मंगलवार, नवंबर 01, 2011

टुकड़ों -टुकड़ों में बँटी हुई ज़िन्दगी......


टुकड़ों -टुकड़ों में 
बँटी हुई यह जिन्दगी |
हर एक  टुकड़ा 
मांगता है अपना हिसाब 
मजबूर हूँ तलाशने को ,
उनके लिए रोज़ , 
नये नये जबाब| 
अपने दायित्वों का, 
बोझ में बदल जाना |
जिन्दगी की रफ़्तार को 
कुछ और कम कर जाना |
थकें मांदें सूरज का 
झूठा आश्वासन 
कल नया सूरज देगा, 
एक नया जीवन |
अब बन चुका है 
एक  चक्र ,
मन के सन्नाटे में, 
गूंजता है केवल एक प्रश्न |
क्या यही है जीवन ?
सुनाई पड़ती है प्रतिध्वनि
हाँ यही है जीवन ..............



45 टिप्‍पणियां:

  1. bemisaal ---टुकड़ों -टुकड़ों में
    बँटी हुई यह जिन्दगी |
    हर एक टुकड़ा
    मांगता है अपना हिसाब
    मजबूर हूँ तलाशने को ,
    उनके लिए रोज़ ,
    नये नये जबाब|

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  2. मन के सन्नाटे में,
    गूंजता है केवल एक प्रश्न |
    क्या यही है जीवन ?
    सुनाई पड़ती है प्रतिध्वनि
    हाँ यही है जीवन ...

    हाँ यही तो है जीवन ...लाजवाब रचना

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  3. जीवन का निरूपण बहुत अच्छे से किया है आपने,सुनील जी.
    सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए आभार.

    समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.

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  4. बहुत ही सधे हुए शब्दों में आपने रचना को लिखा है ...........हर शब्द बयां कर रहा है कटु सत्य...........
    नये नये जबाब|
    अपने दायित्वों का,
    बोझ में बदल जाना |
    जिन्दगी की रफ़्तार को
    कुछ और कम कर जाना |..................बहुत खूब ........दिल हो छु गए ये शब्द , सच्चाई बयां करते हुए ..बधाई .


    http/sapne-shashi.blogspot.com

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  5. हाँ यही है जीवन ..............
    बहुत खूब कहा है आपने ।

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  6. मन के सन्नाटे में,
    गूंजता है केवल एक प्रश्न |
    क्या यही है जीवन ?

    सच कहा सुनील जी, जीवन शायद इसी का नाम है. सुंदर रचना.

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  7. हाँ यही है जीवन ..............
    जीवन का सत्य यही है | अति सुन्दर !

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  8. सुनील जी..कल नया सूरज देगा,एक नया जीवन.क्या खूब लिखा,..
    जीवन की सच्चाई यही है..अति सुंदर रचना...

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  9. मन के सन्नाटे में,
    गूंजता है केवल एक प्रश्न |
    क्या यही है जीवन ?
    सुनाई पड़ती है प्रतिध्वनि
    हाँ यही है जीवन ..............
    Wah!

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  10. हर एक टुकड़ा
    मांगता है अपना हिसाब.
    जीवन की सच्चाई यही है.

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  11. कुछ पहेलियों में उलझते रहना सुलझते रहना ...यही तो जीवन है !

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  12. बिलकुल सच कहा है आपने. जिंदगी बेहद उलझी हुई होती है

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  13. कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता ॥

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  14. सच हे तो कहा है आपने क्या कहूँ और कौन सी लाइनों को चुनू पूरी कविता ही लाजवाब है।
    "इंसान कि ख्वाइश कि कोई इंतेहा नहीं
    दो गज़ ज़मीन चाहिए दो गज़ कफन के बाद"

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  15. जिंदगी तो उलझी हुई होती है पर जो इन उलझनों से निकल जाए उसी का जीवन सफल है....
    बहरहाल, अच्‍छी प्रस्‍तुति।

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  16. मन के सन्नाटे में,
    गूंजता है केवल एक प्रश्न |
    क्या यही है जीवन ?
    सुनाई पड़ती है प्रतिध्वनि
    हाँ यही है जीवन ........

    यही चक्र चलता रहता है जीवन भर

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  17. प्रश्न की प्रतिध्वनि ही उत्तर बन कर आती है, बहुत बढ़िया अनुभव.

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  18. सच में हिस्सों में बटा है जीवन ...... सुंदर रचना

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  19. यह अच्छा हुआ कि आपको ज़वाब जल्द मिल गया वर्ना यहाँ तो पूरी उमर बीत जाती है ज़वाब पाने में !

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  20. नहीं,जीवन यह तो नहीं है। चौरासी लाख योनियों से इसलिए तो नहीं गुजरता कोई।

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  21. बहुत सुन्दर व सटीक चित्रण किया है।

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  22. कभी हुश्न को गुलाब देते-देते
    कभी आईने को शवाब देते-देते
    यूँ ही बीत गया हर लम्हा
    अपनी जिंदगी को हिसाब देते-देते.

    सुन्दर जज्बात.

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  23. नहीं, यही तो जीवन नहीं... जीवन तो फूल की तरह खिलने में है...हवा और धूप की तरह बिखरने में है... झरने की तरह बहने में है...और न जाने क्या क्या है...

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  24. aaj tak hame bhi samajh me nahi aaya jeevan...
    jai hind jai bharat

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  25. थकें मांदें सूरज का
    झूठा आश्वासन
    कल नया सूरज देगा,
    एक नया जीवन ......
    और इसी उम्मीद पर हम चलते चले जाते हैं . खालीपन का सटीक चित्रण .

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  26. जन्म हमें मिला ही हुआ है
    आओं जीवन हम निर्मित करते है !

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  27. बहुत सुन्दर भावो से भरी पोस्ट......शानदार |

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  28. भावों की बहुत ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति...बहुत बढि़या

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  29. सुंदर मन की सुंदर प्रस्तुति । मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।

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  30. मन के सन्नाटे में,
    गूंजता है केवल एक प्रश्न |
    क्या यही है जीवन ?
    सुनाई पड़ती है प्रतिध्वनि
    हाँ यही है जीवन ........
    .बहुत बढि़या.

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