सोमवार, नवंबर 28, 2011

मतला और एक शेर............

साज़िशें हवाओं ने कुछ
मेरे साथ  इस तरह कीं|
दिल सुलगता देखकर, 
रुख अपना हमारी ओर कर दिया |  


मेरी मुहब्बत का सिला ,
मेरे महबूब ने इस तरह दिया |
बुला कर बज़्म में अपनी, 
मुझको बेगाना कह दिया | 

33 टिप्‍पणियां:

  1. वाह क्या बात शेर कहा है आपने सर. बधाई हो.

    जवाब देंहटाएं
  2. साज़िशें हवाओं ने कुछ
    मेरे साथ इस तरह कीं|
    दिल सुलगता देखकर,
    रुख अपना हमारी ओर कर दिया | ...waah

    जवाब देंहटाएं
  3. बेगाना कह दिया तो क्या दुगाना चलता रहे... बस!:) अच्छे अश’आर के लिए बधाई सुनिल भाई।

    जवाब देंहटाएं
  4. वाह !!! बहुत ही बढ़िया शानदार प्रस्तुति ....

    जवाब देंहटाएं
  5. साज़िशें हवाओं ने कुछ
    मेरे साथ इस तरह कीं|
    दिल सुलगता देखकर,
    रुख अपना हमारी ओर कर दिया |

    बहुत सुन्दर

    जवाब देंहटाएं
  6. क्या बात है सुनील जी. दोनों शे'र बहुत खूब कहे हैं.

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत खूब लिखा है आपने! दोनों शेर लाजवाब लगा!
    मेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
    http://seawave-babli.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं
  8. मेरी मुहब्बत का सिला ,
    मेरे महबूब ने इस तरह दिया |
    बुला कर बज़्म में अपनी,
    मुझको बेगाना कह दिया |....बेहद शानदार

    जवाब देंहटाएं
  9. वाह - सुन्दर मोती ---- ढेरों शुभ कामनाये,

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत सुन्दर और बेहतरीन शेर......बधाई

    जवाब देंहटाएं
  11. अच्छा प्रयोग बढ़िया रचना !

    जवाब देंहटाएं
  12. बहुत ही मनभावन प्रस्तुति । कामना है सर्वदा सृजनरत रहें । मेरे नए पोस्ट पर आपकी आतुरता से प्रतीक्षा रहेगी । धन्यवाद ।

    जवाब देंहटाएं
  13. मेरी मुहब्बत का सिला ,
    मेरे महबूब ने इस तरह दिया |
    बुला कर बज़्म में अपनी,
    मुझको बेगाना कह दिया |
    यही रवायत है दुनिया की दिल जलों से पूछ देखो .बेहरसूरत दोनों शैर खूबसूरत हैं .

    जवाब देंहटाएं
  14. साज़िशें हवाओं ने कुछ
    मेरे साथ इस तरह कीं|
    दिल सुलगता देखकर,
    रुख अपना हमारी ओर कर दिया |

    ......... dono bahut umda . sher .........kam shabdo me hawa ki rawani bayan kar gaye . badhai .

    जवाब देंहटाएं
  15. बहुत ख़ूबसूरत प्रस्तुति...

    जवाब देंहटाएं
  16. समय ख़राब चल रहा है। ज़रा संभलकर।

    जवाब देंहटाएं
  17. सुनील जी
    क्या कहे
    आपके दोनों शेरो ने गज़ब ढाया है ..
    सीधे दिल पर पहुंचे है तीर !!

    बधाई !!
    आभार
    विजय
    -----------
    कृपया मेरी नयी कविता " कल,आज और कल " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/11/blog-post_30.html

    जवाब देंहटाएं
  18. वाह ... दोनों शेर कमाल हैं ... सुब्गान अल्ला इस अदायगी पर ...

    जवाब देंहटाएं