चलो उस शख्स का एहतिराम कर लें ,
जो आंधियों में चिराग़ जलाने चला है |
ना कोई लावलश्कर ना कोई कारवां ,
बस अकेले ही ज़माने से लड़ने चला है |
मालूम है उसको शिकस्त ही मिलेगी ,
फिर भी वह किस्मत आजमाने चला है |
समुन्दर भी उसकी हिम्मत पर हैरान हैं ,
जो रेत में अपना आशियाना बनाने चला हैं |
जो आंधियों में चिराग़ जलाने चला है |
ना कोई लावलश्कर ना कोई कारवां ,
बस अकेले ही ज़माने से लड़ने चला है |
मालूम है उसको शिकस्त ही मिलेगी ,
फिर भी वह किस्मत आजमाने चला है |
समुन्दर भी उसकी हिम्मत पर हैरान हैं ,
जो रेत में अपना आशियाना बनाने चला हैं |
Wah! Kya baat hai!
जवाब देंहटाएंbhaut hi acchi....
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति,बेहतरीन गजल मुझे अच्छी लगी,...
जवाब देंहटाएंwelcome to new post --काव्यान्जलि--यह कदंम का पेड़--
समुन्दर भी उसकी हिम्मत पर हैरान हैं ,
जवाब देंहटाएंजो रेत में अपना आशियाना बनाने चला हैं |..
hausla buland ho to kya nahi ho sakta
बहुत सुन्दर है. आभार..
जवाब देंहटाएंवाह ... बहुत खूब ..आज कल ऐसे लोग मिलते कहाँ हैं ?
जवाब देंहटाएंवाह!
जवाब देंहटाएंक्या बात है.....
समुन्दर भी उसकी हिम्मत पर हैरान हैं ,
जवाब देंहटाएंजो रेत में अपना आशियाना बनाने चला हैं ............quite motivating.
kya bat hai.....prernadayk prastuti
जवाब देंहटाएंआशा बढ़ाती पंक्तियाँ..
जवाब देंहटाएंWaah !! bahut sunder ghazal, sare sher behtareen hain.
जवाब देंहटाएंAabhaar !!
Waah! Bahut khoob.....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंक्या कहने
bahut khoob sir
जवाब देंहटाएंमालूम है उसको शिकस्त ही मिलेगी ,
फिर भी वह किस्मत आजमाने चला है |
खूब-सूरत प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत बधाई ||
बहुत सुन्दर है. आभार..!
जवाब देंहटाएंमालूम है उसको शिकस्त ही मिलेगी ,
जवाब देंहटाएंफिर भी वह किस्मत आजमाने चला है |
behad sundar..
ऐसे शख्स के लिए सफलता भी छोटी ही होती है। फिर,शिकस्त की तो बात ही क्या करें!
जवाब देंहटाएंचलो उस शख्स का एहतिराम कर लें ,
जवाब देंहटाएंजो आंधियों में चिराग़ जलाने चला है |
bahut sunder rachna. lohri avum makarsankranti ki shubhkamnayen.
ना कोई लावलश्कर ना कोई कारवां ,
जवाब देंहटाएंबस अकेले ही ज़माने से लड़ने चला है |बहुत बढ़िया.
सुंदर
जवाब देंहटाएंआपके एहतराम के लिए धन्यवाद:) मैं वो चिराग हूं जो आंधियों से लड़ने चला हूं॥
जवाब देंहटाएंवाह ,बहुत सुन्दर ..
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ...
bahut sunder...........
जवाब देंहटाएंशनिवार 14-1-12 को आपकी पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
दिल से निकले ज़ज्बात हैं , ग़ज़ल !
जवाब देंहटाएंआभार
bahut sundar panktiyan
जवाब देंहटाएंsundar gazal..
जवाब देंहटाएंMeri bhi rachna dekhen.
बहुत बढ़िया गजल लिखा है |शुभकामनाएं..
जवाब देंहटाएंसमुन्दर भी उसकी हिम्मत पर हैरान हैं ,
जवाब देंहटाएंजो रेत में अपना आशियाना बनाने चला हैं |
......
आदरणीय सुनील जी काफ़ी दिन बाद आना हो पाया ब्लॉग पर क्षमा प्रार्थी हूँ..
एक नायब गज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें !
वाह...
जवाब देंहटाएंबहुत खूब..
सादर.
मालूम है उसको शिकस्त ही मिलेगी ,
जवाब देंहटाएंफिर भी वह किस्मत आजमाने चला है |
बहुत सुंदर गज़ल और शायद सच भी.
बहुत सुंदर ... !!
जवाब देंहटाएंprerna deti sundar gazal
जवाब देंहटाएंउर्दू शायरी की रवानगी पकड ली है ज़नाब ने काबिले तारीफ़ ग़ज़ल .
जवाब देंहटाएंआपने बड़े ख़ूबसूरत ख़यालों से सजा कर एक निहायत उम्दा ग़ज़ल लिखी है।
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूबसूरत प्रस्तुति, बधाई.
जवाब देंहटाएंपधारें मेरे ब्लॉग पर भी और अपने स्नेहाशीष से अभिसिंचित करें मेरी लेखनी को, आभारी होऊंगा /
समुन्दर भी उसकी हिम्मत पर हैरान हैं ,
जवाब देंहटाएंजो रेत में अपना आशियाना बनाने चला हैं |
badhiya panktiyaan ....
ना कोई लावलश्कर ना कोई कारवां ,
जवाब देंहटाएंबस अकेले ही ज़माने से लड़ने चला है ...
बहुत कम होते हैं ऐसे लोग ... संभाल के रखना चाहिए ... उम्दा शेर है सभी ..
is shakhshiyat ko kabhi haar nahi milegi...
जवाब देंहटाएंसाधारण तरीके से बड़ी बात कह गये आप इन चंद अशयार में।
जवाब देंहटाएंगहन भाव
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना,,,,