बँटी हुई यह जिन्दगी |
हर एक टुकड़ा
मांगता है अपना हिसाब
मजबूर हूँ तलाशने को ,
उनके लिए रोज़ ,
नये नये जबाब|
अपने दायित्वों का,
बोझ में बदल जाना |
जिन्दगी की रफ़्तार को
कुछ और कम कर जाना |
थकें मांदें सूरज का
झूठा आश्वासन
कल नया सूरज देगा,
एक नया जीवन |
अब बन चुका है
एक चक्र ,
मन के सन्नाटे में,
गूंजता है केवल एक प्रश्न |
क्या यही है जीवन ?
सुनाई पड़ती है प्रतिध्वनि
हाँ यही है जीवन ..............
bemisaal ---टुकड़ों -टुकड़ों में
जवाब देंहटाएंबँटी हुई यह जिन्दगी |
हर एक टुकड़ा
मांगता है अपना हिसाब
मजबूर हूँ तलाशने को ,
उनके लिए रोज़ ,
नये नये जबाब|
हर कोई अपना हिस्सा माँगता है।
जवाब देंहटाएंमन के सन्नाटे में,
जवाब देंहटाएंगूंजता है केवल एक प्रश्न |
क्या यही है जीवन ?
सुनाई पड़ती है प्रतिध्वनि
हाँ यही है जीवन ...
हाँ यही तो है जीवन ...लाजवाब रचना
जीवन का निरूपण बहुत अच्छे से किया है आपने,सुनील जी.
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति के लिए आभार.
समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
बहुत ही सधे हुए शब्दों में आपने रचना को लिखा है ...........हर शब्द बयां कर रहा है कटु सत्य...........
जवाब देंहटाएंनये नये जबाब|
अपने दायित्वों का,
बोझ में बदल जाना |
जिन्दगी की रफ़्तार को
कुछ और कम कर जाना |..................बहुत खूब ........दिल हो छु गए ये शब्द , सच्चाई बयां करते हुए ..बधाई .
http/sapne-shashi.blogspot.com
हाँ यही है जीवन ..............
जवाब देंहटाएंबहुत खूब कहा है आपने ।
adhbhut...panktiyan
जवाब देंहटाएंHAR EK TUKDA MANGTA HAI APNA HISAB
मन के सन्नाटे में,
जवाब देंहटाएंगूंजता है केवल एक प्रश्न |
क्या यही है जीवन ?
सच कहा सुनील जी, जीवन शायद इसी का नाम है. सुंदर रचना.
सुन्दर प्रस्तुति...वाह!
जवाब देंहटाएंहाँ यही है जीवन ..............
जवाब देंहटाएंwah.
हाँ यही है जीवन ..............
जवाब देंहटाएंजीवन का सत्य यही है | अति सुन्दर !
सुनील जी..कल नया सूरज देगा,एक नया जीवन.क्या खूब लिखा,..
जवाब देंहटाएंजीवन की सच्चाई यही है..अति सुंदर रचना...
ye jeewan hai....is jeewan ki yahi hai rang roop.
जवाब देंहटाएंमन के सन्नाटे में,
जवाब देंहटाएंगूंजता है केवल एक प्रश्न |
क्या यही है जीवन ?
सुनाई पड़ती है प्रतिध्वनि
हाँ यही है जीवन ..............
Wah!
हर एक टुकड़ा
जवाब देंहटाएंमांगता है अपना हिसाब.
जीवन की सच्चाई यही है.
कुछ पहेलियों में उलझते रहना सुलझते रहना ...यही तो जीवन है !
जवाब देंहटाएंबिलकुल सच कहा है आपने. जिंदगी बेहद उलझी हुई होती है
जवाब देंहटाएंकभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता ॥
जवाब देंहटाएंसच हे तो कहा है आपने क्या कहूँ और कौन सी लाइनों को चुनू पूरी कविता ही लाजवाब है।
जवाब देंहटाएं"इंसान कि ख्वाइश कि कोई इंतेहा नहीं
दो गज़ ज़मीन चाहिए दो गज़ कफन के बाद"
जिंदगी तो उलझी हुई होती है पर जो इन उलझनों से निकल जाए उसी का जीवन सफल है....
जवाब देंहटाएंबहरहाल, अच्छी प्रस्तुति।
मन के सन्नाटे में,
जवाब देंहटाएंगूंजता है केवल एक प्रश्न |
क्या यही है जीवन ?
सुनाई पड़ती है प्रतिध्वनि
हाँ यही है जीवन ........
यही चक्र चलता रहता है जीवन भर
प्रश्न की प्रतिध्वनि ही उत्तर बन कर आती है, बहुत बढ़िया अनुभव.
जवाब देंहटाएंबढ़िया रचना
जवाब देंहटाएंGyan Darpan
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सच में हिस्सों में बटा है जीवन ...... सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंयह अच्छा हुआ कि आपको ज़वाब जल्द मिल गया वर्ना यहाँ तो पूरी उमर बीत जाती है ज़वाब पाने में !
जवाब देंहटाएंनहीं,जीवन यह तो नहीं है। चौरासी लाख योनियों से इसलिए तो नहीं गुजरता कोई।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर व सटीक चित्रण किया है।
जवाब देंहटाएंहाँ यही है जीवन...sachhayi se bharput rachna aapki
जवाब देंहटाएंbahut khoob
जवाब देंहटाएंमेरी नई पोस्ट देखें...
जवाब देंहटाएंsach hi kaha hai aapne.....
जवाब देंहटाएंभाई सुनील जी सुन्दर कविता बधाई
जवाब देंहटाएंकभी हुश्न को गुलाब देते-देते
जवाब देंहटाएंकभी आईने को शवाब देते-देते
यूँ ही बीत गया हर लम्हा
अपनी जिंदगी को हिसाब देते-देते.
सुन्दर जज्बात.
नहीं, यही तो जीवन नहीं... जीवन तो फूल की तरह खिलने में है...हवा और धूप की तरह बिखरने में है... झरने की तरह बहने में है...और न जाने क्या क्या है...
जवाब देंहटाएंaaj tak hame bhi samajh me nahi aaya jeevan...
जवाब देंहटाएंjai hind jai bharat
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंक्या कहने
थकें मांदें सूरज का
जवाब देंहटाएंझूठा आश्वासन
कल नया सूरज देगा,
एक नया जीवन ......
और इसी उम्मीद पर हम चलते चले जाते हैं . खालीपन का सटीक चित्रण .
शायद इसी का नाम जीवन है ...
जवाब देंहटाएंजन्म हमें मिला ही हुआ है
जवाब देंहटाएंआओं जीवन हम निर्मित करते है !
औसत आदमी ऐसा ही जीवन जीता है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावो से भरी पोस्ट......शानदार |
जवाब देंहटाएंभावों की बहुत ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति...बहुत बढि़या
जवाब देंहटाएंसुंदर मन की सुंदर प्रस्तुति । मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंमन के सन्नाटे में,
जवाब देंहटाएंगूंजता है केवल एक प्रश्न |
क्या यही है जीवन ?
सुनाई पड़ती है प्रतिध्वनि
हाँ यही है जीवन ........
.बहुत बढि़या.
bahut hi acchi prastuti hai..
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