सोमवार, सितंबर 24, 2012

श्रद्धांजलि ......





                                                               श्रद्धांजलि   

नाम  : चन्द्र मौलेश्वर प्रसाद 
जन्म : 07 अप्रैल 1942
मृत्यू : 12 सितम्बर 2012 
ब्लोगिंग  सितम्बर 2007 
ब्लॉग : कलम मेरी दीवानगी पर होशवाले बहस फ़रमायें’
      हिंदी ब्लोगर फोरम इंटर नेशनल 
स्थान :    हैदराबाद 

अंतिम पोस्ट 

आदरणीय ब्लागर मित्रो,
अस्वस्थ होने के कारण शायद अंतरजाल पर  न आ  पाऊँ  ।  इसलिए कुछ समय के लिए शायद आप से भेंट न हो। स्वास्थ लाभ करके पुनः आपसे सम्पर्क स्थापित करूंगा। तब तक के लिए विदा:)



बड़े शौक से सुन रहा था ज़माना ।
 तुम ही सो गए दास्ताँ   कहते कहते ।  

  

शनिवार, सितंबर 08, 2012

असहाय भगवान् ............

एक  बार जब भगवान् शंकर धरती भ्रमण करके लौटे तो उनका मन बहुत अशांत था ।
पार्वती  ने कहा जब आप धरती लोक से बापस आते थे तो बहुत प्रसन्न होते थे मगर इस 
बार ऐसा क्या हुआ कि आपका मन अशांत हैं । भगवान् शंकर ने कहा तुम तो जानती हो 
की मैं धरती पर लोगों को सुखी देखना चाहता हूँ लोगों का दुःख पूछता हूँ उनका निवारण 
करता हूँ । और उनको सुखी करके बापस आ जाता हूँ । मगर इस बार मैं अपने को बहुत 
असहाय अनुभव कर रहा हूँ । इस बार  एक व्यक्ति के दुःख को मैं दूर नहीं कर सका । 
क्योंकि उसका दुःख था कि  मेरा पड़ोसी सुखी क्यों हैं .............

मंगलवार, सितंबर 04, 2012

कैसे कैसे लोग........

टैक्सी ड्राईवर ने स्टेशन के सामने जाकर गाड़ी पार्क कर दी । साहब ने गाड़ी का मीटर देखा 
और ड्राईवर पर चिल्लाने लगे तुम लोग हेरा फेरी करे बिना नहीं मानते इतना मीटर कैसे 
आ सकता हैं । ड्राईवर ने मुस्करा कर कहा सर आप मीटर की जाँच करवा सकते हैं हम गरीब जरुर हैं मगर चोर नहीं । चलिए आप दस रुपये कम दे दीजिये । साहब ने जल्दी से 
अपना सामान निकाला और प्लेटफ़ॉर्म की तरफ चल दिए|थोड़ी देर बाद ड्राईवर ने देखा कि 
मेमसाहब का पर्स पीछे की सीट पर पड़ा हैं वह तुरंत उसे लेकर उनके पीछे भागा मगर तब 
तक वह लोग बहुत आगे निकल चुके थे । वह चिंता में था कैसे उनका पर्स उन तक पहुंचे। 
रास्ते  की बातों से उसे इतना तो मालूम पड़ गया था वह लोग मुंबई जा रहे हैं ।मगर कौन 
सी ट्रेन कौन सा कोच यह कुछ भी नहीं पता था ।  प्लेटफोर्म पर पहुँच  कर वह एक एक डिब्बे में झांक झांक कर उन्हें खोजने लगा । आखिर उसने उनको एक एसी कोच में ढूंढ़    
लिया ।पास जाकर बोला " आपका पर्स गाड़ी में रह गया था"। साहब ने खुश हो कर अंग्रेजों 
से उधार लिए दो शब्द उसकी तरफ उछाल दिए" थैंक्स थैंक्स" ।जब वह बहां से जाने लगा 
तो मेमसाब बोली  उसको  रोको पहले देख तो लें कुछ गायब तो नहीं हैं ?