बुधवार, जुलाई 20, 2011

भटका हुआ पथिक !



मरुस्थल की
तपती रेत,
उस पर 
एकांत का सानिध्य 
द्रष्टि का, 
दूर तक जाना 
और फिर 
निराश लौट आना |
थके क़दमों का प्रश्न 
सुनी आँखों से 
कितनी दूर और ?
यकायक, 
तन्द्रा का टूट जाना 
पथ से भटकने 
का आभास, 
और फिर 
एक नये पथ को 
खोजने का प्रयास !


 (चित्र गूगल के सौंजन्य से )

34 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत खूब सुनील जी


    भटकने के बाद ही .....किसी नई राह का यूँ ही अचानक मिल जाना ...........आभार

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  2. पथ से भटकने का अहसास होना ही पथिक को नयी राह दिखता है...
    बहुत सुन्दर रचना...आभार

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  3. बेहतरीन ! चित्र और शब्दों का बेहतरीन सामंजस्य !
    सुंदर भाव दोनों मैं.
    आभार.....................

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  4. अपनी खोज जारी रखें ताकि हमें अच्छी रचना पढ़ने को मिलती रहे

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  5. बहुत ही खूबसूरती से भावो को वयक्त किया है आपने....

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  6. नए पथ को ढूँढने का प्रयास ही ज़िंदगी को आगे बढ़ाने में सहायक होता है ..एक आशावादी रचना

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  7. शायद जीना इसी का नाम है। सुंदर।

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  8. नए रस्ते की तलाश तभी शुरू होती है,
    जब आदमी अपने बंधे बंधाये पथ से भटकता है.
    और हर आदमी एक नए रास्ते की तलाश ज़रूर करता है, एक बार.
    ---------------------------------------------
    मैंने आपको फोल्लो किया है,

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  9. नया पथ खोजना ही बताता है जीवित होने की सच्चाई... जो नया पथ खोजने की ओर बढ़ा ही नहीं, उस का जीवित होना, न होना सब बराबर.

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  10. भटकन के बाद जो अनुभव होता है, वही नयी राहों का आधार भी होता है।

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  11. Galat rahon par chalne se manjil badal jati hai,
    ek chuk se jindgi me sahil badal jate hai,.....
    Bahut hi achi rachna likhi hai apne:
    jai hind jai bharatGalat rahon par chalne se manjil badal jati hai,
    ek chuk se jindgi me sahil badal jate hai,.....
    Bahut hi achi rachna likhi hai apne:
    jai hind jai bharat

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  12. गहन जीवन दर्शन है आपकी इस रचना में....

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  13. यह जिंदगी जैसी चीज़ इसी को कहते हैं :)

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  14. यही क्रम है विकास का| भटकन अक्सर कुछ नए रास्तों पर भी ले जाती है, बशर्ते दिलोदिमाग अपनी जगह पर हों|

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  15. नए रस्ते की तलाश ही विकास का द्योतक है

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  16. आशावादी नजरिया.
    जीना इसी का नाम है.

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  17. सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ उम्दा रचना लिखा है आपने ! बधाई!
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://seawave-babli.blogspot.com/

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  18. दार्शनिक अनुभूतियों के साथ नवीनता की खोज में मानव मन का संवेदी चित्रण. शब्दों और संजोजन ने सार्थक भूमिका निभाई तथा चित्र ने सार्थकता प्रदान की, तःटी और कथ्य दोनों को. प्रस्तुति अच्छी लगी.

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  19. बहुत सुन्दर शब्दचित्र उकेरा है..बहुत सुन्दर प्रस्तुति..

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  20. raah bhatkne ka ahsas jab hota hai tabhi to nayi raah ki tlash jari karta hai insan......bahut sunder parstuti sunil ji

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  21. यही तो जीवन यात्रा है- एक स्वप्न टूटता है दूसरा बंधने लगता है॥

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  22. आशावादी दृष्टिकोण सफल रचना है

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  23. भटकने के बाद ही कोई राह मिलती है..बहुत सुन्दर रचना..

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  24. sunil ji kavita bahut bahut achchhi lagi ,jald hi agli post padhne aati hoon ,aapki aabhari hoon dil se ..

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  25. मुझे ये बताते हुए बहुत ख़ुशी हो रही है की हिंदी ब्लॉगर वीकली{१} की पहली चर्चा की आज शुरुवात हिंदी ब्लॉगर फोरम international के मंच पर हो गई है/ आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा आज सोमवार को इस मंच पर की गई है /इस मंच पर आपका हार्दिक स्वागत है /आइये और अपने विचारों से हमें अवगत कराइये/इस मंच का लिंक नीचे लगाया है /आभार /

    www.hbfint.blogspot.com

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