बुधवार, सितंबर 07, 2011

एक अहसास.......




समुन्दर के किनारे 
 रेत पर  बैठ कर , 
एक ज्वारभाटे का इंतजार 
अपनी फंसी हुई ,
कश्ती को निकलने का |
मगर यह सोंच कर
डर  जाता  हूँ 
कि क्या होगा ,
उन कश्तियों का
जो खेल रही हैं 
समुन्द्र की लहरों से 
होकर निश्चिन्त |
अचानक एक अहसास 
अपने स्वार्थी होने का 
बहा ले गया 
मुझे गहरे समुन्द्र में |

  

32 टिप्‍पणियां:

  1. वाह...लाजवाब पोस्ट...शब्दों से जो तिलस्म आपने रचा है वो कमाल है...अद्भुत लेखन...

    नीरज

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  2. अहसास ही महत्वपूर्ण है! स्वार्थ के कारागार से आत्मा को मुक्त तो होना ही है!

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  3. बहुत संवेदन भरा अहसास सुंदर कविता में ढल गया॥

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  4. लाजवाब! रचना के भाव अपने साथ बहा ले जाते हैं। बहुत सुंदर

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  5. क्या होगा ,
    उन कश्तियों का
    जो खेल रही हैं
    समुन्द्र की लहरों से
    होकर निश्चिन्त |
    अचानक एक अहसास
    अपने स्वार्थी होने का
    बहा ले गया
    मुझे गहरे समुन्द्र में |
    behad achhi rachna

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  6. लहरें कहाँ आती हैं किसी के वश में?

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  7. सुन्दर भावपूर्ण,किश्तिया समुद्र का मर्म नहीं पहचानती न ही समुद्र किस्तियों की चाल.

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  8. mai bhav to samjh gaya ,pr explain kaise karu
    accha laga

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  9. लहरें हैं लहरों का क्या ....लेकिन जीवन की भावना रूपी लहरों की तो कीमत है ना....!

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  10. संवेदनशील भावों की गहन अभिव्यक्ति....

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  11. बहुत ही सुन्दर और सार्थक कविता , शब्दों में अपनापन सा लगता है

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  12. अचानक एक अहसास
    अपने स्वार्थी होने का
    बहा ले गया
    मुझे गहरे समुन्द्र में .....

    आप सकुशल तो हैं न .....?

    :))

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  13. सदा की तरह एक सुंदर संदेश देती हुई कविता... बहुत बहुत बधाई!

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  14. अचानक एक अहसास
    अपने स्वार्थी होने का
    बहा ले गया
    मुझे गहरे समुन्द्र में...

    ये अहसास ही है, जो हमे स्वार्थी होने से रोकता है...सुंदर संदेश देती कविता...

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  15. रचना के भाव ही अपने साथ बहा लेजाते है। और आँखों के सामने जैसे एक चल चित्र सा उभरने लगता है ....बहुत बढ़िया वा गहन अभिव्यक्ति धन्यवाद......

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  16. समय मिले तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है।
    http://mhare-anubhav.blogspot.com/

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  17. बहुत ही सुन्दर और गहन अभिव्यक्ति...

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  18. अचानक एक अहसास
    अपने स्वार्थी होने का
    बहा ले गया
    मुझे गहरे समुन्द्र में |

    काश हर व्यक्ति इस अहसास से एक बार गुजरे तो भ्रष्टाचार तो खत्म होता ही दिखेगा

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  19. जीवन के प्रति रचनाकार के दृष्टिकोण को दर्शाती हुई सुंदर रचना.

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  20. गहन भावों की सुन्दर प्रस्तुति ....

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  21. अहसासों ते भरी सुंदर कविता....

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  22. सुनील जी,
    बहुत अच्छी लगी रचना !

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  23. यह अहसास ही हमें एक अच्छा और निडर इन्सान बनाता है ।
    आप मेरे ब्लॉग पर आये धन्यवाद, स्नेह बनाये रखें ।

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  24. प्रेरक पोस्ट !बधाई .अति सूक्ष्म बारेक बात कहते हो दोस्त !बेहद प्रतीकात्मक होते जा रहे हो रचनाओं में भाव में .

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  25. बहुत ही अच्छी रचना और कल्पना।
    आपके दिये सुझाव का पालन अवश्य
    करूँगी। लिंक करने का जो सुझाव
    आपने दिया था वो भी कोशिश करुँगी।
    वैसे एक बात बताऊँ मुझे ज्यादा
    जानकारी नही है ब्लाँग के बारे में।धन्यवाद।

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  26. aaj pahli baar aapke blog par aayi hun....behtreen rachnayen hain aapki....aabhar

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