मंगलवार, मई 31, 2011

सत्य कथा विशेषांक ( हास्य कविता )



अक्सर हास्य कवियों पर यह आरोप लगते है कि वह लतीफों को पंक्तिबद्ध 
करके रचनाएँ लिखते है | मगर मेरा मानना है कि हास्य कवि दोहरी भूमिका 
निभाता है | इस व्यथित समाज को हँसाने के साथ  साथ सन्देश भी देता है |
चलिए एक आरोप और लगा दीजिये |


एक सम्पादक के मन में 
एक विचार आया | 
 और तुरंत ही उसने ,
एक विज्ञापन छपवाया |
हमारा अगला अंक ,
 सत्य कथा विशेषांक होगा |
और घटनाओं  की सत्यता ,
चयन का आधार होगा |
तब हो गया एक चमत्कार ,
रचना आयीं पूरी पचास हज़ार |
मगर एक ही शीर्षक,
आ रहा था बार बार 
नेताओं का भ्रष्टाचार , नेताओं का भ्रष्टाचार 

28 टिप्‍पणियां:

  1. badiyaa katakch karati hui anoothi rachanaa badhaai aapko.



    please mere blog aaiye.thanks.

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  2. क्या करे सुनील जी जो दिखेगा वही तो वो लिखेगा, अब ये हास्य हो कुछ और, सटीक सत्य कथा

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  3. वाह बहुत खूब .......भ्रष्टाचार का हर तरफ है बोलबाला

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  4. वाह ..इससे अधिक सत्य क्या होगा .

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  5. आज के समय में प्रासंगिक रचना.

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  6. बहुत बढ़िया।
    कटाक्ष तभी अच्छा लगता है जब वह सत्य के बिलकुल करीब होता है।

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  7. बिलकुल सत्य कथा है .... नेताओ का भ्रष्टाचार...
    सटीक कटाक्ष..

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  8. सहमत हे जी आप की बातो से, धन्यवाद

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  9. sunil bhai ji
    bahut hi maza aaya aapki saty katha -vishheshhank padh kar .kya nahle par dahl maara hai .

    hasy ka hasy bhi aur aaj ki yatharthta ke bahut nikat ,saty ko parilxhit karti hai aapki ye majedaar post----
    bahut bahut badhai
    sadar naman
    poonam

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  10. बहुत ही सटीक कहा है.....आभार

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  11. सुनील जी, बिल्कुल सही कहा। सुन्दर प्रस्तुति।

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  12. सुनील जी सुन्दर रचना आज के समय का सत्य है भी यही -जहाँ नजर दौडाओ भ्रष्टाचार ही ....

    कृपया और "घटनाओं" की सत्यता को ठीक कर दें

    शुक्ल भ्रमर ५

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  13. अपने समय का यही सच है .......भ्रष्टाचार ही अब आचार है .

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  14. बहुत सुन्दर और सटीक लिखा है आपने ! सच्चाई को बड़े ही सुन्दरता से प्रस्तुत किया है!

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  15. वाह ! वाह ! सत्य कथाओं का लग गया भंडार, लगता है अब तो जागेगी सरकार !

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  16. आज के दौर में इससे सत्‍य कथा और क्‍या हो सकती है
    बहुत अच्‍छी रचना

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