कुछ तो करो तुम जिक्र, मेरे शहर का आज ,
माना कि तुमसे मेरा , अब कोई वास्ता नहीं |
देख कर दीबार तुमने अपना रास्ता बदल लिया |
सोचा कि तुमने आगे, अब कोई रास्ता नहीं |
अचानक मुझको देख कर क्यूँ परेशान हो गए |
दुनिया है कितनी छोटी, शायद तुमको पता नही |
अपने मिलकर विछ्ड़ने का जो यह हादसा हुआ |
ना कसूर था तुम्हारा, और इसमें मेरी भी ख़ता नहीं |
टूटा ज़रूर हूँ मै, मगर बिखरा नहीं अभी तक |
किस चीज से बना हूँ, यह मुझको पता नहीं |