मंगलवार, मई 03, 2011

वह लम्हा ( मतला और एक शेर )



मेरी पिछली पोस्ट" शेर यूँ मुकम्मल हुआ  " पर एक बेनामी टिपण्णी ने मुझे आपनी 
गलती का अहसास करा  दिया | जिसके अनुसार किसी की सृजन क्षमता को परखने 
का मुझे कोई अधिकार नहीं है | अत आपसे क्षमा चाहूँगा |
लीजिये आज फिर  मतला  और एक शेर अर्ज है |



उस लम्हे की भी 
कुछ और कहानी होती |
ग़र उसकी अदायगी 
तेरी जुबानी होती |

अगर समुन्दर में 
तूफान ना आया होता |
मेरी कश्तियों की भी 
कुछ और कहानी होती |


26 टिप्‍पणियां:

  1. मुझे तेरी मुहब्बत का सहारा मिल गया होता
    अगर तूफ़ां नहीं आता किनारा मिल गया होता :)

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  2. पहली बार आप का लिख शेर पढ़ रही हूँ ,अच्छा लगा |

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  3. "gar samundar me toofaan n aayaa hotaa ,
    kashtiyon kee bhi kuchh aur kahaani hoti "
    Zindgi kitni ruhaani hoti ,
    teri meri kahaani hoti ,
    gar mausam kee meharbaani hoti ,
    baat karne me ravaani hoti .
    veerubhai .
    (Teach me to comment in Hindi .).

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  4. उस लम्हे की भी
    कुछ और कहानी होती |
    ग़र उसकी अदायगी
    तेरी जुबानी होती |

    अगर समुन्दर में
    तूफान ना आया होता |
    मेरी कश्तियों की भी
    कुछ और कहानी होती |
    भाई सुनील कम शब्दों में बहुत बड़ी बात आपने कह दिया बधाई और शुभकामनाएं |

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  5. सार्थक रचना के लिए आभार

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  6. अच्छी शुरुआत है,आहिस्ता आहिस्ता पूरी ग़ज़ल भी कह लेंगे.

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  7. उस लम्हे की भी
    कुछ और कहानी होती
    गर उसकी अदायगी
    तेरी जुबानी होती !
    यही तो सबकी मुश्किल है
    पर ऐसा होता नहीं !

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  8. क्या बात है भाई क्या बात है। तू कहता तो बात ही कुछ और होती और साथ ही समुद्र में तूफान न आता तो कश्ती की कहानी ही बदली हुई होती ।
    एक निवेदन और मैने आपकी रचना शेर यूु मुकम्मल हुआ में उस वेनामी टिप्पणी को तलाशा जिसमें आपकी गलती का अहसास कराया गया है मगर वह टिप्पणी मुझे मिली नहीं ।

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  9. सुंदर प्रस्तुति, तूफानों से टकराने पर कभी कभी नयी दास्तानें बन जाती हैं..

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  10. बहुत ही खूबसूरत अलफ़ाज़....

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  11. अब क्या कहूँ, बढ़िया ,बहुत बढ़िया या कुछ और.कुछ न कुछ तो बात है ही आपकी प्रस्तुति में.

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  12. BAHUT BHAV PURN RACHNA PADHNE KO MILI ISKE LIYE DHANYWAD. . . . . . JAI HIND JAI BHARAT

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