गुरुवार, जून 09, 2011

आज कल के हालात पर चंद शेर


जमीं तो बाँट ली हमने अब आसमाँ की बारी है ,
संभल जाओ ए चाँद और सूरज अब खैर नहीं तुम्हारी है |

अँधेरे आजकल  बदनाम होने  से यूँ बच गए,
अब तो दिन दहाड़े ही गुनाहों का खेल जारी है |

अब तो  सरेआम लुट रहीं हैं अस्मतें बाज़ार में,
मगर अदालतों में वकीलों की गवाहों से ज़िरह जारी है |

 शहर में आजकल चोर डाकुओं का खौफ़ कुछ भी नहीं ,
 बस सफ़ेद टोपियों और खाकी वर्दियों का कहर जारी है |

उधर सरहद पर मर रहें है दो चार लोग रोज़ ,
इधर दोस्ताना माहौल में दोस्ती की बातचीत जारी है |

यह कैसी  बिसात बिछी है सियासत के मैदानों में ,
कि बाज़ी कोई भी जीते पर हार तो हमारी है |


    

46 टिप्‍पणियां:

  1. andhere badnam hone se bach ...............
    lajavab sher

    ...........
    har to hamari hai
    nihshbad hoon
    sunder
    badhai
    rachana

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  2. बहुत बढ़िया ...सटीक हैं आज के हालात पर आपके शेर..... उम्दा प्रस्तुति

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  3. वाह वाह लाज़वाब कर दिया !आज के विरूप स्थिति का चित्रांकन शब्दों में ।
    उधर सरहद पर मर रहें हैं दो चार लोग रोज़ ,

    इधर दोस्ताना माहौल में दोस्ती की बात ज़ारी है .

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  4. आज के परिप्रेक्ष्य में एकदम सटीक रचना। आभार।

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  5. सच ... बहुत ही सार्थक लेखन ... आज के दौर का सफल चित्रण है ये रचना ...

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  6. मौजूदा दौर की वास्‍तविकता को उजागर करती रचना

    बहुत ही उम्‍दा और प्रभावी
    शुभकामनाए आपको

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  7. उधर सरहद पर मर रहें है दो चार लोग रोज़ ,
    इधर दोस्ताना माहौल में दोस्ती की बातचीत जारी है |


    बहुत सुन्दर गज़ल ..हर शेर अहम बात कहता हुआ .

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  8. सुंदर गज़ल !बिलकुल सटीक चित्रण ...सूरज का अभी कह नहीं सकते लेकिन आगे चलकर चाँद का बंटवारा तो हो ही जाएगा लगता है !!

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  9. आज के हालात का जायजा लेती एक बेबाक प्रस्तुति !

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  10. बहुत सशक्त और शानदार गज़ल्।

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  11. सुन्दर सार्थक अभिव्यक्ति्…..

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  12. आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (11.06.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.blogspot.com/
    चर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)

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  13. आजकल के हालात और सरकार की अकर्मण्यता का सटीक चित्रण।

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  14. Very impressive & meaningful Gazal. Congrats Sunil ji on writing such a timely Gazal.

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  15. बहुत अच्‍छा लिखा.

    http://www.mydunali.blogspot.com/

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  16. उधर सरहद पर मर रहें है दो चार लोग रोज़ ,
    इधर दोस्ताना माहौल में दोस्ती की बातचीत जारी है |

    ........बहुत सुन्दर गज़ल

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  17. कुछ व्यक्तिगत कारणों से पिछले 15 दिनों से ब्लॉग से दूर था
    इसी कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका !
    http://sanjaybhaskar.blogspot.com/2011/06/blog-post_10.html

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  18. बहुत लाज़वाब गज़ल...हरेक शेर आज की अवस्था पर सटीक टिप्पणी..

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  19. आजकल के हालात पर सटीक टिप्पणी.

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  20. जहाँ इतने प्रखर साधक ,संवेदनशील प्रहरी हों मौलिकता को आंच नहीं आ सकती ,लेखनी की धार कहती है ,आप प्यार के सिवा कुछ भी बांटने नहीं देंगे जी /सुंदर शिल्प ,व शिल्पकार को बधाई ...

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  21. बहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना लिखा है आपने! प्रशंग्सनीय प्रस्तुती!

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  22. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  23. देश समाज की समसामयिक हालात पर बहुत सुन्दर रचना ! और आपने सही कहा कि इधर कितना भी लढाई हो रहा हो राजनेता बस शांति का ढोंग रचाते रहेंगे ...

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  24. बहुत लाजवाब शेर ... आईना दिखा रहे हैं सब शेर समाज को ...

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  25. जमीन भी जायेगी, इज्जत भी जायेगी,
    उसके बाद बचेगा क्या?

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  26. क्या व्यंग्य किया है साहब इनके आगे चोर डाकू तो बेचारे कुछ भी नहीं हेै। अगला शेर भी शानदार कडा बिरोधपत्र न जाने कब से चल रहा है ,सही है जनता तो बेचारी हारी हुई ही है जीत कोई भी जाय । शानदार

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  27. आज का चित्रण इससे बेहतर कैसे हो सकता है।बेहतरीन रचना है यह आपकी

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  28. मौजूदा परिस्थिति की तो आपने पोल खोल दी है . शानदार रचना

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  29. सही लिखा....
    बाजी कोई भी जीते पर हार हमारी है।

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