मंगलवार, मई 17, 2011

आज एक मुकम्मल ग़ज़ल


 एक गज़ल के लिए मतला ,कुछ शेर और गज़ल मकता होना जरुरी है | मगर कुछ गज़ल
बिना मकते के ही मुक्म्मल हो जाती है | मकता जिसमें शायर का तख़ल्लुस आता है |
आज मै एक मुकम्मल ग़ज़ल पेश कर रहा हूँ | मै एक नये तख़ल्लुस की तलाश में हूँ |
अगर आप लोग मेरी कुछ सहायता कर सकें  तो, तख़ल्लुस पसंद आने पर यह शेर उसकी 
शान में पढ़ा जायेगा |

दुआएं ,वह लम्बी उम्र की मेरे दिल से पायेगा 
जिसने, कुछ वक्त मेरे लिए ज़ाया किया होगा |



 मौत के साये में पलती जिन्दगी देखी है मैंने 
ज़िन्दगी की खातिर मरती ज़िंदगी देखी है मैंने |

वोझ इतना कि चलना हो मुश्किल एक कदम 
उस पर कुछ तेज चलती ज़िंदगी देखी है मैंने |

जिस चौराहे पर आकर बनते है अपने अजनवी 
बस उसी चौराहे पर खड़ी ज़िंदगी देखी है मैंने |


 ज़िंदगी को संवारना एक मुश्किल काम था" सुनील "
 बस इस लिए बरबाद होती ज़िंदगी देखी है मैंने |

 

44 टिप्‍पणियां:

  1. जिन्दगी सवारने में जिन्दगी निकल गयी, वाह।

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  2. जिंदगी की खातिर मरती जिंदगी देखी है मैने..
    वाह बहुत सुंदर

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  3. जिस चौराहे पर आकर बनते है अपने अजनवी
    बस उसी चौराहे पर खड़ी ज़िंदगी देखी है मैंने |
    bahut hi dil ko chunewaali rachanaa.badhaai aapko

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  4. उम्दा ग़ज़ल....
    बहुत ही प्रभावशाली रचना है एक एक पंक्ति दिल की तह तक जाती है..मुक्कमल ग़ज़ल

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  5. जिन्दगी से रूबरू है शायद जिन्दगी

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  6. बहुत ही सुन्‍दर शब्‍दों के साथ बेहतरीन रचना ।

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  7. अच्‍छा लगा आपके ब्‍लॉग पर आकर....आपकी रचनाएं पढकर और आपकी भवनाओं से जुडकर....

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  8. बहुत ख़ूबसूरत गज़ल..हरेक शेर दिल को छू जाता है..

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  9. मेरी तरफ से भी एक

    जिदंगी जीने के लिए ना जाने कितनी बार मरा हुॅ
    लेकिन आज भी जिदंगी से मैं डरा डरा हॅु।

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  10. जिंदगी की खातिर मरती जिंदगी देखी है मैने..
    मौत का इंतज़ार करती ज़िंदगी देखी है मैंने.....

    दिल की गहराइयों तक जाती मुक्कमल ग़ज़ल ......

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  11. नील गगन तले ज़िंदगी गुज़र रही है तो ‘नील’ तक़्ल्लुस कैसा रहेगा...सुनील कुमार ‘नील’ :)

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  12. कभी ज़िंदगी के दूसरे पहलू को भी सामने रखकर उसे सम्पूर्णता में देखें।

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  13. जिंदगी ऐसे ही होती है | अच्छा लगा ग़ज़ल |

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  14. प्रभावित करती है ग़ज़ल.... ज़िन्दगी का फलसफा कुछ ऐसा ही है

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  15. क्या खूब ...अति शानदार
    मन प्रसन्न हों गया.
    आभार.

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  16. ग़ज़ल के भाव बहुत ही बेहतरीन हैं... मेरे ख्याल से 'नील' तखल्लुस अच्छा रहेगा...

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  17. आद. सुनील जी,
    सुन्दर भावनाओं से सुसज्जित आपके खूबसूरत प्रयास की सराहना करता हूँ !

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  18. सुंदर भाव की गज़ल. जिंदगी को समझते जिंदगी निकल जाती है.
    तखल्लुस के लिए प्रतियोगिता. ये ख्याल भी अच्छा है. शुभकामनाएँ

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  19. जिस चौराहे पर आकर बनते है अपने अजनबी
    बस उसी चौराहे पर खड़ी देखी है ज़िंदगी मैंने.

    बहुत ही उम्दा शे'र है. आपकी ग़ज़ल बहुत अच्छी लगी.

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  20. किसी को क्या मालूम मकते तख्ख्लुस की बातें
    अड़ गई जब गाती हुई जिंदगी देखी है मैंने

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  21. गजल का हर शेर प्रभावशाली है, शुभकामनायें, आप जो भी तख्खलुस रखेंगे अच्छा ही होगा.

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  22. तखल्लुस नया चाहिए तो गली में आज़ रात जोर-जोर से (बेवजह) चिल्लाइये ... कुछ पडौसी आपकी मदद जरूर करेंगे.
    जो नाम ग़ज़ल में फिट बैठे वही बेहतरीन तखल्लुस होगा :)

    एक मोहतरमा ने एक बार मुझसे कहा कि उन्हें गजल बेहद पसंद है. तब मैंने उनसे कहा कि
    "ओ ग़ज़लप्रिये ! गज गमन चली...मुझको कविता ही लगे भली.
    चलती कविता निज मस्त चाल... भूलोगी चलना ग़ज़ल गली.

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  23. गज़ब ………गज़ब ………गज़ब की गज़ल्।

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  24. बेहतरीन ग़ज़ल..शुभकामनाएं..

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  25. मुक़र्रर !मुक़र्रर !बेहतरीन !मरबे -हवा !

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  26. बेहतरीन रचना..

    आपका तखल्लुस "नादां"

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  27. बहुत ही सुंदर ग़ज़ल।
    ज़िंदगी के कुछ पहलुओं पर गहरी नज़र डालती हुई रचना।

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  28. आपकी ग़ज़ल बहुत अच्छी लगी.

    रही तखल्लुस की बात .....तो ‘सुनील’ तक़्ल्लुस तो बुरा नहीं...जो आप दूसरा खोजने निकले.
    आखिर यह माता-पिता जी का दिया नाम है. इसे ही रोशन करिये सुनील जी.

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  29. really a fine Ghazal,dear Sunil bhaaaai ji.
    anoneed to have a title,modern concept of ghazal needs no traditional system except lyricalbalance.My heartly best wishes and thanks for coming on my blog.Keep coming.Regards,
    dr.bhoopendra
    rewa
    mp+

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  30. खूब परिभाषित किया है आपने ज़िन्दगी को

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  31. बहुत सुन्दर और भावपूर्ण ग़ज़ल लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!

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  32. जिंदगी संवरने के लिए बलिदान मांगती है

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  33. टिप्पणी देकर प्रोत्साहित करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!

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  34. ख़ूबसूरत भाव समेटे हैं| बधाई|

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