सोमवार, अगस्त 30, 2010

तहजीब


तहजीब तो हमारे
पुरखों की शान होती है |
इसको संभालने में
हमारी उम्र तमाम होती है |

बेहयाई को फैशन का
जामा पहनाने वालों
मत भूलो ,तुम्हारे घर में भी
एक बेटी जवान रहती है |

सोमवार, अगस्त 23, 2010

ख़्वाबों को जीना



माना की ख्वाबों  को जीना ,
 भी कोई बुरी बात नहीं |
मग़र ख्वाबों  के टूटने पे 
टूटना भी सही बात नहीं |


अगर ख्वाबों को ही  जीना तो ,
उनको बदलने का कोई रास्ता निकाल लो |
वरना अपने ख्वाबों को ज़हर ,
देने की आदत भी डाल लो |


गुरुवार, अगस्त 12, 2010

आज का बेटा


ना जाने मै  अपनी ज़िंदगी के
किस मोड़ पर मै आया हूँ
जो मुझे छोड़ ही नहीं सकती
मै उस माँ को छोड़ आया हूँ |
 याद है मुझको, पड़ रही थी
धूप जब, ग़मों की  मुझ पर
बस उसके आँचल की छाँव थी मुझ पे 
मै आज यह भी भूल आया हूँ | 
 वह जो फर्ज की शक्ल में
अहसान हम सब  पर करती है
इसको खुदगर्जी कहूँ या मज़बूरी ?
 उनको कुछ सिक्कों से तोल आया हूँ |
बहते हुए आँसुओं से उसके ,
भींगते हुए आँचल का ख्याल था मुझको
बस इसलिए लौट कर आने का
झूठा दिलासा दे कर आया हूँ |

रविवार, अगस्त 01, 2010

"फ्रेंडशिप डे " पर एक दोस्त का दर्द



ना जाने किस तरह के  लव्ज
मेरी जुवां से फ़िसल गए |
जो सदियों से दिल में रहते थे
वह पल में निकल गए |
हालाँकि कि मुझको उनसे
कोई शिकवा गिला नहीं |
मग़र परेशां ज़रुर हूँ ,
क्या दोस्ती के मायने बदल गए |