रविवार, दिसंबर 30, 2012

एक पिता कि चिन्ता .....





कूद कर मेरी बेटी का 
गोद में बैठ जाना 
गलें  में बाहें डाल कर ,
कुछ माँगना
और हँसकर,मेरा उसकी ,
 मांग को पूरी करना |
मगर आज, माँगा है उसने ,
सलवार और कुर्ता,
फ्राक के बदले |
क्योंकि वह हो गयी है बड़ी|
अचानक मेरा ,
गहरी सोंच में डूब जाना   
डर कर सहम जाना |
उसे इस वहशी समाज ,
 से कैसे है बचाना ?


(पुन: प्रकाशित) 

शुक्रवार, दिसंबर 07, 2012

आह्बान ...



चलो उठो
उठाओं फावड़े
खोदो कब्र
कुछ जिन्दा लाशों को
दफनाना हैं ।
धरती का बोझ
कुछ कम करना हैं ।