अब मेरा दिल तो कुछ पल का मेहमान है ।
आ रहें हैं वह मिलने,आज चाँदनी रात में ।
अब अंधेरों की किससे मैं शिकायत करूँ ,
लुट रहें हैं यहाँ अब तो चाँदनी रात में ।
रूबरू उनसे मिलना तो मुमकिन नहीं
अब मिलेंगे मुझे वह ख्वाब ही खवाब में ।
अब तो नींदों से मैं यह गुज़ारिश करूँ ,
जो दिखाए वह हँसी खवाब चाँदनी रात में ।
दो कदम साथ चल कर वह रूठे हैं क्यों
क्या हुई भूल हमसे बात ही बात में ।
उनकी यादों से मैं यह गुज़ारिश करूँ ,
जो ना अब सतायें मुझे चाँदनी रात में ।
आ रहें हैं वह मिलने,आज चाँदनी रात में ।
अब अंधेरों की किससे मैं शिकायत करूँ ,
लुट रहें हैं यहाँ अब तो चाँदनी रात में ।
रूबरू उनसे मिलना तो मुमकिन नहीं
अब मिलेंगे मुझे वह ख्वाब ही खवाब में ।
अब तो नींदों से मैं यह गुज़ारिश करूँ ,
जो दिखाए वह हँसी खवाब चाँदनी रात में ।
दो कदम साथ चल कर वह रूठे हैं क्यों
क्या हुई भूल हमसे बात ही बात में ।
उनकी यादों से मैं यह गुज़ारिश करूँ ,
जो ना अब सतायें मुझे चाँदनी रात में ।