वह समंदर भी अब तो हमको आबे-हयात लगे,
जिसमें दरिया तेरे शहर का बस आकर मिले|
तेरी मुहब्बत ने बदल दी अब तो फ़ितरत अपनी,
आज तो हमको अपना, रकीब भी अज़ीज़ लगे|
गुमाँ गुलशन को तेरे आने का हो गया होगा,
तभी तो टूट कर गुल तेरी राहों में बिखरने लगे|
तू आये या ना आये, अब यह कोई मुद्दा ही नहीं,
यह क्या कम है कि तेरे दीदार अब ख्बाबों में होने लगे|
बहुत खूब |
जवाब देंहटाएंन तुमको आना न मुझको |
पेट्रोल भी हुआ मंहगा --
सारे पैसे बचा लिए ||
तुम्हे अपने ख़्वाब में ही सजा लिए ||
बस, ख्वाबों में दीदार हो जायें ईश के....
जवाब देंहटाएंवाह!! बहुत उम्दा!!!
आपका हर शेर दमदार ईश को याद करता बधाई
जवाब देंहटाएंbahut badiyaa khwab sajayaa aapne.bahut sunder abhibyakti.badhaai aapko.
जवाब देंहटाएंप्यारे शब्द
जवाब देंहटाएंरकीब अज़ीज़ लगे तो ऐसा न हो कि प्रेमिका रकीब लगे :)
जवाब देंहटाएंHarek sher lajawaab!
जवाब देंहटाएंबढ़िया जी बहुत बढ़िया.
जवाब देंहटाएंमैं तो कहता हूँ की:-
ख्वाबों में अगर यार का दीदार हो रहा.
दोनों ये समझ लें कि उन्हें प्यार हो रहा.
बहुत सुंदर ग़ज़ल है, सुनील जी ।
जवाब देंहटाएंख़्वाबों में दीदार...
वाह, क्या बात है।
वाह .. ख़्वाबों में रोज ही दीदार हो जाए तो फिर बात ही क्या ... लाजवाब ..
जवाब देंहटाएंवाह..क्या खूब ... शुभकामनाएँ !
जवाब देंहटाएंबहुत खूब।
जवाब देंहटाएंइस उम्दा प्रस्तुति के लिये आपको बधाईयाँ...
जवाब देंहटाएंवह समंदर भी अब तो हमको आबे-हयात लगे,
जवाब देंहटाएंजिसमें दरिया तेरे शहर का बस आकर मिले|.. bhut hi khubsurat bhaavo se saji racnhna...
भावनाओं को स्पर्श करता सृजन मोहक है ,सराहनीय रचना
जवाब देंहटाएंसुनील जी ,बहुत अच्छा /
bahut hi badhiyaa
जवाब देंहटाएंbahut hi sunder rachna
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर गजल. क्वाबों में देखना अच्छा है लेकिन मुद्दा फिर भी छूटेगा नहीं.
जवाब देंहटाएंसमुन्दर भी हमें तो आबे हायत लगे .अभिनव प्रयोग .अच्छी ग़ज़ल .
जवाब देंहटाएंसुंदर कोमल एहसास ...सकारात्मक सोच प्रदर्शित कर रहे है ...
जवाब देंहटाएंबधाई.
खूबसूरत गज़ल
जवाब देंहटाएंमस्त गजल है सुनील जी
जवाब देंहटाएंकभी रकीब भी रफ़ीक बनते हैं
कभी रफ़ीक भी हबीब हो जाते है।
वक्त वक्त की बात।
आभार
badhiya likha hai..
जवाब देंहटाएंलाज़वाब गज़ल...
जवाब देंहटाएंवाह.. क्या बात है
जवाब देंहटाएंवाह वाह !! हर शेर खूबसूरत है पर अंतिम बहुत अच्छा लगा.
जवाब देंहटाएंसुनील भाई, हम भी रूमानी हो गये आपकी गजल पढकर।
जवाब देंहटाएं---------
विलुप्त हो जाएगा इंसान?
कहाँ ले जाएगी, ये लड़कों की चाहत?
बेहद खुबसुरत रचना। आभार। सबसे अतिंम वाला शेर तो गजब का है।
जवाब देंहटाएंभाव अच्छे हैं,पर थोड़ी और कसावट अपेक्षित थी।
जवाब देंहटाएंक्या बात....बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंगुमाँ गुलशन को तेरे आने का----- वाह बहुत खूब।
जवाब देंहटाएंअय हॅय.. आज तो बड़े मूड में लगते हैं, भाई साहब !
जवाब देंहटाएंचलिये एक्ठो स्माइली ले लीजिये :-)
बहुत सुन्दर ...वाह ... जितनी तारीफ करूं कम है...
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना...बधाई
जवाब देंहटाएंनीरज