सहमीं है आज,
रेतीली बुनियाद पर खड़ीं
रिश्तों की कच्ची दीवारें|
समाया है डर मन में ,
अमीर-गरीब और,
छोटे बड़े के आघात का|
एक पल में बिखर जाने का
एक घर के,
खंडहर में बदल जानें का|
एक उनके प्यार की
कहानी सुनाएगा |
तो दूसरा उनकी,
बर्बादी की याद दिलाएगा |
behtareen
जवाब देंहटाएं"रिश्तों का महल" पसंद आया |
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति के लिए धन्यवाद |
Bahut Sunder
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंरिश्तों का सच!!
जवाब देंहटाएंदुनिया की सच्चाई का दर्शन कराती कविता !
जवाब देंहटाएंकम शब्दों में गहरी बात....बहुत खूब.
जवाब देंहटाएंरिश्तों के पक्के महल के सामने कच्ची झोपडियाँ.
जवाब देंहटाएंरिश्तों की सच्चाई को आपने बहुत सुन्दरता से शब्दों में पिरोया है! लाजवाब और शानदार रचना के लिए बधाई!
जवाब देंहटाएंमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
riston ki sachchai batati hui saarthak rachanaa.badhaai sweekaren.
जवाब देंहटाएंplease visit my blog.thanks.
बिलकुल सही कहा रिश्ते रेतीली दिवार पर ही खडे हैं आज। अच्छी रचना।
जवाब देंहटाएंअब्बल को कच्ची दीवार और रेत की नींव । दीवार तक पहुंचूं तो बुनियाद सरक जाये। फिर आघात का डर , परिवार तिनके तिनके न बिखर जाये । यदि ऐसा हो गया तो ,इसके बाद चलेगा किस्से कहानियों का दौर । कोई कहेगा हमने ऐसा स्नेह प्यार प्रेम देखा था जिसकी लोग तारीफ करते थे कोई कहेगा देखते देखते कैसे बर्वाद हो गया ।
जवाब देंहटाएंक्या बात है, बहुत सुंदर कविता।
जवाब देंहटाएंएक उनके प्यार की कहानी सुनाएगा
तो दूसरा उनकी बर्बादी की याद दिलाएगा।
क्या बात है..
रिश्तो को परिभाषित कर दिया।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंbahut sundar dhang se aapne rishton ko paribhashit kya hai. Afreen!!!
जवाब देंहटाएंRegards
Fani Raj
बहुत सच कहा है...आज रिश्तों की दीवारें इतनी कमजोर हो गयी हैं कि कभी भी जरा सी चोट से भरभरा कर गिर जाती हैं..बहुत कम शब्दों में बहुत कुछ कह दिया..बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंसहमी है आज
जवाब देंहटाएंरेतीली बुनियाद पे खड़ी
रिश्तों कि कच्ची दीवारें
.
हकीकत से रूबरू करवाती पंक्तियाँ
बेहतरीन क्या कहे शब्द नहीं
जवाब देंहटाएंरिश्तों में ताकत और उनके बिखरने पर वेदना होती है।
जवाब देंहटाएंयही दूरियां तो मानवता को खोखली करती जा रही हैं:(
जवाब देंहटाएंइस दौर का सार भूत अनिश्चयबे -दिली पिरो दिया है कविता में .
जवाब देंहटाएंथे यहाँ तो महज़ अँधेरे ही ,तुझको लेकर उजास रहना था .
अमीरी और गरीबी के बीच बढती खायी से उत्पन्न खतरों से आगाह करती सुंदर विचारणीय कविता.
जवाब देंहटाएंये डर तो हमेशा लगा रहता है।
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना है !
जवाब देंहटाएंजिंदगी की तल्ख़ सच्चाई की भावपूर्ण प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति| धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंयह महल बहुत हसीन है, जिसको देखना हो गर, चला आए इधर। बहुत खूब। बधाई।
जवाब देंहटाएंरिश्तों के मर्म को गहराई से समझा है आपने।
जवाब देंहटाएं---------
ब्लॉग समीक्षा की 20वीं कड़ी...
आई साइबोर्ग, नैतिकता की धज्जियाँ...
परिवार से मिलकर अच्छा लगा |
जवाब देंहटाएंबच्चों की प्रस्तुत कला हेतु आभार ||
दो पंक्तियाँ आपकी कविता पर --
वे रिश्ते जब अपनी कीमत तय कर ले |
मोल चुका देने में, नुकसान नहीं प्यारे ||
rishton ki sateek vyakhya...
जवाब देंहटाएंसहमी हैं आज ,
जवाब देंहटाएंरेतीली बुनियाद पर खड़ी,
रिश्तों की कच्ची दीवारें ।
सम्पूर्ण है यह बिम्ब ,
आगे विस्तार है .
भाव -उत्प्रेरक रचना .
rishton ka sach......bahut khoobsurti se likhe.
जवाब देंहटाएंrishton ke taane baane bahut khoobsoorti se bune gayae...badhayee.
जवाब देंहटाएंमेरा बिना पानी पिए आज का उपवास है आप भी जाने क्यों मैंने यह व्रत किया है.
जवाब देंहटाएंदिल्ली पुलिस का कोई खाकी वर्दी वाला मेरे मृतक शरीर को न छूने की कोशिश भी न करें. मैं नहीं मानता कि-तुम मेरे मृतक शरीर को छूने के भी लायक हो.आप भी उपरोक्त पत्र पढ़कर जाने की क्यों नहीं हैं पुलिस के अधिकारी मेरे मृतक शरीर को छूने के लायक?
मैं आपसे पत्र के माध्यम से वादा करता हूँ की अगर न्याय प्रक्रिया मेरा साथ देती है तब कम से कम 551लाख रूपये का राजस्व का सरकार को फायदा करवा सकता हूँ. मुझे किसी प्रकार का कोई ईनाम भी नहीं चाहिए.ऐसा ही एक पत्र दिल्ली के उच्च न्यायालय में लिखकर भेजा है. ज्यादा पढ़ने के लिए किल्क करके पढ़ें. मैं खाली हाथ आया और खाली हाथ लौट जाऊँगा.
मैंने अपनी पत्नी व उसके परिजनों के साथ ही दिल्ली पुलिस और न्याय व्यवस्था के अत्याचारों के विरोध में 20 मई 2011 से अन्न का त्याग किया हुआ है और 20 जून 2011 से केवल जल पीकर 28 जुलाई तक जैन धर्म की तपस्या करूँगा.जिसके कारण मोबाईल और लैंडलाइन फोन भी बंद रहेंगे. 23 जून से मौन व्रत भी शुरू होगा. आप दुआ करें कि-मेरी तपस्या पूरी हो
bahut achchhi kavita ..ek sach
जवाब देंहटाएं