बाल कविताओं में व्यंग्यात्मक पुट , जी हाँ अचानक आज मुझे
अपने बचपन की दो कवितायेँ याद आ गयीं | इनके रचियता तो
मुझे मालूम नहीं है मगर उनकी छाप मेरे जहन में आज भी है |
जहाँ तक मुझे ज्ञात है कि बाल कवितों का उद्देश्य शिक्षाप्रद होता है |
मगर इनका क्या उद्देश्य है | अब आप ही बताइए .....
(१)
बिल्ली बोली चूहे भैया,
आओं मिलाओ हाथ |
बिल में क्यों छिप कर बैठे हो ,
मिल कर खेलो साथ |
चूहा बोला बिल्ली मौसी,
मुझको ना बहलाओ |
आँगन में है कुत्ते मामा
उनसे हाथ मिलाओ |
(२)
डाक्टर देखो भली प्रकार ,
मेरी गुडिया है बीमार |
परसों बरसा रिमझिम पानी
उसमे भींगी गुडिया रानी |
भींगे कपड़े दिए उतार,
फिर उसको चढ़ा तेज बुखार |
सौ के ऊपर डिग्री चार |
डाक्टर देखो भली प्रकार
जब तक गुडिया रहे बीमार
तब तक पैसे रहे उधार|
मज़ेदार नर्सरी राईम!!
जवाब देंहटाएंबहुत सही....
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया ....
जवाब देंहटाएंis sundar baal geet ne bachpan ki yaad dila di .
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और शिक्षाप्रद कविता| धन्यवाद |
जवाब देंहटाएंबच्चों के लिए सिर्फ शिक्षाप्रद ही कुछ मनोरंजक कवितायेँ भी होनी चाहिए, जिसमे ये खरी उतरती है.
जवाब देंहटाएंदोनों ही कवितायें बाल मन को भाने और गुदगुदाने में सक्षम हैं !
जवाब देंहटाएंसुन्दर, सरस और सरल !
bhut sundar kavitaye hai..
जवाब देंहटाएंsunder kavita
जवाब देंहटाएंपहली कविता में चुहेजी बहुत होशियार हैं और दूसरी कविता में गरीबी की झलक मिलती है या फिर भरोसे की कमी !
जवाब देंहटाएंबेहद अच्छी रचनाएँ.
जवाब देंहटाएंमुझे बच्चा बनकर गाने में आनंद आया.
पहले नहीं सुनी पर सुनने में आनन्द आ गया।
जवाब देंहटाएंबच्चों को सिखाने में काम आएँगी. मनभावन.
जवाब देंहटाएंनिसंदेह व्यंग की बेहतरीन छटा देखने को मिली इन रचनाओं में ।
जवाब देंहटाएंव्यावहारिक बातों को जीवन में उतारने की सीख देतीं ये रचनाएँ अच्छी हैं . मेरी बधाई स्वीकारें -अवनीश सिंह चौहान
जवाब देंहटाएंपहली रचना में चूहे की चालाकी और दूसरी में बिटिया की मासूम सी चतुराई ...
जवाब देंहटाएंbachchon ki bhasha men......bahut achchi.
जवाब देंहटाएंमैं पिछले कुछ महीनों से ज़रूरी काम में व्यस्त थी इसलिए लिखने का वक़्त नहीं मिला और आपके ब्लॉग पर नहीं आ सकी!
जवाब देंहटाएंआपकी टिपण्णी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
बहुत सुन्दर और उम्दा रचना लिखा है आपने ! बेहतरीन प्रस्तुती!
आपकी लेखनी को सलाम !
halki phulki rachnaye bhi kabhi kabhi man prsann kar jati hai....
जवाब देंहटाएंbahut sunder lagi....
अरे वाह, मजा आ गया।
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पैरों तले जमीन खिसक जाए!
क्या इससे मर्दानगी कम हो जाती है ?
चूहा बिल्ली से ज़ियादा और तीमारदार डॉक्टर से ज़ियादा चालाक निकले.
जवाब देंहटाएंमुदई हस्त और गवाह सुस्त वाली कहावत चरितार्थ हुई
जवाब देंहटाएंbahut khoob maja aa gaya padh kar
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