नहीं मिलेगा कोई मुझसा तुम्हें ज़माने में,
लगेगी एक उम्र तुम्हें, हमको भूल जाने में|
है रूठना, तो तुम रूठो मगर यह याद रखो,
कहीं गुजर ना जाये यह रात बस मनाने में|
चलो आँधियों से कहें कि रास्ता बदलो,
लगी है उम्र हमें बस एक घर बनाने में|
यह कौन मेरे दर पे देके दस्तक चला गया ,
उसे कुछ और, लगेगा वक्त मुझको भुलाने में|
भैय्या, ज़रा केयरफ़ुल रहना
जवाब देंहटाएंकहीं बात न पहुंच जाए ज़नाने में :)
वाह वाह......बहुत खूब .
जवाब देंहटाएंचलो आंधियों से कहें की रास्ता बदलो,
जवाब देंहटाएंलगी है उम्र हमें एक घर बनाने में।
वशीर साहब कहते हैं
लोग टूट जाते हैं, एक घर बनाने में
तुम तरस नहीं खाते, बस्तियां जलाने में।
गज़ब के शेर गज़ब की गज़ल्………बधाई।
जवाब देंहटाएंला-जवाब" जबर्दस्त!!गज़ब के शेर
जवाब देंहटाएं...... बहुत खूब .......
अस्वस्थता के कारण करीब 20 दिनों से ब्लॉगजगत से दूर था
जवाब देंहटाएंआप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ,
वो जायेंगे भूल, मगर, भूली हुई सामान की रपट
जवाब देंहटाएंलिखने आप न चले जाएँ थाने में
__________
वन्स मोर !
सुन्दर भावाभिव्यक्ति ||
जवाब देंहटाएंबधाई ||
यह कौन मेरे दर पे देके दस्तक चला गया ,
जवाब देंहटाएंउसे कुछ और, लगेगा वक्त मुझको भुलाने में|
वाह ..बहुत खूबसूरत गज़ल ...
lagi hai umra ek ghar banane me ... waah
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे शेर ... धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा ग़ज़ल....
जवाब देंहटाएंekdam lajabab.....
जवाब देंहटाएंshandar gazal hai aapki...............
जवाब देंहटाएंBahut Badhiya....
जवाब देंहटाएंचलो आंधियों से कहें की रास्ता बदलो,
जवाब देंहटाएंलगी है उम्र हमें एक घर बनाने में।
वाह..बहुत खूबसूरत........
सुनील भाई, दिल से निकली हुईबात। बधाई।
जवाब देंहटाएं------
TOP HINDI BLOGS !
है रूठना तो तुम रूठो मगर यह याद रखो,
जवाब देंहटाएंकहीं गुजर ना जाये यह रात बस मनाने में।
बहुत अच्छी ग़ज़ल।
क्या बात करते हैं सुनील बाबू!
जवाब देंहटाएंतुमको न भूल पाएंगे!!
हर शेर लाजवाब ... उम्दा ... गज़ब ...
जवाब देंहटाएंदिल की बातें दिल से लिखी है ...
जवाब देंहटाएंलाज़वाब गज़ल..हरेक शेर बहुत उम्दा और दिल को छू जाता है..
जवाब देंहटाएंवाह ! दिल से निकले चंद बहुत उम्दा अशयार !
जवाब देंहटाएंhar pankti sunder lagi .....
जवाब देंहटाएंसुन्दर शेर ! बधाई
जवाब देंहटाएंचलो आंधियों से कहें की रास्ता बदलो
जवाब देंहटाएंलगी है उम्र हमें एक घर बनाने में
लाजवाब प्रस्तुति
,
हर शेर दमदार।
शुभकामनाएं आपको..........
है रूठना तो तुम रूठो मगर यह याद रखो,
जवाब देंहटाएंकहीं गुजर ना जाये umr बस मनाने में।
behatrin
सुनील जी,
जवाब देंहटाएंहमें लगा है काफी वक़्त आपकी ग़ज़ल से बाहर आने में
क्या पता ऐसे कितने और शेर हैं आपके गज़लखाने में...
बधाई हो!!!!
उम्दा, आँधियों से कहना ही पड़ेगा।
जवाब देंहटाएंआंधियों को कहाँ पता होती है ये बात
जवाब देंहटाएंकुण्डलिया छन्द - सरोकारों के सौदे
चारों शेर एक से बढ़ कर एक है, भावाभिव्यक्ति मे दमदार हैं.
जवाब देंहटाएं