शनिवार, नवंबर 05, 2011

व्यर्थ आंसू .......




मत बहाओ,
व्यर्थ
तुम अपने  यह आँसू |
ना ही कोई
दया का सागर उमडेगा
और ना ही कोई ,
आएगा
भावनाओं का सैलाब |
क्योंकि
गिर रहे हैं
तुम्हारे यह आँसू
संवेदनहीनता  की रेत पर|
 
 

48 टिप्‍पणियां:

  1. सुनील जी..आपने बहुत ही संवेदनसील सुंदर रचना लिखी है अच्छी पोस्ट ...बधाई
    मेरे नये पोस्ट में स्वागत है ...

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  2. सच है सबके मन में अब असंवेदनशीलता घर कर चुकी है

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  3. संवेदनाहीनता के वातावरण में आँसू रुक तो नहीं न!

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  4. संवेदनहीन संसार में आंसुओं को कौन देखता है...

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  5. गिर रहे हैं
    तुम्हारे यह आँसू
    संवेदनहीनता की रेत पर|
    सुन्दर अभिव्यक्ति.....

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  6. पत्थर बन गये हैं दिल और शून्य हो गई हैं संवेदनाएँ !
    भावपूर्ण सुंदर अभिव्यक्ति ! बधाई !

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  7. आंसू ब्यर्थ नहीं होते.... कभी न कभी तो ये सैलाब बन ही जाएंगे और गम को डुबो देंगे

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  8. क्योंकि
    गिर रहे हैं
    तुम्हारे यह आँसू
    संवेदनहीनता की रेत पर|

    बहुत सुन्दर पंक्तियाँ|

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  9. बहुत खूबसूरत संवेदनशील रचना |

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  10. सही है सुनील जी,
    जब तुम हंसते हो तो सारा जग तुम्हारे साथ हंसता है मगर जब तुम रोते हो तो सदा अकेले होते हो!!

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  11. गहरे मन में उतरने वाली पंक्तियां....

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  12. आपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा दिनांक 07-11-2011 को सोमवासरीय चर्चा मंच पर भी होगी। सूचनार्थ

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  13. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है!
    यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।">चर्चा

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  14. सुन्दर लिखा है..व्यर्थ जाया नहीं करना चाहिए.

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  15. असंवेदनशीलता में सारे प्रयत्न व्यर्थ ही रह जाते हैं. बहुत सुंदर लिखा है.

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  16. ...... गिर रहे हैं ...संवेदन हीनता की रेत पर ......मुखर अभिव्यक्ति ...प्रशंसनीय काव्य ....बधाईयाँ जी /

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  17. सम्वेदनहीनता की रेत पर आँसू सूख ही जाते हैं

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  18. सही बात कही आपने..... अति सुन्दर...

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  19. क्योंकि
    गिर रहे हैं
    तुम्हारे यह आँसू
    संवेदनहीनता की रेत पर।

    प्रभावशाली कविता। कम शब्दों में बहुत गहरी बात कह दी आपने।

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  20. bahut hi badhiya likha hai,,
    lekin shayad aanshu kabhi bekaar nahi jate

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  21. संवेदन हीनता की रेत पर.....
    बहुत सुन्दर...
    सादर...

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  22. संवेदन शील रचना और आज का यथार्थ भी बहुत अच्छा लिखा है

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  23. रेत तो खुद ही प्यासी होती है .... पी जाएगी तुम्हें भी ... तुम्हारे आँसुओं के साथ

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  24. मत बहाओ,
    व्यर्थ
    तुम अपने यह आँसू |
    बिलकुल सही बात है... रोक लो इन्हें...संवेदनशील रचना

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  25. सुन्दर पंक्तियाँ,अच्छी प्रस्तुति !

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  26. संवेदनहीनता के केक्टस उग रहें हैं चारों तरफ

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  27. संवेदना जागे तभी आंसू और व्यथा संप्रेषित हो पायेंगे!

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  28. गिर रहे हैं
    तुम्हारे यह आँसू
    संवेदनहीनता की रेत पर|

    बहुत खूब ..

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  29. सही कहा है आपने!
    आज के स्न्वेद्न्हीन्ता को व्यक्त कराती

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  30. ईद मुबारक .बेहद भावपूर्ण अभिव्यक्ति .ये आंसू मेरे दिल की जुबान हैं

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  31. yathart ko batati hui bahut hi shaandaar rachanaa.bahut badhaai aapko.
    मुझे ये बताते हुए बड़ी ख़ुशी हो रही है , की आपकी पोस्ट आज की ब्लोगर्स मीट वीकली (१६)के मंच पर प्रस्तुत की गई है /आप हिंदी की सेवा इसी तरह करते रहें यही कामना है /आपका
    ब्लोगर्स मीट वीकली के मंच पर स्वागत है /आइये और अपने विचारों से हमें अवगत करिए / जरुर पधारें /

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  32. सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना लिखा है आपने! बधाई!
    मेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://seawave-babli.blogspot.com/

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  33. बहुत ही बढ़िया संवेदनशील प्रस्तुति ....

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  34. आँसू अपने आप में एक नियामत हैं... बहकर यह मन को हल्का कर देते हैं और आँखों को स्वच्छ...

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  35. bahut hi sunder maat bahao ye ansoo.......jab gagar bhar jati hai to annsoo apne -aap chalak jate hai . badhai aapko .

    http/sapne-shashi.blogspot.com

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  36. गिर रहे हैं
    तुम्हारे यह आँसू
    संवेदनहीनता की रेत पर|.....
    बहुत बढ़िया चित्र

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