छाया हो जब घनघोर अँधेरा,
तब तुम दीप जलाना सीखो ।
कुछ रोना कुछ हंसना सीखो,
कुछ खुद को समझाना सीखो ।
गुस्से से ना मिलेगा कुछ भी,
प्यार से जिद मनबाना सीखो ।
भींगी बिल्ली रहोगे कब तक,
कभी तो शेर बन जाना सीखो ।
बनों पुजारी शांति के तुम,
पर कभी तो आँख दिखना सीखो ।
क्रोधित हो कर मिले जब कोई,
प्यार से उसको समझाना सीखो ।
छाया हो जब घनघोर अँधेरा,
तब तुम दीप जलाना सीखो ।
तब तुम दीप जलाना सीखो ।
कुछ रोना कुछ हंसना सीखो,
कुछ खुद को समझाना सीखो ।
गुस्से से ना मिलेगा कुछ भी,
प्यार से जिद मनबाना सीखो ।
भींगी बिल्ली रहोगे कब तक,
कभी तो शेर बन जाना सीखो ।
बनों पुजारी शांति के तुम,
पर कभी तो आँख दिखना सीखो ।
क्रोधित हो कर मिले जब कोई,
प्यार से उसको समझाना सीखो ।
छाया हो जब घनघोर अँधेरा,
तब तुम दीप जलाना सीखो ।
पूरी ब्लॉग बुलेटिन टीम की ओर से आप सभी को सपरिवार धनतेरस की बहुत बहुत हार्दिक बधाइयाँ और मंगलकामनायें !!
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन ब्लॉग बुलेटिन की धनतेरसिया बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
सुन्दर रचना |
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शनिवार (02-11-2013) "दीवाली के दीप जले" : चर्चामंच : चर्चा अंक : 1417) "मयंक का कोना" पर भी होगी!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
दीपावली पर्वों की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
जवाब देंहटाएंखुबसूरत अभिवयक्ति...... शुभ दीपावली
शुभ दीपावली !!आशा है कि आप सपरिवार सकुशल होंगे |
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना प्रेरणाप्रद !!
सुन्दर प्रस्तुति-
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय
आप सभी को --
दीपावली की शुभकामनायें-
सुंदर प्रस्तुति ,,,
जवाब देंहटाएंदीपावली की हार्दिक बधाईयाँ एवं शुभकामनाएँ ।।
==================================
RECENT POST -: तुलसी बिन सून लगे अंगना
सार्थक ... दीप जलेंगे तो तम भी मिटेगा मन का ...
जवाब देंहटाएंदीपावली के पावन पर्व की बधाई ओर शुभकामनायें ...
प्रेरक रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर संदेश,,दिखना की जगह आंख दिखाना कर लें, आभार !
जवाब देंहटाएंशब्द कि इस मर्म को .... मैं यूँ समझ कर आ गया …
जवाब देंहटाएंअल्फाज पढ़ के यूँ लगा .... खुद से ही मिल के आ गया ....
बहुत खूब ....
बहुत सालों से ऐसा नहीं पढ़ा। ।
जीने का अंदाज सिखाती कविता।
जवाब देंहटाएं