गुरुवार, अप्रैल 26, 2012

यूँही नहीं कविता जन्म लेती ......



ठेस जब भी कोई 
मैंने दिल पे खाई हैं ।
दर्द के बदले मेरी ,
कविता निकल कर आयी हैं ।

इस टूटे हुए दिल से 
आवाज़ जब भी कोई आती हैं 
आज बह ही मेरी ,
कविता कहलाती हैं ।



शुक्रवार, अप्रैल 20, 2012

आपकी फ़रमाइश पर ....(.चंद शेर)

मेरी पिछली पोस्ट  आदत .. (मतला और एक शेर पर )पर आदरणीय रविकर फैजाबादी ने
टिपण्णी में कहा था दो शेर और जोड़िये तो आज उनके आदेश का पालन कर रहा हूँ ।
यह पोस्ट उन्ही के नाम ........

हर शख्स को मैं इंसान कहूँ, 
यह तो मुमकिन ही नहीं ।
लोगों में इंसानियत ढूंढने की,
मुझे आदत जो पड़  गयी हैं।

रात होते ही मैं कब्रगाहों में, 
हर रोज़ निकल पड़ता हूँ ।
क्योंकि मुर्दों से दिल लगाने की, 
मुझे आदत जो पड़ गयी हैं ।

सारे जहाँ का रंज ओ ग़म, 
आप मुझको ही दे दीजिये ।
मुझको तो ग़म उठाने की, 
अब आदत जो पड़ गयी हैं। 
     

सोमवार, अप्रैल 16, 2012

मैन इज सोशल ए एनीमल.....

मैन इज सोशल ए एनीमल यह पंक्तियाँ आजकल मुझे अक्सर याद आतीं हैं और किसी  
हद तक बहुत सार्थक प्रतीत होती हैं इसकी एक छोटी से बानगी यहाँ देखिये ।


पहले हम कुत्ते की तरह भौंकतें हैं ।
जब कोई शेर की तरह दहाड़ता है 
हम भींगी बिल्ली बन जाते हैं ।
और चूहे की तरह अपने बिल में घुस जातें हैं ।
शायद इसीलिए हम सामाजिक प्राणी कहलाते हैं ।


दूसरों के धन पर गिद्ध द्रष्टि डालते हैं 
अपने धन पर साँप की तरह कुंडली मार कर बैठते हैं
लोमड़ी की तरह चालाकी करके दूसरों के धन को 
मौका पाते ही हम अजगर की तरह निगल जाते हैं
शायद इसीलिए हम सामाजिक प्राणी कहलाते हैं ।



मंगलवार, अप्रैल 10, 2012

आदत........(मतला और एक शेर)


 किसी की मौत पर बहाने के लिए,
 दो आंसू कहाँ से लाऊं मैं। 
 मुझको तो आंसूओं को पीने की ,
 आदत जो पड़ गयी हैं ।


 आजकल मेरी मुस्कराहटें भी,
 मुझसे नाराज़ होने लग गयीं ।
 मुझे तो ग़म में भी मुस्कराने की,
 आदत जो पड़ गयी हैं । 



गुरुवार, अप्रैल 05, 2012

ब्लोगजगत में मेरी दूसरी वर्षगांठ ....


जी हाँ आज मैंने ब्लोगिंग के दो वर्ष पूरे  कर लिए ,यह दो वर्ष कैसे बीते इसका पता ही नहीं चला । लिखना, पढ़ना और टिपियाना यही क्रम चलता रहा । कभी कभी अच्छी पंक्तियाँ, सुंदर अभिव्यक्ति ,बहुत खूब, मजेदार जैसी टिपण्णी करते करते ऊब जाता था मगर ब्लोगिंग की यह आवश्यकता हैं । 
 इसी बीच बहुत से ब्लोगर से बातचीत भी हुई जैसे जाकिर अली रजनीश ,कुंवर कुसुमेश ,
विजय कुमार सपत्ति , चंद्रमौलेश्वर प्रशाद, शिखा  दीपक  सुमन लता पाटिल , रश्मि प्रभा 
और  देवेन्द्र पाण्डेय   इन दो वर्षों में मेरी प्रोग्रेस कैसी रही यह आप रिपोर्ट कार्ड देख कर बताएं ।


कुल पोस्ट            १५१   ( एक सौ इक्यावन)   ( किसी तरह लिख दीं)
कुल अनुसरण कर्ता      २३४  ( दो सौ चौंतीस )     ( पता नहीं कैसे आये )
कुल टिप्पणी          ५०००        ( पाँच  हजार )                       ( यकीन नहीं होता )
न्यूनतम टिप्पणी                    २                दो                                     ( चलो कुछ तो मिली )
अधिकतम टिप्पणी                 ७६             छेहत्तर                               ( पता नहीं कैसे मिली )


अंत में आप सभी का आभार व्यक्त करता  हूँ । मगर यह जरुर बताएं पास या फेल ।