(हिंदी कविताओं ,कथाओं और लेखों का एक कोना)
खुलते पट जब दरवाजे केमिलती सामने उसे निराशा !बिलकुल सही कहा है !achi rachna .......
आपकी आशावादी सोच को सलाम ........बहुत खूब
सकारात्मक सोच के साथ सुन्दर कविता.
खुबसुरत भावों से सजी बेहतरीन रचना। आभार।
bahut sunder!
आशाओं को स्वीकार करें।
सकारात्मक भावनाओं का बहुत सुंदर चित्रण . ...बधाई.
आशा की आशा ही फिजूल है.. आगंतुक के लिए पट खोलें और आगत का स्वागत करें.. निराशा भी आशा में बदल जायेगी!!
सुन्दर भाव ..
आशावादी सोच को संचारित करते भाव.....सुंदर पंक्तियाँ
हम्म...अपनी सहज सकारात्मक्ता को नहीं छोड़ना चाहिये..उम्दा विचार ..बढ़िया रचना.
आशा का दामन कभी भी नहीं छोड़ना चाहिए , अच्छी रचना बधाई
bhut ashavaadi apki panktiya... jivan me ek nayi asha bharti apki rachna... bhut khub..
सुंदर पंक्तियां है , बहुत खूबसूरत
बहुत सुन्दर रचना है ऐसे ही लिखते रहें
क्या बात है, सुंदर रचना
बहुत सुंदर प्रस्तुति जी धन्यवाद
दीप जलाए जा आशा कातम मिटेगा निराशा का :)
"jal diye hain deep ashq kbas unke liye bujhane ko"ye pankti dil ko choo gayi
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!
sunil bhai ji aaj subsh subsh aapki komal v aashhvaadita se bhat ati sunadar rachna padhne ko mili.sach! bahut hi suhdar bhavo ko samete hue hai aapki kacitassadar naman vbadhai ke saath poonam
bahut sundar rachana hai
जला दिए हैं दीप अश्क के, उनके लिए बुझाने को ...बहुत खूब इस लय में आनंद आ गया ! शुभकामनायें आपको !
सुनील भाई, दूसरा कता बहुत प्यारा बन पडा है, मजा आ गया पढकर।एक छोटी सी सलाह देना चाहूंगा, कॉमा और फुलस्टाप के पहले स्पेस न छोडा करें, बहुत भद्दा लगता है देखने में।---------कौमार्य के प्रमाण पत्र की ज़रूरत?ब्लॉग समीक्षा का 17वाँ एपीसोड।
very nice poem.
नहीं किया निराश कभी मैंने ,चौखट पर कड़ी हवाओं को ,बेहतरीन शब्द प्रयोग ,सुन्दर भाव ,रागों का विस्तार .बधाई , साभार .
खुलते पट जब दरवाजे के
जवाब देंहटाएंमिलती सामने उसे निराशा !
बिलकुल सही कहा है !
achi rachna .......
आपकी आशावादी सोच को सलाम ........बहुत खूब
जवाब देंहटाएंसकारात्मक सोच के साथ सुन्दर कविता.
जवाब देंहटाएंखुबसुरत भावों से सजी बेहतरीन रचना। आभार।
जवाब देंहटाएंbahut sunder!
जवाब देंहटाएंआशाओं को स्वीकार करें।
जवाब देंहटाएंसकारात्मक भावनाओं का बहुत सुंदर चित्रण . ...बधाई.
जवाब देंहटाएंआशा की आशा ही फिजूल है.. आगंतुक के लिए पट खोलें और आगत का स्वागत करें.. निराशा भी आशा में बदल जायेगी!!
जवाब देंहटाएंसुन्दर भाव ..
जवाब देंहटाएंआशावादी सोच को संचारित करते भाव.....सुंदर पंक्तियाँ
जवाब देंहटाएंहम्म...अपनी सहज सकारात्मक्ता को नहीं छोड़ना चाहिये..उम्दा विचार ..बढ़िया रचना.
जवाब देंहटाएंआशा का दामन कभी भी नहीं छोड़ना चाहिए , अच्छी रचना बधाई
जवाब देंहटाएंbhut ashavaadi apki panktiya... jivan me ek nayi asha bharti apki rachna... bhut khub..
जवाब देंहटाएंसुंदर पंक्तियां है , बहुत खूबसूरत
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना है ऐसे ही लिखते रहें
जवाब देंहटाएंक्या बात है, सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति जी धन्यवाद
जवाब देंहटाएंदीप जलाए जा आशा का
जवाब देंहटाएंतम मिटेगा निराशा का :)
"jal diye hain deep ashq k
जवाब देंहटाएंbas unke liye bujhane ko"
ye pankti dil ko choo gayi
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंsunil bhai ji
जवाब देंहटाएंaaj subsh subsh aapki komal v aashhvaadita se bhat ati sunadar rachna padhne ko mili.
sach! bahut hi suhdar bhavo ko samete hue hai aapki kacita
ssadar naman
vbadhai ke saath
poonam
bahut sundar rachana hai
जवाब देंहटाएंजला दिए हैं दीप अश्क के, उनके लिए बुझाने को ...
जवाब देंहटाएंबहुत खूब इस लय में आनंद आ गया ! शुभकामनायें आपको !
सुनील भाई, दूसरा कता बहुत प्यारा बन पडा है, मजा आ गया पढकर।
जवाब देंहटाएंएक छोटी सी सलाह देना चाहूंगा, कॉमा और फुलस्टाप के पहले स्पेस न छोडा करें, बहुत भद्दा लगता है देखने में।
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कौमार्य के प्रमाण पत्र की ज़रूरत?
ब्लॉग समीक्षा का 17वाँ एपीसोड।
very nice poem.
जवाब देंहटाएंनहीं किया निराश कभी मैंने ,
जवाब देंहटाएंचौखट पर कड़ी हवाओं को ,
बेहतरीन शब्द प्रयोग ,सुन्दर भाव ,रागों का विस्तार .बधाई , साभार .