कुछ लोग मरने मारने को तैयार हुए बैठे हैं|
और कुछ लोग अपने हांथों में तलवार लिए बैठे हैं,
ना जानें किस फ़ितरत के मालिक हैं वह,
जो इस आग में सेंकने को हाथ तैयार लिए बैठे हैं|
ना जानें कौन से पढ़ी है किताब उन लोगों ने,
जो दहशतगर्दी को भी एक नया नाम दिए बैठे हैं|
कहीं शर्मसार ना हो जाये यह इंसानियत अपनी ,
हम तो हर लाश के लिए कफ़न तैयार लिए बैठे हैं|
बहुत खूब व प्रभावी।
जवाब देंहटाएंwah bahut khoob ....kaha
जवाब देंहटाएंsabhi ek se badhkar ek ........
yeh bahut rasand aya
ना जानें किस फ़ितरत के मालिक हैं वह,
.जो इस आग में सेंकने को हाथ तैयार हुए बैठे हैं| . badhai .
http/sapne-shashi.blogspot.com
उफ़ ...ये राजनेता और उनकी राजनीती चाले ......प्रभावशाली लेखनी
जवाब देंहटाएंprabhavi sher-o-shayri.
जवाब देंहटाएंवाह जी बहुत बढ़िया.
जवाब देंहटाएंबहुत खूब!
जवाब देंहटाएंसुनील जी,..आज के हलात पर लाजबाब शेर लिखा ...बहुत खूब ...
जवाब देंहटाएंमेरे नए पोस्ट पर स्वागत है.....
ना जानें किस फ़ितरत के मालिक हैं वह,
जवाब देंहटाएंजो इस आग में सेंकने को हाथ तैयार हुए बैठे हैं|
bahut badhiya sher ...
कहीं कफ़न तैयार है तो कभी किसी को कफ़न भी मयस्सर नहीं होता!१
जवाब देंहटाएंअसरदार।
जवाब देंहटाएंहर शेर लाजवाब।
सियासत नफरतों के घाव भरने ही नहीं देती,
जवाब देंहटाएंजहाँ भरने को आता है तो मट्ठा डाल देती है!!
कहीं शर्मसार ना हो जाये यह इंसानियत अपनी ,
जवाब देंहटाएंहम तो हर लाश के लिए कफ़न तैयार लिए बैठे हैं|
बहुत खूब ... विचारणीय
क्या बात है, बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंप्रभावशाली रचना...
जवाब देंहटाएंदहशतग़र्दों के लिए भी कफ़न तैयार रखिएगा, यह इंसानियत का तकाज़ा है.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अशआर
जवाब देंहटाएंबधाई
कहीं शर्मसार ना हो जाये यह इंसानियत अपनी ,
जवाब देंहटाएंहम तो हर लाश के लिए कफ़न तैयार लिए बैठे हैं|
वाह वाह ! बहुत खूब आपने तो अपना फर्ज निभाने का पूरा पूरा इंतजाम कर लिया है...लेकिन यह मौका ही न आये और अमन फ़ैल जाये.
sunil bhai ,umda kavita ke liye badhaiya,accha likh rahe ho aap.aabhaar aapka jo nirantar meri rachnaye padhne ka samay nikalhi lete hai.sasneh
जवाब देंहटाएंdr.bhoopendra
rewa
बहुत खूब ... सभी शेर बेहतरीन हैं ... एक से बढ़ के एक ...
जवाब देंहटाएंतारीफ के लिए अल्फाज़ नहीं है....अत्यंत प्रभावी लेखन
जवाब देंहटाएंसटीक लिखा है आपने ! एक से बढ़कर एक शेर है! लाजवाब प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.com/
शानदार और लाजबाब प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंकहीं शर्मसार ना हो जाये यह इंसानियत अपनी ,
जवाब देंहटाएंहम तो हर लाश के लिए कफ़न तैयार लिए बैठे हैं|
bahut khoob
न जाने कौन सी पढ़ी है किताब उन ने ....बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंन जाने कौन सा जुनून है समझ नहीं आता।
जवाब देंहटाएंना जानें किस फ़ितरत के मालिक हैं वह,
जवाब देंहटाएंजो इस आग में सेंकने को हाथ तैयार लिए बैठे हैं|
ऐसे अवसरवादियों से जान बचे!
aadarniy sunil ji
जवाब देंहटाएंbahut bahut hi vicharniy avam umda lagi aapki prstuti.
कहीं शर्मसार ना हो जाये यह इंसानियत अपनी ,
हम तो हर लाश के लिए कफ़न तैयार लिए बैठे हैं|
bas isi baat ka dar hai-------
poonam
ना जानें किस फ़ितरत के मालिक हैं वह,
जवाब देंहटाएंजो इस आग में सेंकने को हाथ तैयार लिए बैठे हैं|
लाजबाब.
समकालीन समय पर सार्थक कविता
जवाब देंहटाएंआदरणीय श्रीसुनीलकुमार जी
जवाब देंहटाएंकहीं शर्मसार ना हो जाये यह इंसानियत अपनी ,
हम तो हर लाश के लिए कफ़न तैयार लिए बैठे हैं|
आपको ढ़ेरों बधाई है,आपकी यह बहुत सुंदर रचना है।
मेरा गीत आप के मन को भाया यह मेरा परम सौभाग्य है,धन्यवाद।