मेरी छत पर आकर सूरज
क्यों ? जल्दी ढल जाता है |
उगते सूरज की पहली किरण ,
जब मेरे आँगन में पड़ती है |
फटा बिछौना टूटी खटिया ,
यही तो उसको दिखती है |
धीरे धीरे तपता सूरज ,
जब मेरी रसोई में आता है |
खली बर्तन ,ठंडा चूल्हा ,
और नहीं कुछ वह पाता है |
लिए लालिमा सूरज ,
जब मेरी खिड़की पर आता है|
बूढ़ी माँ का पीला चेहरा ,
शायद वह देख ना पाता है |
इसी लिए तो मेरी छत पर ,
आकर सूरज जल्दी से ढल जाता है |
क्यों ? जल्दी ढल जाता है |
उगते सूरज की पहली किरण ,
जब मेरे आँगन में पड़ती है |
फटा बिछौना टूटी खटिया ,
यही तो उसको दिखती है |
धीरे धीरे तपता सूरज ,
जब मेरी रसोई में आता है |
खली बर्तन ,ठंडा चूल्हा ,
और नहीं कुछ वह पाता है |
लिए लालिमा सूरज ,
जब मेरी खिड़की पर आता है|
बूढ़ी माँ का पीला चेहरा ,
शायद वह देख ना पाता है |
इसी लिए तो मेरी छत पर ,
आकर सूरज जल्दी से ढल जाता है |