बुधवार, अगस्त 29, 2012

आधा कम्बल.......


किसी गाँव में एक व्यक्ति अपने पत्नी और  अपने इकलौते  बेटे के साथ रहा करता था ।
अचानक एक दुर्घटना में उसकी पत्नी की मृत्यू  हो गयी । कुछ दिन गुजरने के पश्चात् उसने 
सोंचा घर सँभालने के लिए एक  स्त्री  की आवश्यकता होती हैं क्यों ना अपने बेटे की शादी
करदी जाये ।अत: उसने अच्छा सा रिश्ता देख कर उसका विवाह कर दिया । इस बीच उसके घर एक बेटे का जन्म भी हो गया ।अब वह दिन भर अपने पोते के साथ खेलता रहता और 
घर बाहर  का काम  भी कर दिया करता इस तरह उसके दिन अच्छे गुजरने लगे ।
एक दिन अचानक उसके बेटे ने  कहा देखिये पिता जी आप तो जानते ही हैं कि घर का 
खर्चा कितना बढ़ गया हैं और आप के लगातार बीमार रहने से इलाज भी कराना  पड़ता हैं ।
आप दिन भर खांसते रहते हैं अगर यह छुआछूत का रोग मेरे बेटे को लग गया तो हम एक 
बड़ी मुश्किल में पड़ जायेंगे क्यों ना आप घर छोड़ कर किसी बृद्ध  आश्रम में चले जाएँ तो 
यह हम सब के लिए अच्छा होगा । पिता ने उसके प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया और जाते समय बोला मुझे ओढ़ने के कुछ दे दो बाहर बहुत ठण्ड हैं ।बेटे ने पुराना कम्बल निकाल कर 
दे दिया। उसने उस कम्बल के दो हिस्से करे और अपने बेटे से बोला इसे संभाल कर रखना 
यह आधा कम्बल कुछ समय बाद तुम्हारे काम आएगा ....... 

   

शुक्रवार, अगस्त 17, 2012

हिंग्लिश बाल कविता

बरसात के दिनों में एक अध्यापक ने विद्यार्थी से स्कूल  ना आने का कारण पूछा तब उसने कुछ इस तरह से बताया ....





इट वाज रैनिंग झमाझम । 
रोड पर आते थे जब हम ।  
लेग माई फिसलिंग गिर पड़े हम ।
इसी वजह से कुड  नॉट कम । 


सोमवार, अगस्त 13, 2012

यह भी एक बेटी है ......






बेटी बचाओ 

बेटे और बेटी में ,
भेद मत कीजिये |
बेटियों को जीने का
अधिकार आप दीजिये |
इंदिरा और कल्पना की,
उड़ान तुमने देखी है |
अब अपनी सायना की
शान अब देखिये |
एक दिन नाम यह
तुम्हारा कर जाएँगी
बस एक बेटी घर में
पाल के तो देखिये

(आज एक पूर्व प्रकाशित रचना) 

रविवार, अगस्त 05, 2012

मित्र की एक परिभाषा.........


मित्रता दिवस पर मित्र की एक  परिभाषा 

F     FELLOW ( WHO)
R    READY 
I      IN 
E    EVERY 
N    NEED (AND) 
D    DEED


मित्रता दिवस की हार्दिक बधाई 


शुक्रवार, अगस्त 03, 2012

मतला और एक शेर,.......



जब दवा बेअसर हो जाती है तब दुआओं का असर होता हैं |
सताना गरीब को छोड़ो , बददुआओं  का भी असर होता हैं| 

और ग़र आ रही हो, ज़िल्लत की महक किसी रोटी से ,
मत भूलो मेरे दोस्त उसका एक निबाला भी ज़हर होता हैं ।

रविवार, जुलाई 22, 2012

किसकी चली ?


ना हिन्दू की चली ना मुस्लिम की चली ,
तभी तो रमजान में राम और दीवाली में अली ।
किसकी चली ?

 मजहबी दंगे में मेरे  शहर में दो  लाशें   मिली,
 एक लाश  दफ़न हुई और दूसरी जली।
 किसकी चली ?

बना तो दीं  एक सी, मगर तासीर अलग अलग ,
एक नमक का गर्रा तो दूसरी मिश्री की डली ।
किसकी चली ?    

रविवार, जुलाई 15, 2012

चंद शेर आपके लिए.......

मेरे शहर में एक गली हो ऐसी ,
जहाँ मुहब्बत ही पल रही हो ।
जहाँ फ़ज़र की नमाज भी हो .
और लौ आरती की भी जल रही हो ।

क से काशी और  क से काबा ,
म से मंदिर मस्जिद हैं ।
मुझे दिखा दो किताब ऐसी ,
जो मायने इनके बदल रही हो ।

चलो उखाड़ कर हम फेंकें ,
दहशत के उन पेंड़ों को ।
इधर साख हो  जिनकी फैली,
मगर उधर जड़ निकल रही हो ।


रविवार, जून 17, 2012

फादर्स डे पर एक बाप की मज़बूरी



एक दिन एक रोजगार बाप ,
अपने बेरोजगार बेटे की
किसी बात पर खुश हो गया |
और अनजाने में अपनी उम्र
उसको लग जाने का ,
आशीर्वाद दे गया |
जब उसे कुछ ध्यान आया
तब वह कुछ
सोच कर पछताया
अगर वह अपनी ,
उम्र से पहले मर जायेगा |
तब उसका बेटा ,
भूख से मर जायेगा |


(पूर्व प्रकाशित रचना )


मंगलवार, मई 08, 2012

आख़िर ऐसा क्यों हुआ ...............

उसका नाम था अनुपमा , देखने में आकर्षक व्यक्तिव और उम्र लगभग चालीस साल परिवार 
के नाम पर दो बच्चे और पति ।वह एक निजी कंपनी में स्टेनो के पद पर कार्य करती थी ।
उसके पति एक कंपनी में इंजिनियर थे ।अच्छा वेतन, कोठी, कार,या यूँ कहें की खुश रहने    के मापदंडों के काफी करीब था वह परिवार .......अनुपमा के परिवार में दो छोटी 
बहिनें मां  और पिता जी मान एक स्कुल में अध्यपिका थीं और पिता जी आर्मी के 
रिटायर कैप्टन जो पेंशन  के साथ साथ शराब की आदत भी अपने साथ लाये थे । रोज़ 
किसी ना किसी बहाने से मां  के साथ लड़ाई गाली  गलौज होना निश्चित था ।या यूँ कहें 
यह  भी दिनचर्या का एक हिस्सा था ।यह देख कर अनु को बहुत कोफ़्त होती थी क्या दो 
चुटकी सिंदूर मांग में भर देने से पुरुष को अत्याचार करने का अधिकार यह समाज क्यों 
दे देता हैं। उसे सबसे ज्यादा गुस्सा अपनी माँ पर आता जो रात की पिटाई को सुबह भूलने 
की आदी हो चुकी थी उस पर निर्जल व्रत रख कर सज धज कर करवाचौथ के दिन उसकी 
आरती उतारती .....मैं अनुपमा की पति को जानता  था एक हंसमुख इंसान जो हर बात 
पर जोक सुनाता हो और शेर ओ शायरी में अच्छी दखलंदाजी रखता हो ।अनुपमा की सारी 
बातें उसी ने मुझें बताई थीं ।
एक दिन अनुपमा मुझे मिली वह थोड़ी उदास लग रही थी मैंने पूछा "क्या बात हैं कुछ 
झगडा हुआ क्या ? वह बोली क्या  बताऊँ भाई साहेब मुझे ऐसा लगता हैं कि आजकल 
वह मुझे इग्नोर कर रहें  हैं।यह मैं किसी कीमत पर सहन नहीं कर सकती और वह गुस्से 
में कापने लगी । मैंने किसी तरह समझा बुझा कर घर भेजा और अगले दिन उसके पति 
से बात करने का मन बना लिया ।ऑफिस में इधर उधर की बात करने के बाद मैंने उससे 
अनुपमा की बात की वह अचानक ही संजीदा हो गया और कहने लगा तुमको तो मालूम ही 
हैं आजकल मंदी चल रही हैं और मेरी नौकरी गए हुए एक महिना हो गया यह बात मैंने 
अनु को नहीं बताई ।कल ही उसको बताया की मेरी नौकरी चली गयी उसने हंस कर कहा 
यह तुम्हारी समस्या है जिसका हल तुम्हें निकालना  हैं। मैं कुछ नहीं जानती ।
          कुछ दिनों बाद मेरे दोस्त से फिर मुलाकात हुई मैंने हालचाल पूछा उसने 
कहा सब ठीक हैं  पर अनु मुझे छोड़ कर चली गयी । मै सन्न रह गया ।
उसने हंस कर कहा यार एक शेर नहीं सुनोगे 
बागबां  ने जब लगायी मेरे नशेमन में आग़ 
जिनपे तकिया था वही  पत्ते हवा देने लगे ।
एक बार फिर वह हंस कर बोला दाद नहीं दोगे मै  स्तब्ध था और निशब्द .......

       
 ( पुन: सम्पादित रचना ) 
                 
      

मंगलवार, मई 01, 2012

शुक्र है कि टौमी बच गया ....(लघुकथा)

चमचमाती कार बंगले  के अन्दर तेज़ गति से घुसी और अचानक ही ड्राइवर ने  ब्रेक लगा 
कर कार रोक दी क्योंकि कार के आगे साहेब का विदेशी कुत्ता टौमी आ गया था ।
ड्राइवर ने किसी तरह टौमी को बचा दिया ।मगर इस हादसे में घर में काम करने वाली 
आया का चार साल के  बच्चे  को चोट आ गयी ।साहेब ने जल्दी से कार से उतर कर  
आये और आया  को सौ रुपये दिए और कहा जाओ इसकी मलहम पट्टी करवा लो ।
थोड़ी देर बाद घर कें अंदर सबके चेहरे  खिले हुए थे और जुवान पर एक बात थी ।
भगवान का शुक्र है कि टौमी बच गया ......