मरुस्थल की
तपती रेत,
उस पर
एकांत का सानिध्य
द्रष्टि का,
दूर तक जाना
और फिर
निराश लौट आना |
थके क़दमों का प्रश्न
सुनी आँखों से
कितनी दूर और ?
यकायक,
तन्द्रा का टूट जाना
पथ से भटकने
का आभास,
और फिर
एक नये पथ को
खोजने का प्रयास !
(चित्र गूगल के सौंजन्य से )
बहुत खूब सुनील जी
जवाब देंहटाएंभटकने के बाद ही .....किसी नई राह का यूँ ही अचानक मिल जाना ...........आभार
पथ से भटकने का अहसास होना ही पथिक को नयी राह दिखता है...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना...आभार
क्या कहना. बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबेहतरीन ! चित्र और शब्दों का बेहतरीन सामंजस्य !
जवाब देंहटाएंसुंदर भाव दोनों मैं.
आभार.....................
अपनी खोज जारी रखें ताकि हमें अच्छी रचना पढ़ने को मिलती रहे
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरती से भावो को वयक्त किया है आपने....
जवाब देंहटाएंनए पथ को ढूँढने का प्रयास ही ज़िंदगी को आगे बढ़ाने में सहायक होता है ..एक आशावादी रचना
जवाब देंहटाएंek behad hi bhavpurna aurdil ko chhune wali rachna
जवाब देंहटाएंsunder bhav ki sunder rachna
जवाब देंहटाएंशायद जीना इसी का नाम है। सुंदर।
जवाब देंहटाएंनए रस्ते की तलाश तभी शुरू होती है,
जवाब देंहटाएंजब आदमी अपने बंधे बंधाये पथ से भटकता है.
और हर आदमी एक नए रास्ते की तलाश ज़रूर करता है, एक बार.
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मैंने आपको फोल्लो किया है,
bahut sundar prastuti .
जवाब देंहटाएंनया पथ खोजना ही बताता है जीवित होने की सच्चाई... जो नया पथ खोजने की ओर बढ़ा ही नहीं, उस का जीवित होना, न होना सब बराबर.
जवाब देंहटाएंआशा से भरी सुंदर कविता,
जवाब देंहटाएंविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
भटकन के बाद जो अनुभव होता है, वही नयी राहों का आधार भी होता है।
जवाब देंहटाएंSuperb lines.
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना. बधाई स्वीकारें
जवाब देंहटाएंBahut sunder !kyaa kahne !!
जवाब देंहटाएंGalat rahon par chalne se manjil badal jati hai,
जवाब देंहटाएंek chuk se jindgi me sahil badal jate hai,.....
Bahut hi achi rachna likhi hai apne:
jai hind jai bharatGalat rahon par chalne se manjil badal jati hai,
ek chuk se jindgi me sahil badal jate hai,.....
Bahut hi achi rachna likhi hai apne:
jai hind jai bharat
गहन जीवन दर्शन है आपकी इस रचना में....
जवाब देंहटाएंयह जिंदगी जैसी चीज़ इसी को कहते हैं :)
जवाब देंहटाएंयही क्रम है विकास का| भटकन अक्सर कुछ नए रास्तों पर भी ले जाती है, बशर्ते दिलोदिमाग अपनी जगह पर हों|
जवाब देंहटाएंनए रस्ते की तलाश ही विकास का द्योतक है
जवाब देंहटाएंआशावादी नजरिया.
जवाब देंहटाएंजीना इसी का नाम है.
सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ उम्दा रचना लिखा है आपने ! बधाई!
जवाब देंहटाएंमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
दार्शनिक अनुभूतियों के साथ नवीनता की खोज में मानव मन का संवेदी चित्रण. शब्दों और संजोजन ने सार्थक भूमिका निभाई तथा चित्र ने सार्थकता प्रदान की, तःटी और कथ्य दोनों को. प्रस्तुति अच्छी लगी.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर शब्दचित्र उकेरा है..बहुत सुन्दर प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंraah bhatkne ka ahsas jab hota hai tabhi to nayi raah ki tlash jari karta hai insan......bahut sunder parstuti sunil ji
जवाब देंहटाएंयही तो जीवन यात्रा है- एक स्वप्न टूटता है दूसरा बंधने लगता है॥
जवाब देंहटाएंआशावादी दृष्टिकोण सफल रचना है
जवाब देंहटाएंभटकने के बाद ही कोई राह मिलती है..बहुत सुन्दर रचना..
जवाब देंहटाएंBeautiful imagination and wonderful expression !
जवाब देंहटाएंsunil ji kavita bahut bahut achchhi lagi ,jald hi agli post padhne aati hoon ,aapki aabhari hoon dil se ..
जवाब देंहटाएंमुझे ये बताते हुए बहुत ख़ुशी हो रही है की हिंदी ब्लॉगर वीकली{१} की पहली चर्चा की आज शुरुवात हिंदी ब्लॉगर फोरम international के मंच पर हो गई है/ आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा आज सोमवार को इस मंच पर की गई है /इस मंच पर आपका हार्दिक स्वागत है /आइये और अपने विचारों से हमें अवगत कराइये/इस मंच का लिंक नीचे लगाया है /आभार /
जवाब देंहटाएंwww.hbfint.blogspot.com