गुरुवार, मार्च 03, 2016

खोया बच्चा.....

आज एक हास्य कविता 

एक बच्चा रो रहा था , मेले में  अनाउंसमेंट हो रहा था ,
जल्दी आएं जिन का बच्चा हो ले जाएँ | 
तभी सौ से ज्यादा लोग वहां आते है 
जल्दी से बच्चा दिखाओ चिल्लाते हैं
बाह बोला आप लोगों को क्या हो गया है 
क्या आपका बच्चा भी खो गया है | 
भीड़ बोली हम कोई बच्चा लेने थोड़ी आएं हैं | 
जिन का बच्चा कैसा होता है यह देखने आये हैं | 

शुक्रवार, मार्च 20, 2015

क्रिकेट विश्व कप 2015 विजय गीत

धोनी की सेना निकली दोहराने फिर  इतिहास 
अब तो अपनी पूरी होगी विश्व विजय की आस |

शास्त्री  की रणनीति भी है और विराट  का शौर्य ,
धोनी की तो धूम मची है विश्व में चारों ओर |
रोहित  का जब बल्ला बोले तब गेंदबाज  हो निराश,
अब तो अपनी पूरी होगी विश्व विजय की आस |

शमी और  यादव  छुड़ा रहे है बल्लेबाज के छक्के ,
तरकश में अभी तीर बचे है अश्विन  और रविन्द्र  के |
मोहित को  भा  जाये विकट  , तो कर दे सबका नाश ,
अब तो अपनी पूरी होगी विश्व विजय की आस |

राम का आशीर्वाद तुम्हें है ओर दुआएं अली की ,
अब शान बड़ा दो आपने देश  गाँव और गली की| 
विजय तिरंगा फहरा दो, करो ना हमको निराश ,
अब तो अपनी पूरी करदो विश्व विजय की आस |

धोनी की सेना निकली दोहराने फिर  इतिहास 
अब तो अपनी पूरी होगी विश्व विजय की आस |

शनिवार, मार्च 14, 2015

सात जन्म का साथ ...

पत्नी बोली , शादी के समय तो
सात जन्म साथ निभाने का वादा करते हो |
और शादी के बाद ,
सात मिनट में ऊब जाते हो |
इंसान से ज्यादा प्यार आजकल पक्षी कर रहे हैं
वह देखो, उस डाल पर बैठे ,
चिड़वा और चिड़िया दो घंटे से ,
कितने प्यार से बात कर रहें हैं |
पति बोला , भाग्यवान
तुम्हारी आँख की रोशनी  काम हुई है या मति मरी गयी है |
 ध्यान  देखो ,
चिड़वा तो वही है पर   चिड़िया बदल गयी है |

बुधवार, अक्तूबर 01, 2014

मेरा सूरज

मेरी छत पर आकर सूरज
क्यों ? जल्दी ढल जाता है |

उगते सूरज की पहली किरण ,
जब मेरे आँगन में पड़ती है |
फटा बिछौना टूटी खटिया ,
यही तो उसको दिखती है |

धीरे धीरे तपता  सूरज ,
जब मेरी रसोई में आता है |
खली बर्तन ,ठंडा चूल्हा ,
और नहीं कुछ वह पाता है |

लिए लालिमा सूरज ,
जब मेरी खिड़की पर आता  है|
बूढ़ी माँ का पीला चेहरा ,
शायद वह देख ना पाता है |

इसी लिए तो मेरी छत पर ,
आकर सूरज जल्दी से ढल जाता है |


रविवार, सितंबर 21, 2014

यह क्या है ?

इसे किस्मत का करिश्मा मानूँ 
या कहूँ कि उसकी तदवीर थी ऐसी | 


आज नोटों को गिन रहा है वह ,
कल तक जो सिक्कों का हिसाब रखता था 



रविवार, सितंबर 14, 2014

हिंदी एक पुष्प

हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में राजभाषा को समर्पित कविता



 


रंग बिरंगे फूल खिले है  
भाषा के इस उपवन में |
सबकी अपनी सुगंध बसी है
हर मानस के मन में |
मग़र इस उपवन की शोभा को
बस एक ही पुष्प बढ़ाता
नाम पड़ा है हिंदी जिसका 
और जो सबको महकाता  |
अपने रस की कुछ बूंदों को 
जब इसने कविता में डाला 
अमर हो गए कवि देश के 
पन्त प्रसाद और निराला |

  
 


जिसके मन में बसी यह भाषा 
या जो इसको अपनाता |
नहीं ज़रूरत किसी प्रमाण की 
वह सच्चा देश भक्त कहलाता |

शुक्रवार, नवंबर 01, 2013

दीप जलाना सीखो ....

छाया हो जब घनघोर अँधेरा,
तब तुम दीप जलाना  सीखो ।

कुछ रोना कुछ हंसना सीखो,
कुछ खुद को समझाना सीखो ।

गुस्से से ना मिलेगा कुछ भी,
प्यार से जिद मनबाना सीखो ।

भींगी बिल्ली रहोगे कब तक,
कभी तो शेर बन जाना सीखो ।

बनों  पुजारी शांति के तुम,
पर कभी तो आँख दिखना सीखो ।

क्रोधित हो कर मिले जब कोई,
प्यार से उसको समझाना सीखो ।

छाया हो जब घनघोर अँधेरा,
तब तुम दीप जलाना  सीखो ।

रविवार, अक्तूबर 20, 2013

मतला और एक शेर ...


क्यों तमाशायी भीड़ का हिस्सा बनें हैं आप 
अच्छा तो होगा, कोई किरदार आप भी निभा जाइये |
 
आनें जानें के दरमियां जो वक्त मिला है आपको 
जो दिलो दिमाग पर छा जाये, कोई ऐसा काम कर जाइये | 

रविवार, अगस्त 18, 2013

आम आदमी


तुमको तुम्हारे शहर की 
सड़कों पर पड़ी ,
जिन्दा लाशों की कसम 
मत डालना तुम ,
इन पर झूठी सहानुभूति का कफ़न 
इनको यूँही पड़ा रहने दो 
चीखने दो चिल्लाने दो 
तुम्हारी सभ्यता की कहानी 
इनको ही सुनाने दो 
सड़क पर पड़े हुए यह लोग 
हमारे बहुत काम आते है |
तभी तो हमारे राजनेता 
इनके भूखे नंगे तपते हुए पेटों पर 
राजनीति की रोटियां सेंक जाते है |
इनको तरह तरह से  
उपयोग में लाया जाता है |
कभी राम कभी अल्लाह के नाम पर ,
इनका  ही  तो खून बहाया जाता है 
और कभी कभी अपनी सियासत, 
चमकाने और ताकत दिखाने के लिए 
इन आम आदमियों के नाम पर 
भारत बंद बुलाया जाता है | 
चुनावों के समय हम ,
इनको आम जनता कहते है |
और फिर आने वाले चुनावों तक ,
आम की तरह चूसते रहते है |
यह रोते है तो रोने दो 
मत जगाओ, सोने दो |
जिस दिन यह सोता हुआ, 
आम आदमी जाग जायेगा ,
उस दिन से संसद का रास्ता 
बहुत कठिन  हो जायेगा |


(यह रचना आज के समय में बहुत ही सार्थक प्रतीत होती है । इस लिए 
इसको पुन: प्रकाशित कर रहा हूँ )


मंगलवार, अगस्त 06, 2013

शहादत पर सियासत ...

आज सारा भारतवर्ष  शहीदों को अपने अपने अंदाज में श्रद्धांजलि  दे रहा है |  अब प्रश्न  उठता है इनमें से कितने लोग इन्हें कल याद रखेंगे इसका उत्तर  मै आप परछोड़ता हूँ |क्या आपने कभी यह सोचा  जिस परिवार का कोई व्यक्ति शहीद  होता है उस घर का क्या हाल होता है |
मै इस रचना के माध्यम से आपको एक शहीद के घर में लेके चलता हूँ |अगर इस रचना 
को पढ़ते समय आपके आँसू  निकले तो निकलने दीजिये मै  यह चाहता हूँ यह रचना आंसुओं के माध्यम से आप तक पहुंचे।     

बेटे के जब मौत का संदेशा घर में आया था |
तब बूढी माँ के आँखों में तो सागर उतर आया था |

कंधे पर खिलाया था जिसने अपने लाल को ,
अर्थी का तो  वोझ भी उसी कंधें ने उठाया था |

अभी सुहाग कि सेज के तो फूल मुरझाये नहीं ,
 और चूड़ियों  के टूटने का समय वहाँ आया था | 

भाई ओर बहन के करुण क्रंदन को देख कर ,
अपने किये पे  तो काल भी पछताया था |