चौराहे पर खड़ा
एक मोटर साईकिल सवार|
कर रहा था
हरी बत्ती का इंतज़ार|
पड़ोस में खड़ी थी एक कीमती कार,
आधी खुली खिड़की से कुत्ते का बच्चा
झाँक रहा था बाहर|
वह सवार, उस कुत्ते के बच्चे को ,
निहार रहा था बार बार
कर रहा था उसको दुलार |
तभी पीछे से आवाज़ आई
भूखा हूँ दे दो कुछ मेरे भाई|
वह जानता था उसकी किस्मत में ,
गालियाँ के सिवा खाने को कुछ नहीं है |
मगर प्रयास करने में जाता कुछ नहीं हैं |
कुत्ते के बच्चे की मिल रहा था,
प्यार और दुलार|
और उसको मिल रहीं थीं ,
गालियाँ और दुत्कार |
गाड़ियाँ चली गयीं थी
बत्ती हरी हो गयीं थी |
कुछ सोंच कर मुस्कराया
और मुंह से निकला काश !