रविवार, जुलाई 22, 2012

किसकी चली ?


ना हिन्दू की चली ना मुस्लिम की चली ,
तभी तो रमजान में राम और दीवाली में अली ।
किसकी चली ?

 मजहबी दंगे में मेरे  शहर में दो  लाशें   मिली,
 एक लाश  दफ़न हुई और दूसरी जली।
 किसकी चली ?

बना तो दीं  एक सी, मगर तासीर अलग अलग ,
एक नमक का गर्रा तो दूसरी मिश्री की डली ।
किसकी चली ?    

रविवार, जुलाई 15, 2012

चंद शेर आपके लिए.......

मेरे शहर में एक गली हो ऐसी ,
जहाँ मुहब्बत ही पल रही हो ।
जहाँ फ़ज़र की नमाज भी हो .
और लौ आरती की भी जल रही हो ।

क से काशी और  क से काबा ,
म से मंदिर मस्जिद हैं ।
मुझे दिखा दो किताब ऐसी ,
जो मायने इनके बदल रही हो ।

चलो उखाड़ कर हम फेंकें ,
दहशत के उन पेंड़ों को ।
इधर साख हो  जिनकी फैली,
मगर उधर जड़ निकल रही हो ।