(हिंदी कविताओं ,कथाओं और लेखों का एक कोना)
वाह...............क्या कहने!!!सादर.
आजकल मेरी मुस्कराहटें भी,मुझसे नाराज़ होने लग गयीं । मुझे तो ग़म में भी मुस्कराने की,आदत जो पड़ गयी हैं । मुस्कराहट अब इतनी आसान नहीं रही. बहुत सुंदर शेर.
वाह!!!!!!!बेहतरीन शेर,सुनील कुमार जी,...बहुत सुंदर अभिव्यक्ति,लाजबाब प्रस्तुति,.... RECENT POST...काव्यान्जलि ...: यदि मै तुमसे कहूँ.....
बहुत अच्छी लगी ये प्रस्तुति.
किसी की मौत पर बहाने के लिए, दो आंसू कहाँ से लाऊं मैं। dil ko chhoo liya.
अच्छी रचना है, भावपूर्ण अभिव्यक्ति....समय मिले तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत हैhttp://mhare-anubhav.blogspot.co.uk/
विपरीत हालातों में भी मन को सम्हालती सुंदर रचना ...शुभकामनायें ....
वाह !!!!! शानदार शेर, एक पुराना गीत याद दिला गयामैं अश्कों में सारे जहाँ को डुबो दूँमगर मुझको रोने की आदत नहीं.
मुस्कराहटों को भी गम सहना सिखायेंगे तो विद्रोह कर बैठेंगी।
badhiya hai bhai ji |do sher aur jodiye ||
वाह:.. सुनील जी,लाजबाब प्रस्तुति,..
कमाल है सुनील जी!!
ग़मी के ऊपर मुस्कराहट बिछाएँगे तो खुशी के साथ खड़ी मुस्कराहट को बुरा लगेगा ही. सुंदर लिखा है.
bahut sundar prasstuti Sunil ji ...badhai
मुस्कुराहट नाराज भी होती हो तो होने दें....देर सबेर मान ही जायेगी, मुस्कुराहट जो ठहरी...
सुनील जी बहुत सुन्दर ऐसी आदतें सब को पड जाएँ तो क्या कहना --खूबसूरत भाव ..जय श्री राधे भ्रमर ५
वाह! जी वाह! बहुत ख़ूबकृपया इसे भी देखें-उल्फ़त का असर देखेंगे!
बहुत ख़ूबसूरत....
मुझे तो ग़म में भी मुस्कराने की, आदत जो पड़ गयी हैं ...अच्छी आदतें हैं !शुभकामनायें भाई ...
"आजकल मेरी मुस्कराहटें भी, मुझसे नाराज़ होने लग गयीं । मुझे तो ग़म में भी मुस्कराने की, आदत जो पड़ गयी हैं । "वाह !
बहुत बेहतरीन....मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।
गम में भी मुस्कुराना, यह बहुत मुश्किल होता है,,,,,बहुत सुन्दर....सादर
आदतें जैसी भी हों, वे ही हमारे दुख-सुख के विश्वसनीय साथी होते हैं।
किसी की मौत पर बहाने के लिए, दो आंसू कहाँ से लाऊं मैं। मुझको तो आंसूओं को पीने की , आदत जो पड़ गयी हैं । ......बहुत गहन !!!
आजकल मेरी मुस्कराहटें भी, मुझसे नाराज़ होने लग गयीं । मुझे तो ग़म में भी मुस्कराने की, आदत जो पड़ गयी हैं । वाह!!!!! क्या बात है ...सुनील जी बहुत सुंदर रचना...बेहतरीन पोस्ट .MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: आँसुओं की कीमत,....
गम में भी मुस्कुराना आता है तो नाराजगी कैसी ...
बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति....
वाह...............
जवाब देंहटाएंक्या कहने!!!
सादर.
आजकल मेरी मुस्कराहटें भी,
जवाब देंहटाएंमुझसे नाराज़ होने लग गयीं ।
मुझे तो ग़म में भी मुस्कराने की,
आदत जो पड़ गयी हैं ।
मुस्कराहट अब इतनी आसान नहीं रही. बहुत सुंदर शेर.
वाह!!!!!!!बेहतरीन शेर,सुनील कुमार जी,...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति,लाजबाब प्रस्तुति,....
RECENT POST...काव्यान्जलि ...: यदि मै तुमसे कहूँ.....
बहुत अच्छी लगी ये प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंकिसी की मौत पर बहाने के लिए,
जवाब देंहटाएंदो आंसू कहाँ से लाऊं मैं।
dil ko chhoo liya.
अच्छी रचना है, भावपूर्ण अभिव्यक्ति....समय मिले तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
जवाब देंहटाएंhttp://mhare-anubhav.blogspot.co.uk/
विपरीत हालातों में भी मन को सम्हालती सुंदर रचना ...
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें ....
वाह !!!!! शानदार शेर, एक पुराना गीत याद दिला गया
जवाब देंहटाएंमैं अश्कों में सारे जहाँ को डुबो दूँ
मगर मुझको रोने की आदत नहीं.
मुस्कराहटों को भी गम सहना सिखायेंगे तो विद्रोह कर बैठेंगी।
जवाब देंहटाएंbadhiya hai bhai ji |
जवाब देंहटाएंdo sher aur jodiye ||
वाह:.. सुनील जी,लाजबाब प्रस्तुति,..
जवाब देंहटाएंकमाल है सुनील जी!!
जवाब देंहटाएंग़मी के ऊपर मुस्कराहट बिछाएँगे तो खुशी के साथ खड़ी मुस्कराहट को बुरा लगेगा ही. सुंदर लिखा है.
जवाब देंहटाएंbahut sundar prasstuti Sunil ji ...badhai
जवाब देंहटाएंमुस्कुराहट नाराज भी होती हो तो होने दें....देर सबेर मान ही जायेगी, मुस्कुराहट जो ठहरी...
जवाब देंहटाएंसुनील जी बहुत सुन्दर ऐसी आदतें सब को पड जाएँ तो क्या कहना --खूबसूरत भाव ..जय श्री राधे
जवाब देंहटाएंभ्रमर ५
वाह! जी वाह! बहुत ख़ूब
जवाब देंहटाएंकृपया इसे भी देखें-
उल्फ़त का असर देखेंगे!
बहुत ख़ूबसूरत....
जवाब देंहटाएंमुझे तो ग़म में भी मुस्कराने की,
जवाब देंहटाएंआदत जो पड़ गयी हैं ...
अच्छी आदतें हैं !
शुभकामनायें भाई ...
"आजकल मेरी मुस्कराहटें भी,
जवाब देंहटाएंमुझसे नाराज़ होने लग गयीं ।
मुझे तो ग़म में भी मुस्कराने की,
आदत जो पड़ गयी हैं । "
वाह !
बहुत बेहतरीन....
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।
गम में भी मुस्कुराना, यह बहुत मुश्किल होता है,,,,,
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर....
सादर
आदतें जैसी भी हों, वे ही हमारे दुख-सुख के विश्वसनीय साथी होते हैं।
जवाब देंहटाएंकिसी की मौत पर बहाने के लिए,
जवाब देंहटाएंदो आंसू कहाँ से लाऊं मैं।
मुझको तो आंसूओं को पीने की ,
आदत जो पड़ गयी हैं । ......बहुत गहन !!!
आजकल मेरी मुस्कराहटें भी,
जवाब देंहटाएंमुझसे नाराज़ होने लग गयीं ।
मुझे तो ग़म में भी मुस्कराने की,
आदत जो पड़ गयी हैं ।
वाह!!!!! क्या बात है ...सुनील जी
बहुत सुंदर रचना...बेहतरीन पोस्ट
.
MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: आँसुओं की कीमत,....
गम में भी मुस्कुराना आता है तो नाराजगी कैसी ...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति....
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