मंगलवार, सितंबर 20, 2011

बेटियों पर यह कैसा अत्याचार .......

बेटियों पर हो रहा, 
यह कैसा अत्याचार है |
एक आँख  रो रही है, 
और एक शर्मसार  है |

सृष्टि की रचना तो, 
देवों का उपकार है|
फिर क्यों उस मानव का, 
यह दानव सा व्यवहार है |

लक्ष्मी और दुर्गा का, 
नाम यहाँ पाती हैं|
जो कोख में तो बच गयीं 
फिर यहाँ मारी जाती है|

बेटी चाहे निर्धन की हो 
या हो वह धनवान की|
बेटी चाहे हिन्दू को 
या हो मुसलमान की  
बाज़ारों में बिकती है 
तो बेटी बस इन्सान की| 
और विदेशों में बिकती है जब, 
तो बस इज्ज़त हिंदुस्तान की|  


40 टिप्‍पणियां:

  1. सही है ....पता नहीं समाज सही अर्थों में बेटियों की इज्जत करना कब सीखेगा

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  2. उफ़ बेहद कटु सच्चाई का बहुत ही मार्मिक चित्रण किया है।

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  3. मार्मिक रचना ... सोचने को विवश करती है ...

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  4. बेटियों पर हो रहा,
    यह कैसा अत्याचार है |
    एक आँख रो रही है,
    और एक शर्मसार है |

    एक कटु सत्य का बहुत ही मर्मस्पर्शी चित्रण...

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  5. अत्यंत मार्मिक रचना, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  6. यथार्थ के धरातल पर रची गयी मार्मिक रचना...

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  7. सृष्टि की रचना तो,
    देवों का उपकार है|
    फिर क्यों उस मानव का,
    यह दानव सा व्यवहार है |
    Sach me! Aisa kyon hota hai?

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  8. सच की तस्वीर दिखाती धारदार कविता....

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  9. अक कटु सत्य को उजागर करती रचना. मगर ये दशा अब तो बदलनी चाहिए जब सभी के यही जज़्बात होंगे तो बात भी जरूर होगी , बधाई

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  10. बेटियों पर हो रहा,
    यह कैसा अत्याचार है |
    एक आँख रो रही है,
    और एक शर्मसार है |

    एक कटु सत्य... मर्मस्पर्शी चित्रण...

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  11. बहुत सुंदर,
    सामाजिक बुराई के खिलाफ अच्छी रचना

    वो रुलाकर हस ना पाया देर तक
    जब मैं रोकर मुस्कुराया देर तक।
    नाहलक बेटे तो दर्दे सिर बने,
    बेटियों ने सर दबाया देर तक।

    (नाहलक.. नालायक)

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  12. जायज़ चिंता और कडवी सच्चाई को स्वर दिया है....मार्मिक प्रस्तुति

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  13. हिंदुस्तान की इज्जत को कौन बचाएगा . झूठा विवाह के नाम पर ये व्यापार खूब किया जाता है..

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  14. भ्रूण हत्या पर मार्मिक पोस्ट.

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  15. सुनील जी ,
    आपकी ये कविता लिए जा रही हूँ ....
    यहाँ गुवाहाटी से एक पत्रिका निकलती है ''आगमन''
    उसमें प्रेषित हेतु ....

    अपना पता और फोन न दे दीजिये ....

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  16. दिल को झकझोरने वाली रचना. महिला की स्थिति अंतर्विरोधों से भरी है. इसका कोई समाधान भी दिखाई नहीं देता. आने वाला समय सकारात्मक होगा.

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  17. आला दर्जे की अव्वल रचना .
    बेटियों पर यह कैसा अत्याचार .......
    बेटियों पर हो रहा,
    यह कैसा अत्याचार है |
    एक आँख रो रही है,
    दिल के मामले में भी कन्याओं से सौतेला व्यवहार .
    Girls face bias in heart surgery too
    वाह! रे !भारतीय रीति-रिवाज़ और संस्कृति .THE TIMES OF इंडिया की यह सुर्खी आगे कुछ लिखने की गुंजाइश भी नहीं छोडती .फिर भी इस खबर के मुताबिक़ एक बात साफ़ है जान लेवा मेडिकल कंडीशंस ,प्राण पखेरू ले उड़ने वाली बीमारियों के मामले में भी भारतीय समाज लड़कियों के साथ दुभांत करता है ।
    अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में संपन्न एक ताज़ा अध्ययन के मुताबिक़ लड़कों को यहाँ इन जीवन रक्षक मामलों में भी हार्ट सर्जरी कराने के ज्यादा मौके मिलतें हैं .
    मेडिकल जर्नल 'हार्ट 'में प्रकाशित इस अध्ययन के अनुसार ऐसे ४०५ माँ -बाप से जिनके बच्चों की उम्र १२ साल तक थी तथा जिन्हें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में ELECTIVE PEDIATRIC CARDIAC सर्जरी करवाने की सलाह दी गई थी , लड़कियों के मामले में कुल ४४%लड़कियों को यह सर्जरी मुहैया करवाई गई जबकी ७० %लड़कों को इसका लाभ मिला ।
    १३४ में से कुल ५९ लड़कियों के माँ -बाप इस शल्य के लिए आगे आये जबकी २७१ में से १८९ लड़कों के माँ -बाप ने पहल की ।
    प्रत्येक ७० लड़कों के पीछे सिर्फ २२ लड़कियों को ही 'जन्म जात हृद -विकारों 'की सर्जरी करवाने का मौक़ा मेरे हिन्दुस्तान में मिल रहा है .जबकी यही उपयुक्त समय होता है इन जन्म जात विकारों से निजात का .

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  18. आला दर्जे की अव्वल रचना .
    बेटियों पर यह कैसा अत्याचार .......
    बेटियों पर हो रहा,
    यह कैसा अत्याचार है |
    एक आँख रो रही है, बहुत सार्थक ,सामयिक पोस्ट अपने वक्त से रु -बा -रु !

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  19. बेटियों पर हो रहा,
    यह कैसा अत्याचार है |
    एक आँख रो रही है,
    और एक शर्मसार है |हमारे समयका एक महत्वपूर्ण दस्तावेज़ हैयह रचना .

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  20. मार्मिक सच्चाई को अभिव्यक्ति दी है आपने। मैने भी एक दोहा लिखा था....

    बिटिया मारें पेट में, प़ड़वा मारें खेत
    नैतिकता की आँख में, भौतिकता की रेत।

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  21. "बाज़ारों में बिकती है
    तो बेटी बस इन्सान की"
    आह.. इन दो पंक्तियों में पूरी बात कह दी आपने सुनील जी.. काश वो समझें जो ऐसे घिनौने कृत्त्य कर रहे हैं..

    आभार
    तेरे-मेरे बीच पर आपके विचारों का इंतज़ार है...

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  22. बेहतरीन प्रस्‍तुति।
    गहरे जज्‍बात।
    मुझे गर्व है कि मैं एक बेटी का बाप हूं।

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  23. नव जीवन और वंशंजों को पालने वाली कोख ही उजड़ जाये तो समाज का फ़िर असतित्व ही कहां बचेगा

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  24. भावपूर्ण लिखा है आपने....बहुत विदारक है.....काश कोई समझ ले सके....इस पंक्तियों से...!!

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  25. सोचने को विवश करती है ...मार्मिक रचना ..

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  26. रचना प्रासंगिक है पर स्थिति मैं परिवर्तन
    आ रहा है।जैसा हम चाहते हैं वो सुबह
    जरुर आयेगी।

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