गुरुवार, जुलाई 14, 2011

आतंकवाद की लड़ाई ....



फिर एक आतंकवादी  हमला , चारों तरफ चीख पुकार कहीं किसी  की मौत पर परिवार वालों का 
रोना है तो कहीं घायलों की कराहटें ....तभी प्रवेश होता है हमारे द्वारा चुनी गयी सरकार के नेताओं 
का साथ में लेके आयें है वही बयान हम कड़े शब्दों में इस घटना की निंदा करते है | आतंकवाद
के विरुद्ध हमारी कार्यवाही से बौखला कर उन्होने इस घटना को अंजाम दिया है |                                             आप शांति और भाईचारा बनाये रखिये | दोषी व्यक्ति को कड़ी कड़ी से सजा दी जायगी | इसके साथ  ही
सरकार प्रत्येक मरने वाले को पांच -पांच लाख और घायलों को पचास पचास हज़ार रूपए देने
का वादा करती है | लो खत्म कहानी ................
कभी कभी तो ऐसा लगता है की आतंकवाद से लड़ने की हमारी इच्छा शक्ति ही समाप्त हो
गयी है| कोई कहता है इतने बड़े शहर में हादसों को रोकना मुश्किल है | तो किसी का बयान
होता की मुंबई जैसे शहर के लिए यह छोटी  घटना है क्या फर्क पड़ता अगर बीस पच्चीस
आदमी मर भी गए तो .............
जी हाँ फर्क पड़ता है उस माँ के लिए जिसका वह इकलौता बेटा था या किसी बहन  का भाई
एक बूढ़े का एक मात्र सहारा, परिवार का इकलौता कमाने वाला ........


मस्जिद में चले गोलियां या मंदिरों में फटे बम,
हम  तो है शांति के पुजारी कुछ ना कहेंगे हम|

नासूर बन चुका है अब अपने जिस्म यह जख्म, ,
और उस पर लगा रहे है मामूली एक मलहम|

अब तो दो चार हाँथ कर लो इन खुनी दरिंदों से,
बस अब लाल हो चुका है अमन का यह परचम|




28 टिप्‍पणियां:

  1. आज फिर दहल गयी मुम्बई,
    आज हुआ फिर तीन धमाका.
    मर गए देखो इसमें कई दर्जन,
    कौन थे वे -अपराधी या दुर्जन?


    यह देश है क्या लावारिश?
    या है इसका कोई भी वारिश.
    जब लड़ने की ताकत बची नहीं,
    तलाशेगा देश अब अपना वारिश.

    यह धमाका, देश पर तमाचा है,
    यह उस बिरयानी की कीमत है -
    जिसे कसाब-अफजल जैसों को.
    वर्षों से तुम खिला रहे हो.........

    अपने देशवासियों को कबतक ..
    लों की ज्वाला में झुलसाओगे?
    यह तोहफा था जन्म दिन का,
    कब तक इसको फोड़वाओगे ?

    जब तक जियेगा फूटेगा,
    बन कहर देश पर टूटेगा.
    यदि करना हो बंद धमाका,
    बंद करो जीवन की फ़ाइल.

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  2. हर-हर बम-बम

    बम-बम धम-धम |

    थम-थम, गम-गम,

    हम-हम, नम-नम

    दम-ख़म, बम-बम,

    तम-कम, हर-दम |

    समदन सम-सम,

    समरथ सब हम |

    समदन = युद्ध

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  3. ये बुज़दिल हरामी आतंकवादी क्या पाना चाहते हैं ?
    ये दरअसल अमन के दुश्मन हैं। इनके कुछ आक़ा हैं, जिनके कुछ मक़सद हैं। ये लोकल भी हो सकते हैं और विदेशी भी। जो कोई भी हो लेकिन इनके केवल राजनीतिक उद्देश्य हैं। ये लोग चाहते हैं कि भारत के समुदाय एक दूसरे को शक की नज़र से देखें और एक दूसरे को इल्ज़ाम दें। कभी कभी जनता का ध्यान बंटाने के लिए भी ये हमले किए जाते हैं। कुछ तत्व नहीं चाहते कि जनता अपनी ग़रीबी और बर्बादी के असल गुनाहगारों को कभी जान पाए। जनता को बांटकर आपस में लड़ाने की साज़िश है यह किसी की। इसकी जड़ें बहुत गहरी हैं, उन तक पहुंचना भी मुश्किल है और उन्हें खोद निकालना भी। कुछ जड़ों से तो लोग श्रृद्धा और समर्पण तक के रिश्ते रखते हैं। ऐसे में कोई क्या कार्रवाई करेगा ?

    इस बार भी बस ग़रीब ही पिसेगा !
    उसी का ख़ून पानी है वही बहेगा !!

    ग़द्दारों से पट गया हिंदुस्तान Ghaddar

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  4. बहुत शर्मनाक स्तिथि...बहुत सार्थक प्रस्तुति

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  5. Sunil ji...bahut sahi samay par aapne apni prastuti di...bahut achha likha...hamare desh me bolna apraadh hai...dushyant ne likha tha Reedh ki haddi alag rakh aaiye...takht ke aage adab se jaaiye...

    Maine likha tha...Bas bhai bhai ka chher ke seena , pee ke khoon dakarat....bharat maha maha bharat..
    Badhayee aapko..

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  6. धीरज रखें ||
    हमेशा ऐसा नहीं होगा ||
    हम जरुर सुधरेंगे ||

    हर-हर बम-बम
    बम-बम धम-धम |

    थम-थम, गम-गम,
    हम-हम, नम-नम|

    शठ-शम शठ-शम
    व्यर्थम - व्यर्थम |

    दम-ख़म, बम-बम,
    तम-कम, हर-दम |

    समदन सम-सम,
    समरथ सब हम | समदन = युद्ध

    अनरथ कर कम
    चट-पट भर दम |

    भकभक जल यम
    मरदन मरहम ||
    राहुल उवाच : कई देशों में तो, बम विस्फोट दिनचर्या में शामिल है |

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  7. बहुत शर्मनाक ..उस पर हमारे नेताओं का बयान ..

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  8. इसी विषय पर मैंने भी अपने ब्लॉग पर लिखा है कि -

    न जाने कौन से वो दिल हैं जो
    दिलों के चीथड़े उड़ाया करते हैं,
    इधर उज़ड़ती हैं जिंदगियां
    उधर ठहाके लगाया करते हैं....

    वो आंखें हैं कि शीशा हैं
    कि उनमें मर चुका पानी,
    इधर होता है अँधेरा
    उधर वो जश्न मनाया करते हैं...

    न जाने क्या वो खाते हैं
    न जाने क्या वो पाते हैं
    न जाने कौन सी दुनिया से
    वो आया - जाया करते हैं...

    मिले जो ईश्वर तो उससे
    होगा ये सवाल अपना
    कि पैदा होते ही ये दरिन्दे
    क्यों नहीं मर जाया करते हैं...

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  9. बिना किसी बदलाव या नसीहत के सब कुछ ऐसे ही चलते रहना है ।

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  10. इस सबके बीच सबसे महत्‍वपूर्ण और चिंतनीय बात यह है कि जिसने भी इस घटना को अंजाम दिया,वह आपकी और हमारी ही तरह ही हाड़-मांस का कोई आदमी ही रहा होगा। यानी हममें से ही कोई। यह जो असंवेदनशीलता हमारे अंदर भर गई है, उसे पहले निकालना होगा।

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  11. जिन लोगों को इन दरिंदों को पकड़ना है, वे ही उनसे हाथ मिलाए बैठे हैं तो क्या कीजे????????

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  12. सुरक्षा के दामन पर दाग़ और सहिष्णुता के नाम पर कायरता!!

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  13. एक और बुजदिली से भरा हमला, सभी आहत हैं,
    विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

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  14. ये बस हमारी नालायकी का हमारे नक्कारेपन का सबूत है ये सारे आतंकवादी हमला |

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  15. शर्मनाम स्थिति है।
    कल खबर देख रहा था, मुंबई में हुई बारिश ने आतंकी घटना के सबूत को नष्‍ट कर दिया है। अरे यह बताएं कि पहले जिसमें सबूत भी थे, मामला अदालत में पहुंचा और सजा भी हो गई अपराधियों को उनका क्‍या हुआ.....
    आतंकवाद.... नक्‍सलवाद... इनसे नुकसान किसका है आम आदमी का ही....

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  16. एक बार फिर बहुत दुखद और शर्मनाक घटना घटी, आखिर कब तक निर्दोष मारे जाते रहेंगे.

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  17. ब्लास्ट से ज्यादा दुख तो नेताओं की प्रतिक्रिया से हुआ। चिंदबरम, राहुल और दिग्गी ने जो बाते की, वो बहुत ही निराशाजनक है
    रही सही कसर प्रधानमंत्री के मुंबई दौरे ने पूरी कर दी, जब घायलों के परिजनों को अस्पताल के बाहर कर दिया गया,क्योंकि पीएम आ रहे हैं।
    शर्मनाक

    बहुत सार्थक विषय पर बात की है आपने

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  18. आतंकवाद का चेहरा दिखता नहीं पर बहुत घिनौना है और इसका जिस्म पता नहीं किस चीज से बना है । हम आहत लहूलुहान होकर रह जाते हैं और एक निराशा और तीव्र आक्रोश से भर उठते हैं । हम इसे खत्म कर पाएंगे इसकी कोई गारंटी नहीं। पर क्या इसी लिए हम कुछ नहीं करेंगे? क्या इसका कुछ नहीं किया जा सकता ?

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  19. भाई सुनील जी बहुत ही सारगर्भित पोस्ट साधुवाद |इधर कुछ व्यस्तता के कारण आपके ब्लॉग पर आना नहीं हो सका |

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  20. सही कहा आपने....पर इसमें सबकी भागीदारी चाहिए ..
    यही तो हमारे देश का दुर्भाग्य है की सब जानते समझते हुवे भी हम सुधरना नहीं चाहते |
    कोई हमें दो जूता मार के निकल जाए तो भी हम प्रतिक्रया करने वाले जीव नहीं हैं |
    हमारा तो बस एक ही नारा है अहिंसा परमो धर्मः |
    जो भी कुछ हो रहा है हमारे भाग्य में लिखे अनुसार ही हो रहा है !
    जब इश्वर चाहेगा तभी हमारे दिन सुधरेंगे |
    कोई लाख करे चतुराई करम का लेख टले ना मेरे भाई ..............

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  21. किसी भी धर्म को मानने वाले लोग इस तरह का जघन्य कांड करने का कभी नही सोचेंगे | इस तरह का कांड तो कोई शैतान को मानने वाला ही कर सकता है| मेरी भगवान से प्रार्थना है की वह इन शैतानो को पालने वालो के साथ इन शैतानो को भी पूरी दुनिया से ख़त्म करे|

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  22. aadarniy sunil bhai ji
    jaisa ki aapne likha hai hamare rajneta to ghoshhana karkrke apni naitik jimmedaari se mukt ho jaate hain yah bilkul hi yatharth likha haai aapne .
    ghal hue parivaar ke logo ko baad me bhi jis dhan rashi ki ghoshana ki jaati hai vo bhi pata nahi milti bhi hai ya naahi ya salo beet jaate hain.
    par waqai ye ham sabhi ke liye sharm ki baat haiitna kuchh hone ke baad bhi bas yojnaye hi ban kar rah jaati hain----
    aapki isse sambandhit rachna padhkar ek j ek pankti yatharth lagi.
    bahut bahut badhai
    poonam

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