चौराहे से निकली ,
एक गली |
उसी गली का
आखिरी मकान,
किसका मकान ?
किसका मकान ?
लोगों का प्रश्न
क्यों खुले हैं दरवाजे
और बंद है खिड़कियाँ
मकान का उत्तर
खुले दरवाजे ,
तुम्हारी इज्ज़त पर ,
आंच नहीं आने देते |
और बंद खिड़कियाँ
तुम्हारे नंगेपन को ,
दिखने नहीं देतीं |
गहरी।
जवाब देंहटाएंखुले दरवाज़े ने और बंद खिड़कियों ने गहरी बात कह दी
जवाब देंहटाएंअंत:करण से निकली बहुत गहरी अभिव्यक्ति....
जवाब देंहटाएंविचारणीय और सार्थक रचना .......गणेश चतुर्थी की बधाई
जवाब देंहटाएंबेहतरीन शब्दो मे गहन भावो को उकेरा है…………शानदार प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंक्या कहने
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
gahre ehsaas hain.... anurodh hai ki aap rachnaaon ko khol den taki main suvidhanusaar rachnayen kabhi bhi le sakun
जवाब देंहटाएंवाह बहुत ही बदिया और गहरी बात कहदी सुनीलजी आपने /बहुत बेमिसाल रचना /बधाई आपको /
जवाब देंहटाएंदरवाजे और खिडकियों का जवाब .....कविता का चरम
जवाब देंहटाएंकल 2/09/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
बहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंगणशोत्सव की शुभकामनाएँ।
वाह वाह वाह वाह..
जवाब देंहटाएंबहुत गहन और दिल को छूने वाली अभिव्यक्ति...लाज़वाब
जवाब देंहटाएंintense...
जवाब देंहटाएंbeauteous !!!
ईद की सिवैन्याँ, तीज का प्रसाद |
जवाब देंहटाएंगजानन चतुर्थी, हमारी फ़रियाद ||
आइये, घूम जाइए ||
http://charchamanch.blogspot.com/
Very touching...
जवाब देंहटाएंVery nice meaningful creation a cruel truth...
Very deep thought and thought provoking as well. Great post!
जवाब देंहटाएंहृदय के खुले किवाड़ और लज्जा की बंद खिड़की व्यक्तित्व को मानवीय बना देती है. सुंदर कविता. वाह.
जवाब देंहटाएंबड़ी बारीकी से व्याख्यायित किया है आपने।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति...गहन विचार
जवाब देंहटाएंसुनील जी इस बार तो हिला के रख दिया
जवाब देंहटाएंसोच रहा हूँ और समझने की कोशिश कर रहा हूँ
गहरी अभिव्यक्ति के साथ प्रस्तुत की गई उत्तम कविता
bhavatmak .gambheer.
जवाब देंहटाएंफांसी और वैधानिक स्थिति
अच्छे बिम्ब उठाए हैं खिड़की दरवाजों के माफिक .विचार सौन्दर्य भाव सौन्दर्य में दूध पानी सा रिलमिल गया है .यथार्थ परक कविता जीवन की अन्दर ई बात बताती .
जवाब देंहटाएंभावमय करते शब्दों के साथ बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंHi I really liked your blog.
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गहरे भाव लिए बेहतरीन प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंयथार्थवादी चित्रण.................
गहन भाव युक्त....शुभकामनायें !!!
जवाब देंहटाएंअतिसुंदर प्रयोग सुनिल जी॥
जवाब देंहटाएंगहरे भाव के साथ बहुत सुन्दर रचना लिखा है आपने ! बेहतरीन प्रस्तुती !
जवाब देंहटाएंआपको एवं आपके परिवार को गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनायें!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
badhiya lagi rachna .......
जवाब देंहटाएंक्या आप कुछ कहना चाहेंगे इस कविता को लिखते समय क्या भाव थे आप क्या कहना चाह रहे थे.. कठिन कविता लगी मुझे...
जवाब देंहटाएंखुले हैं दरवाजे
जवाब देंहटाएंऔर बंद है खिड़कियाँ
दरवाजों का खुला होना मन के खुलेपन का प्रतीक और बंद खिड़कियाँ एक सीमांकन है निजता को सुरक्षित रखने का ....बहुत बढ़िया
आपकी पोस्ट ब्लोगर्स मीट वीकली(७) के मंच पर प्रस्तुत की गई है/आपका मंच पर स्वागत है ,आप आइये और अपने विचारों से हमें अवगत कराइये /आप हिंदी की सेवा इसी तरह करते रहें ,यही कामना है / आप हिंदी ब्लोगर्स मीट वीकलीके मंच पर सादर आमंत्रित हैं /आभार/
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ........
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें !
bahut umda.........badhai
जवाब देंहटाएंखिडकी और दरवाजे के माध्यम से गहरी बात कह दी सुनील जी ...
जवाब देंहटाएंये बंद गली का आखरी मकान सही कह रहा है । बेहतरीन रचना ।
जवाब देंहटाएं