एक दिन अचानक हमारे एक मित्र ने ब्लागिंग से सम्बंधित कुछ प्रश्नों के उत्तर जाननें
के लिए हमसे संपर्क किया | उनकी जिज्ञासा टिप्पणियों के प्रतीकों और उनके आकार
को लेकर थी | जैसे .....
(१) )), ..... ,(.) इन टिप्पणियों का क्या अर्थ है ?
मैंने कहा इस प्रकार की टिप्पणीकार, प्रतिशोध भावना से ग्रसित होते है | जब पूरी रचना
पढ़ने के बाद भी उनकी समझ में यह नहीं कि रचना साहित्य की किस विधा में है और उसका
उद्देश्य क्या है ( लिखने के सिवा ) तब वह इस प्रकार की टिपण्णी करते है | जब तुम्हारा
लिखा हम नहीं समझ सके, तो हमारा लिखा तुम समझ कर दिखाओ |
(२) बढ़िया , सुन्दर , वाह , इन टिप्पणियों का क्या अर्थ है ?
इस प्रकार की टिपण्णी ब्लागर की वरिष्ठता को दर्शाती है |
तब हमने उसे एक व्यवहारिक उदहारण दे कर समझाया जिस प्रकार किसी कनिष्ठ लिपिक
के बच्चे के जन्म दिन पर मुख्य प्रशासनिक अधिकारी घर आके ग्यारह रुपये दे कर ,
बिना कुछ खाए चला जाये यह भी ठीक उसी प्रकार है |
(३) कॉपी - पेस्ट लम्बी टिपण्णी इन टिप्पणियों का क्या अर्थ है ?
इस प्रकार की टिपण्णी का प्रयोग अधिकतर नए ब्लागर करते है इसका उद्देश्य ज्यादा से
ज्यादा ब्लॉगों पर जाकर अपनी उपस्थिति दर्ज करना होता है | (अब हम भी मैदान में है)
और काम की बात सबसे नीचे लिखी होती है कृपया मेरे ब्लाग पर आयें I
(४) पाँच से अधिक शब्दों की रचना से सम्बंधित टिपण्णी
मैंने कहा यह वह ब्लागर जिन्होंने स्कूल में सूर, कबीर, तुलसी रहीम को पढ़ा और कॉलेज में
पन्त , निराला , महदेवी वर्मा , रामचंद्र शुक्ल को पढ़ा और साहित्य में रूचि रखने लगे |
आज उनकी यह मज़बूरी बन गयी है कि साहित्य को जिन्दा रखने के लिए वह टिप्पणी करें |
अपने प्रश्नों का उत्तर पा कर जब वह उठने लगा तो हमने कुछ समझदार टिप्पणीकार जो
बिना पढ़े ही कॉपी -पेस्ट सुविधा का लाभ उठाते हुए ही दो अलग अलग टिपण्णी को जोड़कर
टिपिया देते है उनके बारे में बताया वह टिप्पणियाँ ब्लाग पर कुछ इस प्रकार दिखती है I
संवेदनशील ,अच्छा व्यंग्य , बधाई....
मर्मस्पर्शी , मजा आ गया .....