मंगलवार, अगस्त 16, 2011

दिहाड़ी का मजदूर........





एक कंपनी के चीफ सेफ्टी ऑफिसर के फोन की घंटी बजने लगी | उधर से फोन करने 
वाले ने अमुक प्लांट में दुर्घटना की सुचना दी | तुरंत ही उसने अपने अधीनस्थ कर्मचारी 
को घटना स्थल पर भेज कर दुर्घटना की सम्पूर्ण जानकारी देने का आदेश दे कर फोन
रख दिया | सोंचने लगा फिर वही मुआवजे के मांग , कर्मचारी यूनियन की हड़ताल की
धमकी मालिक का लाखों का नुकसान .............थोड़ी देर में फिर फोन की घंटी
बजी | फोन रखने के बाद रहत की सांस ली और मालिक को फोन किया सर एक   
मजदुर के दोनों हाथ कट गए हैं मगर अच्छी खबर यह हैं की वह कंपनी का नियमित 
कर्मचारी नहीं है | ठेकेदार का मजदूर है वह भी दिहाड़ी का................

(चित्र गूगल के सौंजन्य से )

31 टिप्‍पणियां:

  1. विडम्बना ..दिहाडी के मजदूर को मुआवजा नहीं मिलेगा .. उसकी ज़िंदगी की कोई कीमत नहीं .. दुर्भाग्यपूर्ण

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  2. सुनील जी,
    बढ़िया लघु कहानी है अच्छी लगी आभार !

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  3. मन को उद्वेलित करने वाली मार्मिक लघुकथा...

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  4. गरीबी है मज़बूरी है बड़े लोगों को क्या फर्क पड़ता है हाथ कटे या मरे.....ये तो सत्य है

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  5. उफ़ संवेदनहीनता की पराकाष्ठा को दर्शाती सशक्त लघुकथा।

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  6. मार्मिक सच्चाई... इंसानियत का पतनकाल यही है...

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  7. सार्थक ,मार्मिक, सत्य बयान करती लघुकथा....

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  8. यह कहानी नहीं है कड़वा सच है...अभी हाल ही में यहाँ एक मजदूर का हाथ कोलतार से जल गया उसे अस्पताल ले जाना तो दूर उस दिन उसे काम भी करना पड़ा वरना पैसे नहीं मिलते, बाद में कुछ दिन इलाज करने के बाद वह ठीक हो रहा है पर इस बीच कोई उसे देखने तक नहीं आया... आज समाज कितना हृदयहीन होता जा रहा है..

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  9. ओह ! बहुत ही मार्मिक ... कम शब्दों में बहुत कुछ सामने आ गया है, लेकिन ये ही सत्य है.

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  10. इसी को तो कहते हैं- किसी की जान गई और किसी की अदा ठहरी॥

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  11. कंपनी की बैलेंस शीट की भुजाएं कटाने से बच गयीं!!

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  12. Harsh reality of our working system, How can such people sleep at night???

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  13. ek asngathit majdur ki yahi niyati hai or uski bewasi bhi.........
    sunder laghu katha hetu aabhar ....

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  14. वाह।
    गजब का व्‍यंग्‍य है इस लघुकथा में।
    आए दिन ऐसे वाक्‍ये होते रहते हैं...
    सच के बहुत करीब है ये कहानी।

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  15. सच्चाई को खूबसूरती से उकेरा है आपकी लघुकथा में

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  16. बेहद मार्मिक और सटीक अभिव्यक्ति. आभार.
    सादर,
    डोरोथी.

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  17. संवेदनहीनता की पराकाष्ठा बयान करती लघुकथा।

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  18. आपकी पोस्ट आज चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई ,
    कृपया पधारें
    चर्चा मंच

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  19. नमस्कार....
    बहुत ही सुन्दर लेख है आपकी बधाई स्वीकार करें

    मैं आपके ब्लाग का फालोवर हूँ क्या आपको नहीं लगता की आपको भी मेरे ब्लाग में आकर अपनी सदस्यता का समावेश करना चाहिए मुझे बहुत प्रसन्नता होगी जब आप मेरे ब्लाग पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराएँगे तो आपकी आगमन की आशा में........

    आपका ब्लागर मित्र
    नीलकमल वैष्णव "अनिश"

    इस लिंक के द्वारा आप मेरे ब्लाग तक पहुँच सकते हैं धन्यवाद्
    वहा से मेरे अन्य ब्लाग लिखा है वह क्लिक करके दुसरे ब्लागों पर भी जा सकते है धन्यवाद्

    MITRA-MADHUR: ज्ञान की कुंजी ......

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  20. आपने सही कहा पर होना तो वही है जो सदियों से होता आया है क्यों की ये भारत की जनता है जिसे कुछ दिखाई नहीं देता बस उसे दिखाना पड़ता है जनता तो वही है जो अन्ना के अनसन से पहले थी क्या ये जनता पहले मर गई थी क्या क्या हुआ था इस जनता को १२५ करोड़ जनता में १ अन्ना ही क्यों निकला १ गाँधी जी क्यों निकले बात वही है की अब कलयुग आज्ञा है अभी तो कुछ हुआ भी नहीं है होना तो बाकि है और होना भी क्या है इस देश में आँखों के अंधे रहते है उस देश की दशा असी होती है फूट डालो राज करो इस समय bhrstachar जसे खाने की कोई वस्तु का नाम है जो खरब हो चुकी है अब उसे फेंकना है अरे मेरे देश वाशियो जागो अब भी कुछ हुआ नहीं है पर इस जनता को कुछ कहना भी बेकार लगता है क्यों की सब अपना पेट पलते नजर आते है किसी को नहीं लगता की ये मेरा भारत है मेरा भारत महँ जेसा नारा लगाने से कुछ नहीं होगा कुछ महान कर्म करो अन्ना के पीछे तो तुम लोग हो पर क्या इस लोक पल बिल से सब कुछ सही हो जायेगा ये नेता लोग सब कुछ छोड़ देगे अरे मेरे भाइयो आज अगर किसी ने किसी को मर दिया है तो उस को जेल होते होते २० साल गुजर जाते है फिर जज बदल जाते है मुंबई बम धामके के आरोपी १ अज भी जेल में है पैर उसको फंसी देने की जगह पोलिस उसकी हिफाजत में लगी है उसकी मेहमान नवाजी कर रही है हर रोज़ उसका मेडिकल होता है लाखो रूपया खर्चा होता है जेसे पोलिश का या सरकार का वो जवाई है कुछ नहीं होने वाला इस देश का और नेताओ का जय जवान जय किशन
    अगर आप मेरी बैटन से सहमत नहीं है तो करपिया मेरे ब्लॉग लिंक पे क्लिक करे और अपनी राय देवे
    दिनेश पारीक
    http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/

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