मंगलवार, जुलाई 13, 2010

क्या यही हमारा विकास है

 
माना पगडंडी को सड़क बना कर
हमने विकास का काम किया है |
और रोटी पर बिछी हुई सब्जी को
हमने पिज्ज़ा का नाम दिया है |
अब आँगन तुलसी  को तरसे ,
और बगिया तरसे  फूलों को
लगा के छत पर नागफ़नी को
 उसे रूफ गार्डन नाम दिया है |
दरकिनार कर अपनी प्रतिभा को
 कंप्यूटर को सब कुछ मान लिया है |
चोरी गड़बड़  घोटालों को ,
हमने हैकिंग का नाम दिया है |
अब मेरे घर में जगह नहीं है
अपने बूढ़े- बूढ़े  लोगों की ,
अलग बना कर घर उनका
उसे ओल्डएज होम का नाम दिया है |

17 टिप्‍पणियां:

  1. सही परिभाषा दी है........तथाकथित विकास की।

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  2. अब मेरे घर में जगह नहीं है
    अपने बूढ़े- बूढ़े लोगों की ,
    अलग बना कर घर उनका
    उसे ओल्डएज होम का नाम दिया है |
    सटीक अभिव्यक्ति। शुभकामनायें

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  3. good presentation. People are forgetting that they also become old some time. We have to protect our mother earth and parents.
    Keep going.
    K.V.SrinivasaRao
    http://kasturivenkat.blogspot.com

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  4. अब आँगन तुलसी को तरसे ,
    और बगिया तरसे फूलों को ..

    How beautifully you expressed the bitter reality of life.

    with progress we must not forget the significance of anyone around.

    Beautiful creation !

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  5. माना पगडंडी को सड़क बना कर
    हमने विकास का काम किया है |
    और रोटी पर बिछी हुई सब्जी को
    हमने पिज्ज़ा का नाम दिया है
    Dard aur saty,dono samete hue hai yah rachana!

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  6. अपने बूढ़े- बूढ़े लोगों की ,
    अलग बना कर घर उनका
    उसे ओल्डएज होम का नाम दिया है.nice

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  7. क्या बात है। रोटी को हमने तो पिज्जा का नाम तो दे दिया। पर स्वाद में भाया नहीं। अब क्या करें लोग। रोटी तो बनानी भूल गए हैं।

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  8. विकास की धज्जी उड़ाती हुयी कविता।

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  9. और रोटी पर बिछी हुई सब्जी को
    हमने पिज्ज़ा का नाम दिया है |
    अब आँगन तुलसी को तरसे ,
    और बगिया तरसे फूलों को
    लगा के छत पर नागफ़नी को
    उसे रूफ गार्डन नाम दिया है |

    क्या बात है .......
    गज़ब लिखते हैं.....!!

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  10. बहुत सुंदर..अपनी जड़ों को सहेजने की अच्छी कोशिश.

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  11. बहुत सुंदर शब्दों में ढाल कर आज के हालात का हवाला दे दिया.

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  12. अब मेरे घर में जगह नहीं है
    अपने बूढ़े- बूढ़े लोगों की ,
    अलग बना कर घर उनका
    उसे ओल्डएज होम का नाम दिया है |
    बिलकुल सटीक, तथाकथित विकास ने अंततोगत्वा माता-पिता को कहाँ पहुँचाया है ..
    बहुत सुन्दर

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  13. अब मेरे घर में जगह नहीं है
    अपने बूढ़े- बूढ़े लोगों की ,
    अलग बना कर घर उनका
    उसे ओल्डएज होम का नाम दिया है |

    ...सच ही लिखा आपने...बेहतरीन पोस्ट. कभी हमारे 'शब्द-शिखर' पर भी पधारें.

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  14. और रोटी पर बिछी हुई सब्जी को
    हमने पिज्जा का नाम दिया है....
    क्या सटीक बात कही है बहुत खूब

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  15. wat an elasticity of thoughts.....depicts ur ken..kp d gud wrk goin...

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