गुरुवार, जनवरी 19, 2012

यह कैसा पथ ........

एक पथ पर 
एक पग आगे बढ़ा कर ,
एक द्रष्टि 
जब मैं पीछे डालता हूँ ।
क्यों पाता हूँ ?
अपने को नितांत अकेला ।
क्यों नहीं सुनाई देता 
ध्वनि का मधुर कोलाहल ,
क्यों नहीं दिखाई देते 
वह अपने लोग ,
क्यों फैला है दूर तक ,
नीरवता का अंतहीन साम्राज्य ।
ढेर सारे उत्तरविहीन,
प्रश्नों का अम्बार।
एक बार पुन: 
सोंचने पर लाचार।
क्यों चुना मैंने यह पथ !
जो कहाँ जाता हैं ?
जिस पर एक पग चल 
व्यक्ति अपनों से 
कितना दूर हो जाता हैं ।



गुरुवार, जनवरी 12, 2012

ग़ज़ल

चलो उस शख्स का एहतिराम कर लें ,
जो आंधियों में चिराग़ जलाने चला है |


ना कोई लावलश्कर ना कोई कारवां ,
बस अकेले ही ज़माने से लड़ने चला है |


मालूम है उसको शिकस्त ही मिलेगी ,
फिर भी वह किस्मत  आजमाने चला है |


समुन्दर भी उसकी हिम्मत पर हैरान हैं ,
जो रेत में अपना आशियाना बनाने चला हैं |
   

सोमवार, जनवरी 09, 2012

हास्य कवि और उनकी कविता (दूसरी कड़ी )


अक्सर हास्य कवियों पर यह आरोप लगते है कि वह लतीफों को पंक्तिबद्ध करके रचनाएँ लिखते है | मगर मेरा मानना है कि हास्य कवि दोहरी भूमिका निभाता है | इस व्यथित समाज को हँसाने के साथ  साथ सन्देश भी देता है |
चलिए एक आरोप और लगा दीजिये |


चौराहे पर एक बुढ़िया,
भागी चली जा रही थी |
उसके ठीक पीछे ट्रेफ़िक पुलिस,
सीटी बजा रही थी |
पुलिस वाला चिल्लाया ,
अंधी है क्या ,जो देखती नहीं
बहरी है क्या ,जो सीटी की आवाज  नहीं आती
बुढ़िया बोली ना अंधी हूँ ना बहरी
बस हो गयीं बूढ़ी|
यही सीटी की आवाज,
अगर चालीस साल पहले आती |
तो एक ही बार में पलट कर आती |

बुधवार, जनवरी 04, 2012

"टिनटिन एक्प्रेस " (लघुकथा)

एक महानगर की सोसाइटी, पाँच अपार्टमेन्ट वह भी तीन मंजिल के   कुल मिला कर एक सामान्य सी
सोसाइटी थी  | उसका वाचमैन जगदीश उसकी पत्नी और उनका बेटा , यह  स्टाफ था सुरक्षा के लिए |
जगदीश जब रात  की ड्यूटी करके सोता तो उसका आठ साल का  बेटा  टिनटिन गेट पर तैनात हो जाता |
बीच बीच में किसी मेमसाब की आवाज सुन कर जाता और उनका कोई छोटा मोटा काम जैसे बाज़ार से
ब्रेड लाना या कोई सब्जी खरीद कर लाना और बदले में उसे मिलता था उनके बच्चों के नाश्ते में बची हुई
ब्रेड या कोई फल |दिन भर एक  बिल्डिंग से दूसरी बिल्डिंग भागता रहता था| इस लिए उसका नाम पड़ गया
"टिनटिन एक्प्रेस " यह सब उसकी एक सामान्य दिनचर्या  बन चुकी थी |
एक दिन अचानक टिनटिन दिखाई नहीं दिया| सोसाइटी की सभी औरतों की परेशानी बढ़ती जा रही थी |             आखिर टिनटिन कहाँ चला गया घर का बहुत  सा काम रुका हुआ था |शाम को कुछ औरतें वाचमैन के
घर पहुंची और टिनटिन के बारे में मालूम किया, क्या हुआ उसको ? वह ठीक तो है ना !
टिनटिन की माँ ने बताया की एक साहेब आये थे उन्होंने टिनटिन का नाम एक स्कूल में लिखा दिया है |
वही उसके खाने पीने और फीस का इंतजाम करंगे | और टिनटिन भी खुश है |
सभी औरतें जब घर से बाहर निकलीं तो उनके चेहरे पर खीझ और दिल में गालियाँ थी  उस अनजान
आदमी के लिए ................