मंगलवार, जुलाई 26, 2011

यह क्या है .......



क्यों  बदल गयी यकायक हवाओं की खुशबू ,
शायद तेरे घर की आज  खिड़की खुली  होगी |

क्यों  गुम हो गयी यकायक आसमां से चाँदनी, 
शायद एक जुल्फ तेरे चेहरे पर आ गयी होगी |

बेजान दिल ने फिर से धड़कना भी शुरू कर दिया, 
शायद तेरे क़दमों की आहट, दिल को आ गयी होगी | 

31 टिप्‍पणियां:

  1. क्या बात है ..बहुत रुमानियत भरी रचना

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  2. Wah! Behad roomani rachana...harek shabd khoobsoorat,harek pankti lubhawni hai!

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  3. Apki is rachna par hum kya kahen,
    jo khud gulab ho use gulab kya kahen.......

    Lajwaab rachna... Subha subha hi esi rachna padhne ko mili, maja aa gya......

    Jai hind jai bharatApki is rachna par hum kya kahen,
    jo khud gulab ho use gulab kya kahen.......

    Lajwaab rachna... Subha subha hi esi rachna padhne ko mili, maja aa gya......

    Jai hind jai bharat

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  4. बहुत खूब.
    सुन्दर प्रस्तुति.
    आभार.

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  5. बहुत खुबसूरत भाव सुनील भाई ....आनंद आ गया ! शुभकामनायें आपको !

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  6. बहुत ही खूबसूरती से कोमल एहसास को प्रस्तुत किया आपने...

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  7. क्या बात है, बहुत सुंदर

    क्यों गुम हो गयी यकायक आसमां से चाँदनी,
    शायद एक जुल्फ तेरे चेहरे पर आ गयी होगी |

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  8. खुशबू सी आ रही है कहीं ज़ाफ़रान की,
    खिड़की खुली हुई है फिर उसके मकान की! (नीरज)

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  9. कोमल एहसास को प्रस्तुत किया आपने...बहुत ही सुन्दर रचना
    नई पोस्ट पर आपका स्वागत है
    सुनील जी

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  10. खूब सूरत अंदाज़े बयाँ.भाव सौन्दर्य प्रधान रचना .

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  11. वाह क्या बात और अंदाजे बयां है :)

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  12. बहुत सुन्दर रचना लिखा है आपने !दिल को छू गई हर एक पंक्तियाँ! उम्दा प्रस्तुती!
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

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