रविवार, जून 26, 2011

चलो थोडा सा रूमानी हो जायें ............. ( ग़ज़ल)






वह समंदर भी अब तो हमको आबे-हयात लगे, 
जिसमें दरिया तेरे शहर का बस आकर मिले|

तेरी मुहब्बत ने बदल दी अब तो फ़ितरत अपनी,
आज तो हमको अपना, रकीब भी अज़ीज़ लगे|

गुमाँ गुलशन को तेरे आने का हो गया होगा,
तभी तो टूट कर गुल तेरी राहों में बिखरने लगे|

तू आये या ना आये, अब यह कोई मुद्दा ही नहीं,
यह क्या कम है कि तेरे दीदार अब ख्बाबों में होने लगे|



  

34 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत खूब |
    न तुमको आना न मुझको |
    पेट्रोल भी हुआ मंहगा --
    सारे पैसे बचा लिए ||
    तुम्हे अपने ख़्वाब में ही सजा लिए ||

    जवाब देंहटाएं
  2. बस, ख्वाबों में दीदार हो जायें ईश के....

    वाह!! बहुत उम्दा!!!

    जवाब देंहटाएं
  3. आपका हर शेर दमदार ईश को याद करता बधाई

    जवाब देंहटाएं
  4. bahut badiyaa khwab sajayaa aapne.bahut sunder abhibyakti.badhaai aapko.

    जवाब देंहटाएं
  5. रकीब अज़ीज़ लगे तो ऐसा न हो कि प्रेमिका रकीब लगे :)

    जवाब देंहटाएं
  6. बढ़िया जी बहुत बढ़िया.
    मैं तो कहता हूँ की:-
    ख्वाबों में अगर यार का दीदार हो रहा.
    दोनों ये समझ लें कि उन्हें प्यार हो रहा.

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुंदर ग़ज़ल है, सुनील जी ।
    ख़्वाबों में दीदार...
    वाह, क्या बात है।

    जवाब देंहटाएं
  8. वाह .. ख़्वाबों में रोज ही दीदार हो जाए तो फिर बात ही क्या ... लाजवाब ..

    जवाब देंहटाएं
  9. वाह..क्या खूब ... शुभकामनाएँ !

    जवाब देंहटाएं
  10. इस उम्दा प्रस्तुति के लिये आपको बधाईयाँ...

    जवाब देंहटाएं
  11. वह समंदर भी अब तो हमको आबे-हयात लगे,
    जिसमें दरिया तेरे शहर का बस आकर मिले|.. bhut hi khubsurat bhaavo se saji racnhna...

    जवाब देंहटाएं
  12. भावनाओं को स्पर्श करता सृजन मोहक है ,सराहनीय रचना
    सुनील जी ,बहुत अच्छा /

    जवाब देंहटाएं
  13. बहुत सुन्दर गजल. क्वाबों में देखना अच्छा है लेकिन मुद्दा फिर भी छूटेगा नहीं.

    जवाब देंहटाएं
  14. समुन्दर भी हमें तो आबे हायत लगे .अभिनव प्रयोग .अच्छी ग़ज़ल .

    जवाब देंहटाएं
  15. सुंदर कोमल एहसास ...सकारात्मक सोच प्रदर्शित कर रहे है ...
    बधाई.

    जवाब देंहटाएं
  16. मस्त गजल है सुनील जी

    कभी रकीब भी रफ़ीक बनते हैं
    कभी रफ़ीक भी हबीब हो जाते है।

    वक्त वक्त की बात।

    आभार

    जवाब देंहटाएं
  17. वाह वाह !! हर शेर खूबसूरत है पर अंतिम बहुत अच्छा लगा.

    जवाब देंहटाएं
  18. बेहद खुबसुरत रचना। आभार। सबसे अतिंम वाला शेर तो गजब का है।

    जवाब देंहटाएं
  19. भाव अच्छे हैं,पर थोड़ी और कसावट अपेक्षित थी।

    जवाब देंहटाएं
  20. गुमाँ गुलशन को तेरे आने का----- वाह बहुत खूब।

    जवाब देंहटाएं
  21. अय हॅय.. आज तो बड़े मूड में लगते हैं, भाई साहब !
    चलिये एक्ठो स्माइली ले लीजिये :-)

    जवाब देंहटाएं
  22. बहुत सुन्दर ...वाह ... जितनी तारीफ करूं कम है...

    जवाब देंहटाएं