कभी- कभी हम बड़े होने के बाद भी अपने अन्दर छिपे बचपन को
बाहर आने से नहीं रोक पाते हम यह चाहते हैं की हम अपने पिता
के कंधे पर चढ़ जाएँ या अपनी माँ की गोद में लेट जाएँ | कभी किसी
मेले में जाकर बच्चों वाले झूले पर बैठ कर जोर जोर से चिल्लाएं ,
और आते समय पीं पीं की अवाज करने वाला बाजा बजाते हुए हाँथ
में गुब्बारे लेकर घर आयें | कभी कभी हम ऐसा करते भी है |
यह दिल की आवाज होती है .
आज मैं कुछ बड़ों की बच्चों जैसी सोंच पर बनायी गयी पेंटिंग ,कृति
पेश कर रहा हूँ |
क्योंकि दिल तो बच्चा है जी .....
कुमारी कृष्णा राठौड़ ,स्नातक डिग्री इलेक्ट्रोनिक एंड कम्युनिकेसन ,
परमाणु उर्जा विभाग के नाभिकीय ईधन समिश्र , हैदराबाद में वैज्ञानिक
अधिकारी के पद पर कार्यरत है |
शिवांगी श्रीवास्तव , इलेक्ट्रनिक एंड कम्प्यूटर में स्नातक डिग्री और
कॉग्निजेंट टेक्नोलोजी सोल्यूशन में प्रोग्रामर अनालिस्ट ट्रेनी के पद पर नियुक्त है |
अच्छी लगीं ये कृतियाँ भी ..
जवाब देंहटाएंsunil ji ...aapke dwaara rakhi gayi kritya bahut sunder hai.....ye dil kabhi bhi bada hona hi nahi chahta ji
जवाब देंहटाएंsach mei ye dil tho baccha hai
bahut sundar chitr.
जवाब देंहटाएंmera to bahut mann kerta hai... paintings achhe lage
जवाब देंहटाएंसच है कई बार बच्चा बन जाने का मन करने लगता है। बहुत सुन्दर चित्र बनाये हैं।
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत कृतियाँ। बधाई।
जवाब देंहटाएंसुन्दर कृतियाँ....
जवाब देंहटाएंसुंदर कलाकृतियां, जिन पर एक प्रदर्षिनी आयोजित होनी चाहिए॥
जवाब देंहटाएंसुंदर कोल्लेक्टिओं ढूंढ निकाला. आखिर दिल तो बच्चा है जी.
जवाब देंहटाएंमनमोहक!!
जवाब देंहटाएंbachpan ko yaad dilati rachna...
जवाब देंहटाएंमन मोहक पेंटिंग्स
जवाब देंहटाएंमनोहारी चित्र!
जवाब देंहटाएंवाकई... दिल तो बच्चा है जी.
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा आलेखन!
जवाब देंहटाएंसभी चित्र बड़ों के दिल का बचपना ही दर्शा रहें हैं ।
जवाब देंहटाएंसभी में उम्र के बावजूद "बचपना" बना रहे ,इससे अच्छी बात और कोई नही हो सकती ।
मनमोहक चित्र ....सही कहा आपने बचपना उम्रभर लुभाता है.....
जवाब देंहटाएंसुन्दर चित्र बनाये हैं....अच्छा है-दिल तो बच्चा ही रहना चाहिये.
जवाब देंहटाएंसही कहा बचपन कैसे भूल सकते हैं..दिल तो हमेशा बच्चा ही रहता है .. सुन्दर चित्र
जवाब देंहटाएंbahut sunder chitr hai ..........
जवाब देंहटाएंsuperbb....vakai dil bahaut hi chota sa baacha hota hai Sunilji...jisko hum zabardasti bada banane ki koshish karte hain.....hah...pata hai main bhi aksar...balki hamesha bahaut zor zor se chilati hun apne baachon ke saath jhula jhulte hue....aur khub masti bhi karti hun
जवाब देंहटाएं