कूद कर मेरी बेटी का
गोद में बैठ जाना
गलें में बाहें डाल कर ,
कुछ माँगना
और हँसकर,मेरा उसकी ,
मांग को पूरी करना |
मगर आज, माँगा है उसने ,
सलवार और कुर्ता,
फ्राक के बदले |
क्योंकि वह हो गयी है बड़ी|
अचानक मेरा ,
गहरी सोंच में डूब जाना
गहरी सोंच में डूब जाना
डर कर सहम जाना |
उसे इस वहशी समाज ,
से कैसे है बचाना ?
(पुन: प्रकाशित)