छाया हो जब घनघोर अँधेरा,
तब तुम दीप जलाना सीखो ।
कुछ रोना कुछ हंसना सीखो,
कुछ खुद को समझाना सीखो ।
गुस्से से ना मिलेगा कुछ भी,
प्यार से जिद मनबाना सीखो ।
भींगी बिल्ली रहोगे कब तक,
कभी तो शेर बन जाना सीखो ।
बनों पुजारी शांति के तुम,
पर कभी तो आँख दिखना सीखो ।
क्रोधित हो कर मिले जब कोई,
प्यार से उसको समझाना सीखो ।
छाया हो जब घनघोर अँधेरा,
तब तुम दीप जलाना सीखो ।
तब तुम दीप जलाना सीखो ।
कुछ रोना कुछ हंसना सीखो,
कुछ खुद को समझाना सीखो ।
गुस्से से ना मिलेगा कुछ भी,
प्यार से जिद मनबाना सीखो ।
भींगी बिल्ली रहोगे कब तक,
कभी तो शेर बन जाना सीखो ।
बनों पुजारी शांति के तुम,
पर कभी तो आँख दिखना सीखो ।
क्रोधित हो कर मिले जब कोई,
प्यार से उसको समझाना सीखो ।
छाया हो जब घनघोर अँधेरा,
तब तुम दीप जलाना सीखो ।