रविवार, नवंबर 20, 2011

फिर चुनाव आने वाला है ..........

एक बार फिर चुनावों का बिगुल बज गया तरह तरह के  वादों  के साथ हमारे नेतागण
मैदान में आ गए |कोई स्विस बैंक से पैसा बापस ला रहा है तो कोई भ्रष्टाचार मिटा रहा 
है |कोई देश को एक बार फिर स्वतंत्र कराने की बात कर रहा है तो कोई गढ़े मुर्दे उखाड़  
कर, न्याय दिलाने की बात, कुल मिलकर बात ही बात ......
कभी कोई  गंगा आरती करती हैं तो कभी कोई  अजमेर शरीफ में चादर चढ़ाता है ... 
कितना अच्छा लगता है यह सब  देख कर कि यहाँ सब धर्म एक सामान हैं |
हमारे नेता हर आदमी को जागरूक कर रहे हैं तुम एक आदमी ही नहीं तुम हिदू हो ,सिख
हो मुसलमान हो या ईसाई |कुछ तो इसके आगे भी समझा रहे हैं | (जो मैं लिख नहीं सकता)कहने का अर्थ यह है एक आम आदमी इनके लिए बस एक वोट बन गया हैं |



क्यों लिए फिरता है वह मजहब के  झंडे हाथ में,
क्या मालूम हो गया अपना मजहब  उसको  या  फिर चुनाव आने वाला है |

क्यों सुनाई दे रहीं मस्जिदों से घंटियाँ और मंदिरों से अजान,
या तो कोई सिरफिरा गया है उधर या फिर चुनाव आने वाला है |

यह गुजरात और गोधरा फिर क्यों सुर्ख़ियों में हैं,
या तो  अपनी गलतियों का अहसास हुआ है उन्हें  या फिर चुनाव आने वाला है |

यह आज कौन बनके हमदर्द मेरे घर आया,
या तो वह शख्स इन्सान बना है अभी या फिर चुनाव आने वाला हैं |



30 टिप्‍पणियां:

  1. अच्छा लिखा है.हार्दिक शुभकामना .

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  2. सबको अपनी कुर्सी प्यारी,
    फिर वादों की मारामारी।

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  3. सूबे में आ गए चुनाव
    हर गंगे
    है हमाम में सब नंगे
    हर गंगे

    सटीक बात, हर गंगे

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  4. छाई चर्चामंच पर, प्रस्तुति यह उत्कृष्ट |
    सोमवार को बाचिये, पलटे आकर पृष्ट ||

    charchamanch.blogspot.com

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  5. सिर्फ एक कुर्सी का सवाल है

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  6. किसी विशेष परिस्थिति से प्रभावित आचार विचार स्थायी कहाँ होते हैं!

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  7. निश्चित रूप से चुनाव ही आने वाला है. इसमें नेता सभी को उसका धर्म, जाति, जंगल, मोहल्ला, गली तक याद दिलाने लगते हैं. आपने जो नहीं कहा वह उतना ही सच है सुनील जी.

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  8. हमने सुना था कि जब मुंडेर पर आकर कोई कौवा कांव -कांव करे तो मेहमान का आगमन हो सकता है ठीक उसी तरह जब गलियों और मुहल्लों में ये लोग आकर प्रलाप करने लगें तो समझिए कि चुनाव आने ही वाला है .

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  9. यह तो आपने हिमखंड का उपरी हिस्सा बताया नीचे का हि्स्सा यह है कि कांग्रेस के भ्रष्टाचार और उसके बाद सीना जोरी से उन लोगो को मौका मिल गया है जो देश मे नफ़र्त की लहर पैदा करना चाह रहे थे अंजाम क्या होगा पता नही पर कामन सेंस प्रिवेल करेगा यही मै रो दुआ करता हूं।

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  10. सब कुछ कुर्सी के लिए.....
    न जाने क्‍या क्‍या करने पडते हैं......
    बहुत अच्‍छी प्रस्‍तुति... गहरा व्‍यंग्‍य।

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  11. क्यों सुनाई दे रहीं मस्जिदों से घंटियाँ और मंदिरों से अजान,
    या तो कोई सिरफिरा गया है उधर या फिर चुनाव आने वाला है |

    बहुत सुन्दर कटाक्ष...
    सादर बधाई...

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  12. वाह ! चुनाव ही आने वाला है जो चारों ओर अपनापन झलकता नजर आ रहा है.. सटीक वयंग्य !

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  13. बहुत बढ़िया लगा! सटीक व्यंग्य !
    मेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
    http://seawave-babli.blogspot.com

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  14. यह आज कौन बनके हमदर्द मेरे घर आया,
    या तो वह शख्स इन्सान बना है अभी या फिर चुनाव आने वाला हैं |

    बहुत सटीक व्यंग....बहुत सुन्दर

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  15. यह आज कौन बनके हमदर्द मेरे घर आया,
    या तो वह शख्स इन्सान बना है अभी या फिर चुनाव आने वाला हैं |

    bilkul sahi...badhiya prastuti

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  16. वाह बहुत खूबसूरत कटाक्ष बही रचना बिल्कुल सटीक निशाना |
    सुन्दर रचना |

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  17. यही तो होता है चुनाव में- कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना :)

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  18. बेहतरीन लिखा हुआ लेख, बिगाड नहीं सकता कोई कुछ इनका

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  19. अबतो ना जाने क्या-क्या होगा... चुनाव जो आने वाला है...:)
    बहुत अच्‍छी प्रस्‍तुति...

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  20. क्यों सुनाई दे रहीं मस्जिदों से घंटियाँ और मंदिरों से अजान,
    या तो कोई सिरफिरा गया है उधर या फिर चुनाव आने वाला है |

    Khoob.... Aisa hi hota hai....

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  21. यथार्थमय चित्रण ।
    सार्थक प्रस्तुति ।

    प्रस्तुत कहानी पर अपनी महत्त्वपूर्ण प्रतिक्रिया से अवगत कराएँ ।

    भावना

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  22. बिलकुल सही निशाना साधा है ! बहुत सुन्दर !

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  23. कुछ हाँथ से उसके फिसल गया,
    वह पलक झपक कर निकल गया.
    फिर लाश बिछ गई लाखो की,
    सब पलक झपक कर बदल गया,
    जब रिश्ते राख में बदल गए,
    इंसानों का दिल दहल गया,
    में पूँछ पूँछ कर हार गया,
    क्यों मेरा भारत बदल गया,
    जय हिंद जय माँ भारती .

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  24. यह आज कौन बनके हमदर्द मेरे घर आया,
    या तो वह शख्स इन्सान बना है अभी या फिर चुनाव आने वाला हैं |
    बहत खूब ...बधाई

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