बुधवार, सितंबर 29, 2010

जीवन का गणित

जब मै जीवन के
जोड़, घटाने
और गुणा, भाग के
प्रश्नों को ,
हल नहीं कर पाता हूँ |
तब मै ,
मृत्यु के प्रश्न ,
पर आता हूँ |
तो  जीवन के दर्द को
हासिल की तरह
पहले से ही  वहाँ पाता हूँ |
जीवन के इस गणित में
जीवन और  मृत्यु में
दर्द का अनुपात
 मै समान ही पाता हूँ |

सोमवार, सितंबर 20, 2010

ग़लतफ़हमी



मेरी ख़ामोशी को
मेरी कमज़ोरी समझने वालों
मत भूलो कि ,
मेरे मुंह में भी जुवान रहती है |

दोस्तों के लिए
प्यार भरा धड़कता है मेरे सीने में 
और दुश्मनों के लिए ,
 मेरी कमर में हमेशा  तलवार रहती है 



मंगलवार, सितंबर 14, 2010

आज मेरी बेटी का जन्म दिन है


जी हाँ यह शीर्षक आपको कुछ अटपटा लगा होगा और लगना भी चाहिए क्योंकि इस तरह के शीर्षक से समाचार प्रकाशित करने अधिकार केवल अम्बानी, टाटा बिरला या किसी अन्य नए अमीर आदमी को है |यहाँ मै आपको विश्बास दिलाता हूँ की मै इनमे से कोई भी नही हूँ |जिसकी पुष्टि आप मेरे व्लाग के प्रोफाइल को देखकर कर सकते है | मै एक आम आदमी जिसे केवल रोटी और रोटी से मतलब है| जी हाँ यह बिलकुल सत्य है दिनांक १४सितम्बर १९८९को मेरी बेटी  पुन्नू का जन्म हुआ था | उसका जन्म एक निजी अस्पताल में आपरेशन से हुआ था | मै आपरेशन  थियेथर  दरवाजे पर ही खड़ा था |  दरवाजा खुला डाक्टर साहिबा अपने चेहरे पे नकली हँसी लाती हुई बोली बधाई हो लड़की हुई है | उस हँसी में खुशी कम और दुख ज्यादा था |मै उनके दुख के कारण खोजने  का प्रयास करने लगा | आसपास के सूचनापटों पर निगाह दौड़ाई शायद कहीं यह लिखा हो लड़की के जन्म पर डाक्टर की फ़ीस आधी मग़र बाद में याद आया वह भी उसी हिंदुस्तान में रहती जहाँ लड़की के जन्म को शोक दिवस के रूप में मनाया जाता है |सामने डाक्टर की नेमप्लेट थी जिस पर नाम के नीचे डिग्री की लम्बी लाइन थी | मुझे यह बात देख कर बहुत ख़ुशी हुई की  इस विषय पर शिक्षित या अशिक्षित सब  एकमत है |
मेरे पीछे कुछ कानाफूसी चल रही है अस्पताल की नर्से कह रही है की लड़की हुई तो क्या हुआ ५०० नहीं तो ३०० तो ले ही लेंगे |मुझे ऐसा लग रहा था की वह मुझे अप्रत्यक्ष्य   रूप से संवेदना दे रही हो |
तभी हमारे मोहल्ले की काकी जल्दी से रिक्शे से उतर के अंदर आयीं और बिना पूछे ही बापस चली गयी | हुआ यह की रिक्शे वाले ने २० पैसे कम दिए थे अब काकी उससे कह रही थी भइया कहीं से भी लाओ हमको हमारे पैसे चाहिए लड़की हुई अगर ऐसे लुटाते रहे तो फिर शादी कैसे करेंगे  | इस काकी की  हमारे प्रति आत्मीयता कहें या लड़की के जन्म के प्रति उनकी अलग धारणा समझ में नहीं आता ?

आज  मेरी बेटी २१  साल की   हो गयी  अब हम उसको शिवांगी श्रीवास्तव  के नाम से पुकारते वह इंजीनियरिंग  कालिज फौर्थ इयर की स्टुडेंट है | यहाँ मै यह भी बता देना चाहता हूँ कि मेरे दो बेटियाँ है दूसरी है आरुषी  श्रीवास्तव  जो इंजीनियरिंग के सेकंड इयर में है |

अब अगर आप उस डाक्टर ,नर्स या काकी से , बेटियों के प्रति कुछ अलग विचारधारा रखते है तो उसके  जन्म दिन कि बधाई दे सकते  है आपका स्वागत .......



शनिवार, सितंबर 11, 2010

हिंदी सप्ताह के उपलक्ष्य में राजभाषा को समर्पित एक कविता


हिंदी एक पुष्प


 



रंग बिरंगे फूल खिले है 
भाषा के इस उपवन में |
सबकी अपनी सुगंध बसी है
हर मानस के मन में |
मग़र इस उपवन की शोभा को
बस एक ही पुष्प बढ़ाता
नाम पड़ा है हिंदी जिसका
और जो सबको महकता |
अपने रस की कुछ बूंदों को
जब इसने कविता में डाला
अमर हो गए कवि देश के
पन्त प्रसाद और निराला |

  
 


जिसके मन में बसी यह भाषा
या जो इसको अपनाता |
नहीं ज़रूरत किसी प्रमाण की
वह सच्चा देश भक्त कहलाता |

शनिवार, सितंबर 04, 2010

ज़िंदगी और रोटी




 दूध के दाँत जल्दी टूटने का,
 एक कारण सूखी रोटियां भी थी |
बचपन बीतने का अहसास तब हुआ
जब मैं रोटी कि तलाश को निकला |
जवानी एक रोटी से दूसरी रोटी के,
सफ़र को तय करने में  गुज़र गयी ,
और आज बुढ़ापा जली बासी रोटी कि तरह,
कचरे के डिब्बे का इंतजार कर रहा है |



(पुनः सम्पादित रचना)