मैंने लेखन के क्षेत्र में प्रवेश किया १९८० में और १९८७ तक केवल ७ रचनाएँ लिखीं | यह सब
कवितायेँ थीं वह भी बहुत छोटी छोटी जो आज भी मेरी डायरी में नोट हैं | १९८७ में एक घटना
या दुर्घटना जो भी कहें, मेरे अंदर का कवि उसका शिकार हो गया | यानि दाम्पत्य बंधन में
ऐसा बंधा की मुक्त होने में पूरे सत्रह साल लगे | २००४ में मैं मेरे अंदर का कवि जीवित हो उठा |
एक बार मेरे कार्यालय में स्व -रचित काव्य पाठ की प्रतियोगिता हुई | जिसमें निर्णायक के रूप
में हैदराबाद के वरिष्ठ कवि श्री नेहपाल सिंह वर्मा जी और कवियत्री एलिजावेथ कुरियन ने मुझे
प्रथम पुरस्कार दे कर मेरे कवि होने की ग़लतफ़हमी को जन्म दे दिया |
सन २००५ में"हिंदी में तकनीकी लेखन" विषय पर अपने व्याख्यान में प्रो.श्री ऋषभ देव शर्मा
विभागाध्यक्ष दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा,उच्च शिक्षा एवम शोध संस्थान हैदराबाद ने कहा
की प्रत्येक व्यक्ति को थोड़ा बहुत सृजन कार्य अवश्य करना चाहिए | प्रारंभिक विचार हमारे मष्तिक
में अपनी भाषा ( mother tounge ) में आते हैं तत्पश्चात हम उनकोअपने आवश्यकता अनुसार
अन्य भाषाओँ में अनुवादित करते है| इस अवसर पर उन्होंने हिंदी में प्रकाशित होने वाली ११७ तकनीकी पुस्तकों के नाम भी बताये | उन्होंने अपने व्याख्यान में यह भी कहा कि सृजन कार्य से
हम गुरु के ऋण को चुकाने का प्रयास भी करते है|
उनके इस व्याख्यान से तकनीकी लेखन तो नहीं, मगर मेरे काव्य सृजन की इच्छा को बल मिला |
साहित्य और समाज सेवा था | इसके अंतर्गत मैंने कई कवि सम्मलेन आयोजित किये | इसमें
हैदराबाद के कवियों को आमंत्रित किया जैसे प्रो . ऋषभ देव शर्मा , कविता वाचकनवी ,बालाजी ,
नेहपाल सिंह वर्मा ,ज्योति नारायण ,प्रो , फरीद अंजुम ,रउफ रहीम,विद्या प्रकाश कुरील ,अजीत गुप्ता
बलबीर सिंह , मोहसिन जलगान्वी,डा,कृष्ण कुमार " तनहा"विनीता शर्मा , डा देवेन्द्र शर्मा , सुषमा
वैध्य, साकिब बनारसी ,गोविन्द अक्षय और अन्य कवि जिनके नाम अभी याद नहीं है |
मंच के बाद बारी थी छपने की, पर यह छपास बहुत दुःख देती है | विशेष रूप तब , जब किसी
संपादक के खेद सहित पत्र के साथ आपकी रचना वापस आती है | मै पहली बार छपा स्वतंत्र वार्ता में
काव्य -कुञ्ज स्तम्भ में एक बार छपा तो छपता ही गया | दूसरी बार यह सौभाग्य मिला कादम्बिनी
२००६ सितम्बर में, अब मैंने खुद के एक कवि होने की ग़लतफ़हमी पाल ली |
फिर तो पल्लव टाइम्स,और नाभिकीय भारती ने भी मुझे छापने की गलती की |
अब देखिये कुछ चित्र ...........
संपादक के खेद सहित पत्र के साथ आपकी रचना वापस आती है | मै पहली बार छपा स्वतंत्र वार्ता में
काव्य -कुञ्ज स्तम्भ में एक बार छपा तो छपता ही गया | दूसरी बार यह सौभाग्य मिला कादम्बिनी
२००६ सितम्बर में, अब मैंने खुद के एक कवि होने की ग़लतफ़हमी पाल ली |
फिर तो पल्लव टाइम्स,और नाभिकीय भारती ने भी मुझे छापने की गलती की |
अब देखिये कुछ चित्र ...........
अनुभूति सांस्कृतिक मंच के पदाधिकारी के साथ में डा . राधे श्याम शुक्ल,सम्पादक स्वतन्त्र वार्ता,हिंदी दैनिक हैदराबाद |
प्रो . ऍम वेंकटेश्वर बच्चों को यूनीफार्म वितरित करते हुए |
कविता पाठ करता हुआ और साथ में हैं डा .किशोरी लाल व्यास ,नेह्पाल सिंह वर्मा , श्री विट्ठल भाई पटेल ( राज्य सभा सांसद एवं गीतकार ) रत्न कला मिश्र ,और शिवमोहन लाल श्रीवास्तव |
मैं यहाँ भी हूँ ! |
तो ऐसे हुआ लेखन के क्षेत्र में मेरा जन्म और ऐसी रही मेरी सृजन यात्रा अब तक ...........
जानकर अच्छा लगा! बधाई!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया ...अच्छा रहा सफ़र ...आगे के लिए शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंsunil bhai ji
जवाब देंहटाएंsarvpratham aapke janm-din par aapko hardik badhai v shubh kamnayen.
aapke baare me aapka lekh padh kar bahut hi achha laga. tabhi to kaha jaata hai ki har insaan me pratibha chhupi hoti hai.bas usko badhava dene wala chahiye .
bhagnaan ki kripa se aapko sahi marg -darshak mile yah aapke liye va ham sabhi ke liye bahut hi achhi baat rahi.
punah badhai ke saath
poonam
अपने प्रयाशों से ब्लॉग जगत को प्रफुल्लित और पल्लवित करते रहे ,हार्दिक शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंअरे काम की बात भूल ही गया, जन्म दिन की हार्दिक बढ़ायी स्वीकारे सुनील जी भगवान् आपको ब्लॉग जगत का शिर्मौर्य बनाये
जवाब देंहटाएंaap yun hi lekhan mein khaas rahen, janmdin kee shubhkamnayen...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया अच्छा लगा जानकर
जवाब देंहटाएंकरीब १५ दिनों से अस्वस्थता के कारण ब्लॉगजगत से दूर हूँ
जवाब देंहटाएंआप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ,
बड़ी गलतफहमियां पाले हो :-)
जवाब देंहटाएंआपकी रचनाएं और स्वच्छ स्नेही व्यवहार, सबको अहसास दिलाने में कामयाब है कि आप कवि ह्रदय हैं ! ऐसे दिल छिप नहीं पाते, हाँ इन्हें समझने के लिए ईमानदार दिल चाहिए ! आपकी रचनाएं आपके व्यक्तित्व की परछाईं हैं सुनील भाई, और वे आपको सम्मान दिलाने के लिए पर्याप्त हैं !
जन्म दिन पर सस्नेह शुभकामनायें !
तुम जियो हज़ारों साल ...
Wish U a very very Happy Birthday Sunilji...
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लगा आपके बारे में जानकर सुनीलजी....जिस तरह आपने अपनी शादी के १७ साल बाद दुबारा लेखन की शुरुआत की...उसी तरह मैंने भी शादी के ७ साल बाद .......कुछ लिखने का साहस किया...........उसको आपने सराहा..... मैं धन्य हुई......एक बात और कहना चाहूंगी सुनीलजी....कि आपने अपने ब्लॉग में अपने माँ-पिताजी की जो तस्वीर लगा रक्खी है.....ये बात मुझे बहुत ही ज्यादा पसंद आई......एक बार फिर से धन्यवाद
जवाब देंहटाएंजन्मदिन मुबारक हो |
जवाब देंहटाएंकवी बनने का यात्रा के बारे में जान कर अच्छा लगा वैसे उस दुर्घटना के बारे में आप की पत्नी को पता है !!
यात्रा जारी रहे :)
जवाब देंहटाएंravikar
जवाब देंहटाएंअच्छे संस्मरण |
जिंदगी को दिशा देते हुए |
जन्म दिन की शुभकामनाएँ आपका सफर ....अर्थात सृजन यात्रा नई पीढ़ी के लोगों को प्रेरणा देंगीं
जवाब देंहटाएंसुनीलजी बहुत अच्छा लगा आपके बारे में जानकर ....
जवाब देंहटाएंआपके ब्लॉग पर माता-पिता की तस्वीर देखकर मुझे भी बहुत अच्छा लगता है मन श्रद्धा से भर उठता है. आपको जन्मदिन की हार्दिक - हार्दिक शुभकामनाये.....आपकी लेखन यात्रा हमेशा चलती रहे...........
अब एक बार जाग गये हैं तो प्रभात नाद गूंजना हो।
जवाब देंहटाएंबार बार दिन ये आए... और आपकी लेखनी अबाध, यूं ही चलती रहे!!
जवाब देंहटाएंBahut,bahut badhayee ho! Aage ke safar ke liye dheron shubhkamnayen!
जवाब देंहटाएंjanm divas ki shubhkamnaen ! isi tarah likhte rahen...dhanywaad
जवाब देंहटाएंसर्वप्रथम जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं स्वीकारें सुनील जी ...
जवाब देंहटाएंरही बात कवि और कविता की ...........तो निःसंदेह आप ह्रदय से लिखते हैं , और वही असली कविता होती है
ऐसे ही आपसी लगाव बना रहे और लेखनी अबाध चलती रहे ..........ईश्वर से प्रार्थना है
pratibha sahi waqt per ubhar ker aati hi hai
जवाब देंहटाएंज़िंदा रहने के लिए एक खुश फ़हमी ज़रूरी है .सनक भी जो चिठ्ठाकारी पूरी कर रही है .ज़िन्दगी का नखलिस्तान ही पल दो पल होतें हैं ज़िन्दगी के .कविता भी इन्हीं के करीब होती है .
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभकामनाएं.......सुनील भाई।
जवाब देंहटाएंआप बिना किसी प्रतिद्वंद्विता के आगे बढ़ें,अच्छा काम करते जाएं-बगैर प्रतिदान की अपेक्षा के,यही कामना है।
जवाब देंहटाएंअविरल हो यह सृजन यात्रा. धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंजन्मदिन की हार्दिक शुभकामनांए.
जवाब देंहटाएंjanmdin ki hardik shubhkamnayen .aapki srijan yatra bhi rochak lagi .aabhar
जवाब देंहटाएंजन्म दिन मुबारक हो.आपका साहित्यिक योगदान अविस्मर्णीय है.
जवाब देंहटाएंसुनील जी
जवाब देंहटाएंजन्मदिन की शुभकामनाएं
आपने बहुत ही रोचक तरीके से अपनी यात्रा का विवरण किया... अच्छा लगा आपके बारे में जानकर
शुभकामनाएं आपको
भाई सुनील जी सादर नमस्कार ! आपकी यात्रा को जानकार बहुत अच्छा लगा | प्रभु से नेवेदन है कि आपको प्रसिद्धि के शिखर तक पहुंचाएं !
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