
वह तो तन को एक कपड़ा और रोटी सुखी मांगती |
और अगर सरकार यह भी नहीं दे सकती तो उसके सरकार लिए एक चेतावनी भी यह जनता दे रही है | अगर इसको अनदेखा कर दिया तो क्या होगा .......
जनता की चेतावनी !
जनता ही ने तो तुम्हें सिंहासन पर बिठाया है,
एक आम आदमी से तुम्हें वी आई पी बनाया है|
जनता को जो भूलोगे तो यह तुम्हें भूल जायगी,
सीट की तो छोडिये आपकी ज़मानत भी जायगी|