(हिंदी कविताओं ,कथाओं और लेखों का एक कोना)
आक्रोश के बीज को वृक्ष बनाने का अच्छा सपना बुना है आपने.इसका आत्मविश्वास आपकी कविता मे दृष्टिगोचर हो रहा है.सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.
gajab ke bhaw hain
कल 13/07/2011 को आपकी एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
सुंदर |||
आक्रोश के बीज ||
गहन चिंतन...
behtareen aatmchintan se bharee kavita badhai
बहुत खूब अनिल कुमारजी .आक्रोश की काव्यात्मक अभिव्यक्ति खबरदार करती सी .
बहुत ही सुंदर सोच,आभार, विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
wah...... gazab ka.....
आक्रोश को यूँ ही पलने दीजिये.जब भड़केगा तो ज्वालामुखी बन के ----------------------दहेज़ कु-प्रथा !
इस बीज को पेड़ बनने दिजिए। तभी तो ये चारो तरफ फैलेगा।
रचना और भाव दोनों ही सुन्दर हैं!
आक्रोश का बीज और अत्यचार की बारिश ... बहुत कुछ कह गयी
यही बीज न जाने कितने अध्याय रचेगा।
संवेदना से भरी मार्मिक रचना....
कमाल है लगभग इन्हीं भावों के इर्द गिर्द बनी थी मशहूर फिल्मकार श्याम बेनेगल की दो फ़िल्में "अंकुर" और "आक्रोश".. आज आपने चंद पंक्तियों में इनको समाहित किया है!! सुन्दर!!
बहुत भावपूर्ण रचना...
गहरी बात। कम शब्दों में काफी कुछ कह गए जनाब। शुभकामनाएं आपको.........
भावप्रवण कविता पढवाने का आभार,
सुंदर भाव.... आशावादी सोच...
सुन्दर रचना
एक जोश भरी, आक्रोश भरी कविता !
कभी लिखी दो पंक्तियाँ आप से साझा करता हूँ गरमी बिना जलधार से कब गगन भू धोता हर क्रान्ति का आधार निश्चय दमन ही होता ये अत्याचार की बारिश ही, आक्रोश के बीजों को वृक्ष बनने में मददगार साबित होती है|
बेहद भावपूर्ण रचना। मन को छू गई।
गड़बड़ है मामला।
you like
us vriksh ka intzar hai. sunder rachna.
बहुत प्रबल भाव हैं ..अति उत्तम.
आक्रोश का बीज कहीं बम न बन जाए!
akoush ka bij bahut kuchh in tin shbdon me bahut sunderrachana
सुन्दर विचार, शायद ऐसे बीज हर ओर पनप रहे हैं।
सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना ! बढ़िया प्रस्तुती!
चेतावनी देता हुआ आत्मविश्वास .
सारगर्भित रचना.मनोभाव को सहज रूप से प्रस्तुत किया है.
बहुत खूब
Beautifully expressed.
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है आपकी... उत्साह और आक्रोश से ओतप्रोत...आभार.
आक्रोश के बीज को वृक्ष बनाने का अच्छा सपना बुना है आपने.
जवाब देंहटाएंइसका आत्मविश्वास आपकी कविता मे दृष्टिगोचर हो रहा है.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.
gajab ke bhaw hain
जवाब देंहटाएंकल 13/07/2011 को आपकी एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
सुंदर |||
जवाब देंहटाएंआक्रोश के बीज ||
जवाब देंहटाएंगहन चिंतन...
जवाब देंहटाएंbehtareen aatmchintan se bharee kavita badhai
जवाब देंहटाएंबहुत खूब अनिल कुमारजी .आक्रोश की काव्यात्मक अभिव्यक्ति खबरदार करती सी .
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर सोच,
जवाब देंहटाएंआभार,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
wah...... gazab ka.....
जवाब देंहटाएंआक्रोश को यूँ ही पलने दीजिये.
जवाब देंहटाएंजब भड़केगा तो ज्वालामुखी बन के
----------------------
दहेज़ कु-प्रथा !
इस बीज को पेड़ बनने दिजिए। तभी तो ये चारो तरफ फैलेगा।
जवाब देंहटाएंरचना और भाव दोनों ही सुन्दर हैं!
जवाब देंहटाएंआक्रोश का बीज और अत्यचार की बारिश ... बहुत कुछ कह गयी
जवाब देंहटाएंयही बीज न जाने कितने अध्याय रचेगा।
जवाब देंहटाएंसंवेदना से भरी मार्मिक रचना....
जवाब देंहटाएंकमाल है लगभग इन्हीं भावों के इर्द गिर्द बनी थी मशहूर फिल्मकार श्याम बेनेगल की दो फ़िल्में "अंकुर" और "आक्रोश".. आज आपने चंद पंक्तियों में इनको समाहित किया है!! सुन्दर!!
जवाब देंहटाएंबहुत भावपूर्ण रचना...
जवाब देंहटाएंगहरी बात।
जवाब देंहटाएंकम शब्दों में काफी कुछ कह गए जनाब।
शुभकामनाएं आपको.........
भावप्रवण कविता पढवाने का आभार,
जवाब देंहटाएंसुंदर भाव.... आशावादी सोच...
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंएक जोश भरी, आक्रोश भरी कविता !
जवाब देंहटाएंकभी लिखी दो पंक्तियाँ आप से साझा करता हूँ
जवाब देंहटाएंगरमी बिना जलधार से कब गगन भू धोता
हर क्रान्ति का आधार निश्चय दमन ही होता
ये अत्याचार की बारिश ही, आक्रोश के बीजों को वृक्ष बनने में मददगार साबित होती है|
बेहद भावपूर्ण रचना। मन को छू गई।
जवाब देंहटाएंगड़बड़ है मामला।
जवाब देंहटाएंyou like
जवाब देंहटाएंus vriksh ka intzar hai. sunder rachna.
जवाब देंहटाएंबहुत प्रबल भाव हैं ..
जवाब देंहटाएंअति उत्तम.
आक्रोश का बीज कहीं बम न बन जाए!
जवाब देंहटाएंakoush ka bij bahut kuchh in tin shbdon me bahut sunder
जवाब देंहटाएंrachana
सुन्दर विचार, शायद ऐसे बीज हर ओर पनप रहे हैं।
जवाब देंहटाएंसुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना ! बढ़िया प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंचेतावनी देता हुआ आत्मविश्वास .
जवाब देंहटाएंसारगर्भित रचना.
जवाब देंहटाएंमनोभाव को सहज रूप से प्रस्तुत किया है.
बहुत खूब
जवाब देंहटाएंBeautifully expressed.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है आपकी...
जवाब देंहटाएंउत्साह और आक्रोश से ओतप्रोत...
आभार.