शुक्रवार, नवंबर 01, 2013

दीप जलाना सीखो ....

छाया हो जब घनघोर अँधेरा,
तब तुम दीप जलाना  सीखो ।

कुछ रोना कुछ हंसना सीखो,
कुछ खुद को समझाना सीखो ।

गुस्से से ना मिलेगा कुछ भी,
प्यार से जिद मनबाना सीखो ।

भींगी बिल्ली रहोगे कब तक,
कभी तो शेर बन जाना सीखो ।

बनों  पुजारी शांति के तुम,
पर कभी तो आँख दिखना सीखो ।

क्रोधित हो कर मिले जब कोई,
प्यार से उसको समझाना सीखो ।

छाया हो जब घनघोर अँधेरा,
तब तुम दीप जलाना  सीखो ।

13 टिप्‍पणियां:

  1. पूरी ब्लॉग बुलेटिन टीम की ओर से आप सभी को सपरिवार धनतेरस की बहुत बहुत हार्दिक बधाइयाँ और मंगलकामनायें !!
    ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन ब्लॉग बुलेटिन की धनतेरसिया बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शनिवार (02-11-2013) "दीवाली के दीप जले" : चर्चामंच : चर्चा अंक : 1417) "मयंक का कोना" पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    दीपावली पर्वों की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. खुबसूरत अभिवयक्ति...... शुभ दीपावली

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  4. शुभ दीपावली !!आशा है कि आप सपरिवार सकुशल होंगे |
    सुन्दर रचना प्रेरणाप्रद !!

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  5. सुन्दर प्रस्तुति-
    आभार आदरणीय

    आप सभी को --
    दीपावली की शुभकामनायें-

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  6. सुंदर प्रस्तुति ,,,
    दीपावली की हार्दिक बधाईयाँ एवं शुभकामनाएँ ।।
    ==================================
    RECENT POST -: तुलसी बिन सून लगे अंगना

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  7. सार्थक ... दीप जलेंगे तो तम भी मिटेगा मन का ...
    दीपावली के पावन पर्व की बधाई ओर शुभकामनायें ...

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  8. बहुत सुंदर संदेश,,दिखना की जगह आंख दिखाना कर लें, आभार !

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  9. शब्द कि इस मर्म को .... मैं यूँ समझ कर आ गया …
    अल्फाज पढ़ के यूँ लगा .... खुद से ही मिल के आ गया ....

    बहुत खूब ....

    बहुत सालों से ऐसा नहीं पढ़ा। ।

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