आज सारा भारतवर्ष २६/११ के शहीदों को अपने अपने अंदाज
में श्रद्धांजलि दे रहा है | कुछ साईकिल चला कर , कुछ मोमबत्ती
जला कर ओर कुछ शांति मार्च निकाल कर | अब प्रश्न उठता है
इनमें से कितने लोग इन्हें कल याद रखेंगे इसका उत्तर मै आप पर
छोड़ता हूँ |क्या आपने कभी यह सोचा जिस परिवार का कोई
व्यक्ति शहीद होता है उस घर का क्या हाल होता है |
मै इस रचना के माध्यम से आपको एक शहीद के घर में लेके चलता हूँ |
बेटे के जब मौत का संदेशा घर में आया था |
तब बूढी माँ के आँखों में तो सागर उतर आया था |
कंधे पर खिलाया था जिसने अपने लाल को ,
अर्थी का तो वोझ भी उसी कंधें ने उठाया था |
अभी सुहाग कि सेज के तो फूल मुरझाये नहीं ,
और चूड़ियों के टूटने का समय वहाँ आया था |
भाई ओर बहन के करुण क्रंदन को देख कर ,
अपने किये पे तो काल भी पछताया था |